नई दिल्ली। भारत में पिछले एक दशक में मोबाइल फोन उत्पादन की वृद्धि को मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में एक बेजोड़ सफलता की कहानी बताया जा रहा है। 2014 में देश में बेचे गए सभी मोबाइल फोन में से 78 प्रतिशत आयात किये जाते थे, वहीं अब लगभग 97 प्रतिशत मोबाइल फोन भारत में बनाये जाते हैं।
उद्योग निकाय, इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के अनुसार, मोबाइल फोन उत्पादन 2014-15 में 18,900 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 24 में अनुमानित 4.10 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो 20 गुना से अधिक वृद्धि है। कुल मिलाकर, पिछले 10 वर्षों में भारत में 245 करोड़ से अधिक मोबाइल फोन सेट का उत्पादन किया गया है।
2014-15 में भारत से मोबाइल फोन का निर्यात महज 1,556 करोड़ रुपये था। उद्योग को वित्त वर्ष 2024 के अंत में 1,20,000 करोड़ रुपये के अनुमानित निर्यात की उम्मीद है। मोबाइल फोन अब भारत का पांचवां सबसे बड़ा निर्यात बन गया है। मई 2017 में, सरकार ने मोबाइल हैंडसेट के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) पहल की घोषणा की थी। इसने देश में एक मजबूत स्वदेशी मोबाइल मैनुफैक्चरिंग इकोसिस्टम बनाने में मदद की और बड़े पैमाने पर विनिर्माण को प्रोत्साहित किया।
2014 में केवल दो मोबाइल फोन कारखाने थे, भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक बन गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण (एलएसईएम) और आईटी हार्डवेयर के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स मैनुफैक्चरिंग के लिए आगे बढ़ा रही है।
पीएलआई योजना ने भारत में उत्पादन आधार स्थापित करने के लिए फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन, राइजिंग स्टार और विस्ट्रॉन सहित प्रमुख वैश्विक अनुबंध निर्माताओं को आकर्षित किया है। दूसरी ओर, सैमसंग नोएडा में दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फोन फैक्ट्री संचालित करता है। स्मार्टफोन के क्षेत्र में एप्पल और सैमसंग ने देश से मोबाइल फोन निर्यात को बढ़ावा देने में अहम् भूमिका निभाई है। बनाये गए डिवाइस को भारत मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और दक्षिण अमेरिकी बाजारों के अलावा यूके, नीदरलैंड, ऑस्ट्रिया और इटली में बड़ी मात्रा में निर्यात कर रहा है।