नई दिल्ली (आईएएनएस)| वैश्विक स्तर पर 2022 की चौथी तिमाही के दौरान 829 मिलियन से अधिक साइबर हमलों को रोका गया, जिनमें से 59 प्रतिशत वेबसाइटें भारत में थीं।
एप्लिकेशन सुरक्षा कंपनी इंडसफेस के अनुसार, रिपोर्ट में तीसरी तिमाही की तुलना में चौथी तिमाही में डीडीओएस और बोट्स हमलों की तीव्रता और आवृत्ति में तेज वृद्धि का उल्लेख किया गया।
इंडसफेस के संस्थापक और सीईओ आशीष टंडन ने कहा, "इस तिमाही में, हमने देखा कि एक हेल्थकेयर ग्राहक के लगभग 20 एप्लिकेशन डीडीओएस हमलों द्वारा लक्षित किए गए। हमने एक एसएएएस एप्लिकेशन को 2 टीबी अटैक के साथ हिट होते भी देखा। दोनों ही मामलों में, एआई द्वारा विसंगतिपूर्ण अलर्ट भेजने और सर्जिकल नियमों को लागू करने वाली एक प्रबंधित सेवा टीम के साथ हमलों को जल्दी से विफल कर दिया गया था।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 मिलियन डॉलर से 1 अरब डॉलर के बीच राजस्व वाली मिड-मार्केट कंपनियों पर 45 प्रतिशत साइबर हमले हुए हैं और केवल 21 प्रतिशत बड़े उद्यम थे जिनका राजस्व 1 अरब डॉलर से अधिक था।
दूसरी ओर, छोटे व्यवसाय, 34 प्रतिशत हमलों के लिए जिम्मेदार थे, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक व्यवसाय ऐसे हमलों के प्रति संवेदनशील है।
हालांकि, कस्टम नियम बनाने की क्षमता साइबर सुरक्षा के प्रमुख प्रवर्तक के रूप में सामने आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, औसतन प्रत्येक उद्यम 48 कस्टम नियमों को लागू करता है और सभी हमलों के 60 प्रतिशत को इन कस्टम नियमों का उपयोग करके ब्लॉक किया गया था।
रिपोर्ट वेब एप्लिकेशन फायरवॉल स्तर पर एप्लिकेशन्स की सुरक्षा के उपाय के रूप में 'वर्चुअल पैचिंग' में वृद्धि पर भी प्रकाश डालती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 60 दिनों के अवलोकन अवधि के दौरान डीडीओएस हमलों ने सभी ऐप्स के 32 प्रतिशत को प्रभावित किया है।
हमलों की चपेट में आने वाले शीर्ष तीन खंड बैंकिंग, बीमा और अन्य वित्त कंपनियां थे, इसके बाद आईटी सेवाएं और निर्माण कंपनियां थीं।
एसएएएस/आईटी प्रोडक्टस और खुदरा/ई-कॉमर्स में भी प्रत्येक का 9 प्रतिशत का अच्छा प्रतिनिधित्व है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्र के संदर्भ में, 59 प्रतिशत वेबसाइटें भारत में थीं, शेष 23 प्रतिशत अमेरिका और कनाडा में थीं।