ख़त्म हो जाएगी Apple-Google की बादशाहत!

Update: 2023-08-10 07:16 GMT

वेब या इंटरनेट ब्राउजर में अमेरिकी कंपनियों का दबदबा है। ऐसे नहीं है कि भारतीय टेक कंपनियों के पास अपने ब्राउजर नहीं है लेकिन जब बात इस्तेमाल की आती है तो उसमें गूगल क्रोम (Google Chrome) और एपल सफारी (Safari) ही बाजी मारते हैं। अब एपल और गूगल की बादशाहत खत्म होने वाली है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि भारत सरकार खुद के वेब ब्राउजर को लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए वेब ब्राउजर चैलेंज की घोषणा की गई है।

सरकार ने रक्षा, आईटी हार्डवेयर और फार्मा में स्वदेशी क्षमता विकास पर जोर देने के लिए एक भारतीय वेब ब्राउजर विकसित करने के लिए एक ओपन चैलेंज प्रतियोगिता शुरू की है। नई दिल्ली में भारतीय वेब ब्राउजर डेवलपमेंट चैलेंज (IWBDC) में प्रमाणन प्राधिकारियों के नियंत्रक अरविंद कुमार ने कहा, "अब समय आ गया है कि आभासी दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण हथियार, वेब ब्राउजर, भारत में विकसित किया जाए।"

अमेरिकी कंपनियों का दबदबा?

भारतीय बाजार में वेब ब्राउजर के क्षेत्र में अमेरिकी कंपनियों का दबदबा है। Google Chrome से लेकर Firefox और एपल सफारी तक अमेरिकी कंपनियों के ब्राउजर हैं और इनके साथ डाटा लीक का खतरा है, क्योंकि इनके सर्वर भारत से बाहर ही हैं। IWBDC में हिस्सा लेने के लिए कोई भी स्टार्टअप अप्लाई कर सकता है। सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (CDAC), बेंगलुरु को इस प्रतियोगिता के लिए एंकर एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है।

CDAC के कार्यकारी निदेशक एसडी सुदर्शन ने कहा, "भारत इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की सबसे बड़ी संख्या वाले देशों में से एक है और यहां विदेशी कंपनियों का कब्जा है। ऐसे में ब्राउजर के सर्च रिजल्ट को ये कंपनियां अपने हिसाब से बदल सकती हैं। इसके अलावा कैशे और कुकीज डाटा की मदद से यूजर्स को ट्रैक भी किया जा सकता है जो कि उचित नहीं है। विदेशी ब्राउजर के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि वे रूट स्टोर में भारतीय प्रमाणन एजेंसियों को शामिल नहीं करते हैं। रूट स्टोर को ट्रस्ट स्टोर कहा जाता है, जिसमें ऑपरेटिंग सिस्टम और एप्लीकेशन की जानकारी दी जाती है कि वो सुरक्षित हैं या नहीं? इसी वजह से खुद का ब्राउजर तैयार करने का फैसला लिया गया है।

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