Jharkhand: धान में आ गयी बाली, चिंतित हुए किसान, वैज्ञानिक डॉक्टर प्रियरंजन कुमार ने कही ये बात

खरीफ फसल देश की सबसे महत्पपूर्ण फसल मानी जाती है

Update: 2021-09-14 06:41 GMT

खरीफ फसल देश की सबसे महत्पपूर्ण फसल मानी जाती है. इसमें किसानों को नुकसान होने का मतलब होता है कि उनरी पूरी साल की मेहनत बेकार चली गयी. इस खरीफ सीजन झारखंड समेत पूरे देश में धान की खेती मुख्य तौर पर की जाती है. कई किसान इसके लिए दुकानों से जाकर बीज खरीदते हैं तो कई किसान सरकारी केंद्रों से अनुदानित दर पर धान लेते हैं.

झारखंड में इस बार अच्छी बारिश हुई हैं , किसानो के चेहरे खिले हुए हैं क्योंकि बारिश को देखेते हुए उन्हें भी उम्मीद है कि उनकी फसल अच्छी होगी. पर धनबाद के बलियापुर के किसान अपनी धान की फसल को देखकर काफी परेशान हैं. इन किसानों से खरीफ फसल की रोपाई के लिए प्रखंड मुख्यालय से अनुदानित दर पर धान का बीज लिया था. पर किसान कह रह हैं कि उन्हें गलत बीज दिया गया है. इसके कारण समय से पहले ही उनके खेत में धान की बाली निकल रही है. इसे कारण किसानों की चिंता बढ़ गयी है.
किसानों को सता रहा नुकसान का डर
धनबाद जिले के बलियापुर प्रखंड के किसान हकीमउद्दन अंसारी इससे बेहद चिंतित है और कहते हैं कि अपनी परेशानी अब कहां जाकर सुनाए. क्योंकि बाली समय से पहले निकल गयी है. अगर फसल अच्छी नहीं हुई तो घर में खाने के लाले पड़ जाएंगे. उनका मानना है कि यहां पर अनुदानित दर पर मिले बीज ने किसानों को ऐसा धोखा दिया है कि खरीफ फसल को लेकर उनकी उम्मीद खत्म हो रही है. उनका कहना है कि समयसे पहले बाली आ गयी है. ऐसे में किसानों को कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है.
सरकार की तरफ से अनुदान
किसानों ने बताया कि बलिया प्रखंड के दर्जनों किसानों ने प्रखंड कार्यालय से अनुदानित दर पर मिले बीज को 15 जुलाई को खेतों में बुवाई की थी. इसके बाद 11 अगस्त को बिचड़ा तैयार होने पर उसकी रोपाई की थी. इसके बाद अभी ही उनमें बाली निकल रहा है. जो पैदावार की दृष्टि से शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है. किसानों ने कृषि विभाग से आधी कीमत पर IR- 64 और DRRH-3 किस्म के धान बीज खरीदा था.
बाली आना अच्छा संकेत नहीं
धान की रोपाई करने के एक माह के अंदर ही पौधों में बाली आ गयी. इस संबंध में किसानों का कहना है कि एक माह में ही पौधों में ही बाली आना अच्छा संकेत नहीं है. इससे किसानों को काफी नुकसान की संभावना है. किसानों ने जिला कृषि पदाधिकारी को आवेदन देकर क्षतिपूर्ति देने की मांग की है. वहीं, प्रखंड कृषि पदाधिकारी अजय कुमार पासवान का कहना है कि मामले से जिला कृषि पदाधिकारी को अवगत करा दिया गया है.
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
आइआरआरआई हजारीबाग के प्रभारी और धान वैज्ञानिक डॉक्टर प्रियरंजन कुमार ने कहा कि यह कोई घबराने वाली बात नहीं है. कई धान कम अवधि वाली होती हैं इसलिए जल्दी बाली निकल जाती है. DRRH-3 किस्म कम अवधि वाली होती है. इसलिए उनमें बाली आना चिंता की बात नही. हां आईआर 64 में इतनी जल्दी बाली नहीं आती है. पर जब आ गयी है तो पैदावार भी होगी पर थोड़ी कम होगी.
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