पहलवान रवि दहिया ने खेल मंत्री को पत्र लिखाकर कही ये बात

ओलंपिक पदक विजेताओं को अर्जुन अवार्ड की जगह देश के सर्वोच्च खेल सम्मान मेजर ध्यानचंद खेल रत्न दिए जाने का मामला तूल पकड़ गया है।

Update: 2021-11-01 05:34 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |    ओलंपिक पदक विजेताओं को अर्जुन अवार्ड की जगह देश के सर्वोच्च खेल सम्मान मेजर ध्यानचंद खेल रत्न दिए जाने का मामला तूल पकड़ गया है। टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले पहलवान रवि कुमार दहिया ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर को रोषपूर्ण पत्र लिखकर उन्हें अर्जुन अवार्ड दिए जाने की गुहार लगाई है। रवि ने खेल मंत्री को यहां तक लिखा है कि उन्हें लगता है कि उन्होंने ओलंपिक पदक जीतकर अर्जुन अवार्ड को खो दिया है। अर्जुन नहीं बनने पर निराश रवि ने यहां तक लिख दिया है कि अगर ऐसा ही रहा तो निकट भविष्य में अर्जुन अवार्ड हासिल किए बिना कोई भी खिलाड़ी ओलंपिक पदक नहीं जीतेगा। उन्होंने खेल मंत्री से निवेदन किया है कि जिस अवार्ड के वह हकदार हैं वह उन्हें पहले दिया जाए। अगर उन्हें अर्जुन के साथ खेल रत्न दिया जाता है तो उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है।

रवि ने 13 सितंबर को ही अर्जुन अवार्ड देने को कहा था
खास बात यह है कि रवि दहिया ने ओलंपिक पदक हासिल करने से पहले ही अर्जुन अवार्ड के लिए आवेदन कर दिया था। ओलंपिक पदक जीतने के बाद 13 सितंबर को उन्होंने खेल मंत्रालय को पत्र लिखकर गुहार लगाई थी कि उन्हें पहले अर्जुन अवार्ड दिया जाए। लेकिन उन्हें खेद है कि उन्हें इस अवार्ड से नजरअंदाज कर दिया गया। रवि ने खेल मंत्री को लिखा कि उन्होंने रियो ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक का उदाहरण दिया था। उन्हें अर्जुन अवार्ड इस वजह से नहीं मिला क्यों कि उन्हें खेल रत्न दिया जा चुका था। सरकार के दिशानिर्देशों में यह कहीं नहीं लिखा है कि ओलंपिक पदक विजेता को अर्जुन अवार्ड नहीं मिलेगा। उन्होंने लिखा है कि अर्जुन अवार्ड जीतना हर एक खिलाड़ी सपन होता है।
साक्षी-मीरा भी उठा चुकी है मुद्दा
रवि दहिया के अलावा टोक्यो पैरालंपिक में स्वर्ण जीतने वाले सुमित अंतिल और शूटर अवनि लेखरा ने भी खेल रत्न की जगह अर्जुन अवार्ड दिए जाने की इच्छा जताई थी। बीते वर्ष तो ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक और मीराबाई चानू दोनों ने खेल रत्न बनने के बावजूद अर्जुन अवार्ड के लिए आवेदन कर दिया था, लेकिन कमेटी ने दोनों के आवेदन को यह कहकर खारिज कर दिया कि जब देश का सर्वोच्च का खेल सम्मान दिया जा चुका है तो उससे कम वरीय के पुरस्कार को कैसे दिया जा सकता है। इस बार भी अवार्ड कमेटी में इस मुद्दे को लेकर काफी चर्चा हुई, लेकिन अंत में फैसला खेल रत्न देने का ही लिया गया।


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