Yogesh Kathuniya ने भारत को दिलाया 8वां मेडल

Update: 2024-09-02 12:47 GMT
 Spots स्पॉट्स : 9 साल की उम्र में योगेश गिलियन-बैरे सिंड्रोम से हुए थे पीड़ित योगेश कथुनिया का जन्म 4 मार्च 1997 को बहादुरगढ़ में हुआ था। उनके पिता भारतीय सेना में थे जबकि मां हाउस वाइफ थीं। 9 साल की उम्र में योगेश गिलियन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित हो गए थे। उन्होंने चंडीगढ़ के इंडियन आर्मी पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की, जहां उनके पिता चंडीमंदिर छावनी में पोस्टेड थे। उनकी मां ने फिजियोथेरेपी सीखी और फिर 3 साल के अंदार उन्होंने योगेश को फिर से चलने-फिरने के काबिल बना दिया। योगेश ने बाद में दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में एडमिशन लिया और कॉमर्स से ग्रैजुएशन किया।
2016 में योगेश ने खेल की दुनिया में रखा कदम
2016 में किरोड़ीमल कॉलेज में छात्र संघ के महासचिव सचिन यादव ने उन्हें पैरा एथलीटों के वीडियो दिखाकर खेल को अपनाने के लिए प्रेरित किया जिसके बाद कथुनिया ने पैरा स्पोर्ट्स में कदम रखा। 2018 में उन्होंने बर्लिन में 2018 विश्व पैरा एथलेटिक्स यूरोपीय चैंपियनशिप में डिस्कस थ्रो को 45.18 मीटर तक फेंककर F36 कैटेगरी में विश्व रिकॉर्ड बनाया। कथुनिया ने 2020 के समर पैरालिंपिक में पुरुषों की डिस्कस थ्रो F56 में भारत का प्रतिनिधित्व किया और रजत पदक जीता। 2021 नवंबर में भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 2020 ग्रीष्मकालीन पैरालिंपिक में रजत पदक जीतने के लिए कथुनिया को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया।
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