भारत में 5G सर्विस: 5G का C बैंड स्पेक्ट्रम रेंज 3.3 से 4.2 GHz तक, क्या विमानों को होगा कोई खतरा? जानिए जवाब

Update: 2022-01-21 11:16 GMT

नई दिल्ली: 5G और Airline कंपनियां के बीच अभी काफी विवाद चल रहा है. स्पेक्ट्रम बैंड्स की वजह से हवाई यात्रियों की सेफ्टी पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. US फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेटर (FAA) ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि C स्पेक्ट्रम बैंड के 5G सिग्नल्स एयरक्राफ्ट अल्टीमीटर सिस्टम को इंटरफेयर कर सकते हैं.

आपको बता दें कि 5G का C बैंड स्पेक्ट्रम रेंज 3.3 से 4.2 GHz तक है. एयरक्राफ्ट का अल्टीमीटर सिस्टम आमतौर पर 4.2 से 4.4 GHz बैंड पर ऑपरेट होता है. ITU APT फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने बताया कि भारत में जो 5G सर्विस रोलआउट होगी उसका स्पेक्ट्रम बैंड और सिविल अल्टीमीटर के बीच पर्याप्त दूरी होगी. इससे अल्टीमीटर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
अमेरिका में 5G रोल-आउट होने पर कई एयरलाइन कंपनियों ने अपनी फ्लाइट्स कैंसिल कर दी थी. कंपनियों की ओर से ये कहा गया है कि 5G सिग्नल फ्लाइट की-सेफ्टी इक्विपमेंट्स के साथ इंटरफेयर कर सकते हैं.
अल्टीमीटर से ही पायलट टेकऑफ और अल्टीट्यूड रीडिंग करते हैं. ITU-APT फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट Bharat Bhatia ने एक स्टेटमेंट में बताया कि इससे भारत में कोई खतरा नहीं है. सेफ्टी के लिए केवल 3300-3670 MHz बैंड को ही एलोकेट किया जा रहा है. ये अल्टीमीटर स्पेक्ट्रम से लगभग 500 MHz कम है.
इस वजह से भारत में नीलाम होने वाला C बैंड स्पेक्ट्रम पूरी तरह से सेफ है. इससे सिविल एविएशन रडार को कोई खतरा नहीं है. आपको बता दें कि भारत के ITU-APT फाउंडेशन को UN बॉडी इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन्स यूनियन से मान्यता प्राप्त है और ये स्पेक्ट्रम से संबंधित मुद्दों पर काम करता है.
दुनियाभर के हवाई जहाज 4200-4400 MHz रेडियो अल्टीमीटर का यूज करते हैं और अमेरिका में जो 5G सिस्टम पेश किया गया है वो 3700-3,980 फ्रीक्वेंसी बैंड पर है. ये अल्टीमीटर से काकी क्लोज है जबकि भारत में ये बैंड 3300-3670 MHz रखा गया है. 
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