अब फोन बताएगा कोरोना पॉजिटिव के बारे में, नई तकनीक की एंट्री!

Update: 2022-01-30 09:12 GMT

नई दिल्ली: इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोविड-19 महामारी ने हमारे स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे पर काफी दबाव डाला है, जिसमें लैब भी शामिल हैं, जहां कोरोना टेस्ट कराने के लिए हर दिन हजारों की तदाद में लोग पहुंच रहे हैं। सरकारी लैब में तो टेस्टिंग फ्री है लेकिन प्राइवेट लैब इसके लिए मोटी रकम चुकानी पड़ती है। प्राइवेट लैब में पूरे परिवार का रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) या RT-PCR टेस्ट करवाना बहुत से लोगों की पहुंच से बाहर है, खासतौर से कम आय वाले लोगों के लिए। लेकिन अब, शोधकर्ता कोविड -19 के लिए एक नई टेस्टिंग तकनीक विकसित कर रहे हैं, जिससे लोग (खासतौर से कम आय वाले) अपने स्मार्टफोन का उपयोग करके ही कोविड-19 संक्रमण का टेस्ट कर सकेंगे। कैसे होगा काम, चलिए बताते हैं सबकुछ...

दरअसल, इस नई टेस्टिंग तकनीक को यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सांता बारबरा के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित किया गया है और इसे शुरू में $100 से कम के उपकरण की आवश्यकता है। CNET ने बताया कि एक बार सभी उपकरण लग जाने के बाद, हर टेस्ट की लागत केवल $7 (लगभग 525 रुपये) होती है।
कैसे काम करेगी ये तकनीक?
टेस्ट किट को इंस्टॉल करने के लिए उपयोगकर्ताओं को साधारण उपकरण जैसे हॉट प्लेट, रिएक्टिव सॉल्यूशन और उनके स्मार्टफोन की जरूरत होती है। इसके अलावा यूजर को अपने स्मार्टफोन पर बैक्टिकाउंट (Bacticount) नाम ऐप डाउनलोड करना होगा, जिसे शोधकर्ताओं द्वारा फ्री में उपलब्ध कराया जा रहा है। यह ऐप फोन के कैमरे द्वारा कैप्चर किए गए डेटा का विश्लेषण करेगा और उपयोगकर्ता को सूचित करेगा कि उनका कोविड -19 टेस्ट निगेटिव है या पॉजिटिव है।
जामा नेटवर्क ओपन पर प्रकाशित 'एसएआरएस-सीओवी-2 और इन्फ्लुएंजा वायरस का पता लगाने के लिए स्मार्टफोन-बेस्ड लूप-मीडिएटेड आइसोथर्मल एम्पलीफिकेशन ऐसे फोर डिटेक्शन' टाइटल वाले पेपर के अनुसार, उपयोगकर्ताओं को अपनी लार को एक टेस्ट किट में रखना होगा, जिसे हॉट प्लेट पर रखा जाएगा। इसके बाद यूजर्स को रिएक्टिव सॉल्यूशन डालना होगा जिसके बाद लिक्विड का रंग बदल जाएगा। अब, ऐप लार में वायरल लोड की मात्रा का अनुमान इस आधार पर लगाएगा कि लिक्विड का रंग कितनी जल्दी बदलता है।
खासियत: लगभग हर वेरिएंट का पता लगाएगी तकनीक
Smart-LAMP (लूप-मीडिएटेड आइसोथर्मल एम्प्लीफिकेशन) नाम की तकनीक के बारे में दिलचस्प बात यह है कि यह कोविड -19 संक्रमण के सभी प्रमुख पांच प्रकारों का पता लगा सकती है – अल्फा, B.1.1.7 (यूके वेरिएंट); गामा, P.1 (ब्राजील वेरिएंट); डेल्टा, B.1.617.2 (इंडिया वेरिएंट); एप्सिलॉन, B.1.429 (CAL20C); और Iota, B.1.526 (न्यूयॉर्क वेरिएंट)।
आम लोगों के लिए कब तक आएगी ये तकनीक?
उन्होंने कहा, फिलहाल ये टेस्टिंग तकनीक अभी तक बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि शोधकर्ताओं ने तकनीक का टेस्ट केवल 50 रोगियों के साथ किया है जिसमें 20 सिम्प्टोमैटिक और 30 असिम्प्टोमैटिक रोगी शामिल हैं और इसे सैमसंग गैलेक्सी S9 स्मार्टफोन के लिए कैलिब्रेट किया गया है। तो, तकनीक को अधिक शोध की आवश्यकता है। सीधे शब्दों में कहें, तो यह उम्मीद न करें कि यह जल्द ही बाजार में उपलब्ध हो जाएगी।

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