तकनीक में भारत का रुतबा बढ़ा रहे डिजिटल प्लेटफॉर्म

Update: 2023-06-11 17:21 GMT

तकनीक हो या कूटनीति पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ग्लोबल पावर बनकर उभरा है। मशहूर अंतरराष्ट्रीय पत्रिका द इकोनोमिस्ट के मुताबिक, बीते एक दशक में भारत में सार्वजनिक डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) बेहद मजबूत बना है, जिसने अलग-अलग स्तरों पर भारतीय लोगों के जीवन को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है।

पत्रिका के मुताबिक, ये प्लेटफॉर्म अब भारत की अर्थव्यवस्था और राजव्यवस्था के अहम घटक बन गए हैं। पत्रिका के मुताबिक, भारत के ये किफायती सॉफ्टवेयर चीन की अरबों डॉलर की बेल्ड एंड रोड पहल पर भारी पड़ रहे हैं। चीन ने जिस तरह भौतिक बुनियादी ढांचे के जरिये अर्थव्यवस्था को गति दी और उस प्रभाव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रभुत्व निर्माण में इस्तेमाल के लिए बेल्ट एंड रोड पहल शुरू की, ठीक वैसे ही डीपीआई भारत की निर्यात उम्मीद बढ़ा रहे हैं। भारत के सॉफ्टवेयर आधारित समाधान किफायती हैं, वहीं चीन की बेल्ट एंड रोड पहल भारी निवेश की मांग करती है।

ये ऐसे नवोन्मेषी कदम हैं, जो समृद्ध लोगों के लिए सुविधाजनक हैं, तो तमाम वंचितों के लिए क्रांतिकारी बदलाव। ठेले पर सब्जी बेचने वाले से लेकर स्वर्ण आभूषण बेचने वाले तक को डिजिटल भुगतान की सुविधा उपलब्ध है। जाहिर है, इससे हर तबके के लोगों का जीवन आसान हुआ है। डीपीआई के तहत ही आज करोड़ों भारतीयों तक डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) हो रहा है। इससे बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार पर प्रभावी रोक लगी है।

कई देशों में होने लगा इस्तेमाल

फिलीपीन एमओएसआईपी का इस्तेमाल कर रहा है। इसकी मदद से वहां 7.6 करोड़ लोगों के डिजिटल पहचान पत्र बन चुके हैं। मोरक्को में भी इसका परीक्षण हो चुका है। इथियोपिया, गुयाना, सिएरा लियोन, श्रीलंका और टोगो में परीक्षण किए जा रहे हैं। एमओएसआईपी तैयार करने वाले राजगोपालन का कहना है कि भारत ने बिल्डिंग ब्लॉक मुफ्त उपलब्ध कराए हैं। सभी देश अपनी जरूरत के मुताबिक इसे ढाल सकते हैं।

तीन आधार स्तंभ

भारत में डीपीआई के तीन प्रमुख आधार स्तंभ हैं, पहचान, भुगतान और डाटा प्रबंधन। इसकी शुरुआत आधार के साथ हुई। 2010 में यूपीए-2 के दौरान प्रयोग के तौर पर शुरू हुई यह परियोजना, आज 1.4 अरब भारतीयों की पहचान का सबसे अहम दस्तावेज बन गया है। इसके बाद आता है यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई), जो भुगतान को एक टेक्स मैसेज भेजना या क्यूआर कोड स्कैन करने जितना आसान बनाता है।

तीसरा स्तंभ डाटा मैनेजमेंट है। इसके लिए 12 अंकों के आधार का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे डिजिलॉकर का पिटारा खुलता है, जिसमें बर्थ सर्टिफिकेट से लेकर, वाहन के बीमा तक दस्तावेज मौजूद रहते हैं।

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