श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश छोड़कर भागे

संकटग्रस्त श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग गए हैं। वह भागकर मालदीव पहुंचे हैं। एएफपी समाचार एजेंसी ने अधिकारियों के हवाले से यह खबर दी है। वह किस तरह भागने में कामयाब रहे

Update: 2022-07-13 00:44 GMT

संकटग्रस्त श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग गए हैं। वह भागकर मालदीव पहुंचे हैं। एएफपी समाचार एजेंसी ने अधिकारियों के हवाले से यह खबर दी है। वह किस तरह भागने में कामयाब रहे, अभी इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। हाल ही में राष्ट्रपति भवन पर प्रदर्शनकारियों के कब्जे के बाद राजपक्षे यहां से भागकर किसी अज्ञात जगह चले गए थे। उनके इस्तीफे का 13 जुलाई यानी आज आधिकारिक एलान होना था। गोटबाया राजपक्षे का हस्ताक्षरित इस्तीफा एक वरिष्ठ अधिकारी को सौंप दिया गया था जो इसे संसद अध्यक्ष को सौंपेंगे। 13 जुलाई को इसकी औपचारिक घोषणा होनी थी। श्रीलंका में सड़क पर विरोध को देखते हुए अब सर्वदलीय सरकार बनने पर मंत्रिमंडल इस्तीफा देगा।

इससे पहले श्रीलंका के पूर्व वित्तमंत्री और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के छोटे भाई बासिल राजपक्षे की देश छोड़कर भागने की कोशिश नाकाम रही। बासिल को कोलंबो हवाई अड्डे के वीआईपी टर्मिनल से देश छोड़कर भागने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन एक आव्रजन अधिकारी ने उन्हें पहचान लिया और उनकी यात्रा को क्लीयरेंस देने से इनकार कर दिया।

बताया जा रहा है कि वह दुबई या अमेरिका भागने की कोशिश में थे। वह सुबह 12:15 बजे चेक इन काउंटर पर पहुंचे और वहां 3:15 बजे तक रहे। उन्हें एयरपोर्ट पर लोगों के पहचान लिया और आव्रजन अधिकारी के क्लीयरेंस देने से मना करने पर उन्हें हवाई अड्डा छोड़कर वापस लौटना पड़ा। बता दें कि देश में शक्तिशाली राजपक्षे परिवार के खिलाफ जन आक्रोश को देखते हुए 71 वर्षीय बासिल ने पहले ही वित्तमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

एक वक्त का भोजन भी मुहाल

श्रीलंका में हालात इतने खराब हो गए हैं कि एंबुलेंस चलाने के लिए भी डीजल-पेट्रोल नहीं बचा है। एंबुलेंस सेवा ने जनता से कॉल न करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि हम सेवा देने में असमर्थ हैं। लोगों को एक वक्त का खाना भी अच्छे से नहीं मिल पा रहा है। खाने-पीने वाले उत्पादों के दाम कई गुना बढ़ चुके हैं। दाल की कीमतें तीन गुना बढ़ चुकी हैं। हालात इतने नाजुक हैं कि यहां भुखमरी और कुपोषण जैसे हालात पैदा हो रहे हैं।

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