Trade डेफिसिट | वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने आयात-निर्यात से जुड़े आंकड़ों के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा कि वैश्विक व्यापार मोर्चे पर चुनौतियां अब भी जारी हैं क्योंकि कई देशों में काफी मंदी और सुस्ती है। उन्होंने कहा कि कुछ विकसित बाजारों में आर्थिक वृद्धि में गिरावट से आयात मांग प्रभावित हुई है और ओईसीडी देशों में भी मांग कम है।
देश के निर्यात के आंकड़ों में लगातार चौथे महीने में गिरावट दर्ज की गई है। सालाना आधार पर यह मई महीने में 10.3 प्रतिशत फिसल कर 34.98 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। इस दौरान व्यापार घाटा बढ़कर पांच महीनों के उच्चतम स्तर 22.12 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। वाणिज्य मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार नकारात्मक वृद्धि दर्ज करने वाले प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न और आभूषण, इंजीनियरिंग सामान, रेडीमेड गारमेंट और रसायन शामिल हैं।
मई महीने में आयात में भी कमी आई है और इसमें लगातार छठे महीने में गिरावट दर्ज की गई है। देश का आयात 6.6% घटकर मई में 57.1 अरब डॉलर हो गया है। पिछले साल इस महीने में यह 61.13 अरब डॉलर था। बता दें कि देश का व्यापार घाटा मई 2022 में 22.13 अरब डॉलर था। वहीं दिसंबर 2022 में यह अपने उच्चतम स्तर 23.89 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-मई के दौरान देश के निर्यात में 11.41 प्रतिशत की कमी आई है और यह 69.72 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। वहीं इस दौरान देश का आयात 10.24 प्रतिशत घटकर 107 अरब डॉलर हो गया है।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने आंकड़ों के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा कि वैश्विक व्यापार के मोर्चे पर चुनौतियां अब भी जारी हैं क्योंकि कई देशों में काफी मंदी और सुस्ती है। उन्होंने कहा कि कुछ विकसित बाजारों में आर्थिक वृद्धि में गिरावट से आयात मांग प्रभावित हुई है और ओईसीडी देशों में भी मांग कम है।
हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि विकसित देशों में मांग बढ़ेगी। बर्थवाल ने कहा, 'हम उम्मीद कर रहे हैं कि मंदी की स्थिति में सुधार होना चाहिए और मांग में तेजी आनी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रालय निर्यात को बढ़ावा देने के लिए व्यापारिक रणनीति पर काम कर रहा है। इसके तहत वाणिज्य विभाग, उद्योग व आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी), इन्वेस्ट इंडिया और विदेशों में भारतीय मिशन 40 देशों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशों सहित इन देशों का भारत के कुल निर्यात में 85 प्रतिशत हिस्सा है।