RBI: वित्तीय वर्ष 2023-24 में जारी रह सकती है भारत के विकास दर की गति

आरबीआई की रिपोर्ट में दावा

Update: 2023-05-30 18:22 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मंगलवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत वृहद आर्थिक नीतियों और जिंस कीमतों में नरमी के कारण मुद्रास्फीति के दबाव में कमी के चलते भारत के विकास की गति 2023-24 में बरकरार रह सकती है।

हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वैश्विक वृद्धि में सुस्ती, लंबे समय तक भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक वित्तीय प्रणाली में नए दबाव की घटनाओं के बाद वित्तीय बाजार में अस्थिरता बढ़ने से विकास के लिए जोखिम पैदा हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'मजबूत वृहद आर्थिक नीतियों, जिंसों की कीमतों में नरमी, मजबूत वित्तीय क्षेत्र, स्वस्थ कॉरपोरेट क्षेत्र, सरकारी व्यय की गुणवत्ता पर निरंतर राजकोषीय नीति के जोर और आपूर्ति शृंखलाओं के वैश्विक पुनर्गठन से विकास के नए अवसर मिले हैं। इससे मुद्रास्फीति का दबाव कम हुआ है और ऐसे माहौल में 2023-24 में भारत की विकास दर बरकरार रहने की संभावना है।'

आरबीआई की मौद्रिक नीति वृद्धि दर को समर्थन देने पर केंद्रित

रिजर्व बैंक की 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि उसकी मौद्रिक नीति समायोजन को वापस लेने पर केंद्रित है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उत्तरोत्तर लक्ष्य के अनुरूप हो और वृद्धि को समर्थन मिले। रिपोर्ट में कहा गया है, 'स्थिर विनिमय दर और सामान्य मानसून के साथ मुद्रास्फीति के 2023-24 में नीचे आने की उम्मीद है और मुद्रास्फीति पिछले साल के 6.7 प्रतिशत के औसत स्तर से घटकर 5.2 प्रतिशत पर आ सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाह्य क्षेत्र में चालू खाते का घाटा (CAD) नरम रहने की उम्मीद है, जो मजबूत सेवा निर्यात और आयात की जिंस कीमतों में नरमी की उम्मीद से मजबूत होगा।

एफपीआई के प्रवाह में बना रह सकता है उतार-चढ़ाव

रिजर्व बैंक के अनुसार, ''वैश्विक अनिश्चितताओं के बने रहने के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) प्रवाह में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। चालू वित्त वर्ष के दौरान, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा कि इसका उद्देश्य सीबीडीसी (केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा) के खुदरा और थोक पायलट प्रोजेक्ट्स का विस्तार करता है। सीबीडीसी-रिटेल में पायलट परियोजना का विस्तार अधिक स्थानों पर करने और अधिक भागीदार बैंकों को शामिल करने का भी प्रस्ताव है।

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