आईपीएल के बीच में सभी टीमों की पसंद क्यों बन रहे है ये स्पिनर

IPL 2020 का आधा पड़ाव समाप्त हो गया है। मंगलवार से अब राउंड रोबिन फॉर्मेट का दूसरा फेज शुरू हो चुका है। इसके पहले मैच में चेन्नई सुपर किंग्स का सामना सनराइजर्स हैदराबाद से हुआ था।

Update: 2020-10-15 10:59 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |  IPL 2020 का आधा पड़ाव समाप्त हो गया है। मंगलवार से अब राउंड रोबिन फॉर्मेट का दूसरा फेज शुरू हो चुका है। इसके पहले मैच में चेन्नई सुपर किंग्स का सामना सनराइजर्स हैदराबाद से हुआ था। हैरान करने वाली बात ये रही कि कप्तान एमएस धौनी ने हैदराबाद के खिलाफ चेन्नई की टीम में तीन स्पिनर शामिल किए गए थे। खास बात ये रही कि इन तीन स्पिन गेंदबाजों में से दो गेंदबाजों ने 3 अहम विकेट लिए थे और चेन्नई की जीत दिलाने में अहम भूमिका अदा की थी।

गौरतलब है कि चेन्नई सुपर किंग्स की प्लेइंग इलेवन में तीन स्पिनर- रवींद्र जडेजा, पीयूष चावला और कर्ण शर्मा शामिल थे। एमएस धौनी के इस फैसले और टीम की रणनीति से साफ संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले समय में यूएई में खेले जा रहे आइपीएल के 13वें सीजन में स्पिनर और धीमी गति के गेंदबाज आगे जाकर अहम भूमिका निभाने वाले हैं। मैच के बाद हैदराबाद के गेंदबाजी कोच मुथैया मुरलीधरन ने कहा था, "स्पिनर आगे जाकर अहम रोल निभाएंगे। विकेट टूट गई हैं। तीन पिचें (मैदान) हैं, इसलिए वो टूटेंगी।"

IPL 2020 के पहले हाफ में तेज गेंदबाजों का बोलबाला देखा गया है, लेकिन सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों गेंदबाजों की सूची में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर के स्पिनर युजवेंद्रा चहल भी हैं, लेकिन आने वाले समय में चीजें बदल सकती हैं, क्योंकि राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ बीती रात हुए मैच में दिल्ली कैपिटल्स के तेज गेंदबाज एनरिक नॉर्खिया ने दुबई की पिच पर आइपीएल इतिहास की तीन सबसे तेज गेंदें फेंकी थीं।

आइपीएल का ये सीजन सिर्फ तीन मैदानों पर खेला जा रहा है। ऐसे में पिचों को टूटना आम बात है और दूसरी पिचों को रोटेट करना एक अहम चीज साबित हो सकती है। भारत के कुछ पिच क्यूरेटरों ने न्यूज एजेंसी आइएएनएस से बात करते हुए कहा कि पिचें स्पिनरों की मददगार होंगी और इसका कारण सीमित मैदान और मौसम ही नहीं है, ब्लकि मैचों का सही तरह से प्लान नहीं किया जाना भी एक कारण है।

शुरुआत में लगा था कि बीसीसीआइ ने टूर्नामेंट को अच्छे से प्लान किया है, क्योंकि शारजाह में बोर्ड ने सिर्फ 10 मैच रखे थे और इस मैदान पर सिर्फ तीन पिच हैं। इसलिए उन पर ज्यादा दबाव नहीं होगा। अबू धाबी और दुबई में ज्यादा मैच खेले जाने हैं और यहां रोटेशन के लिए ज्यादा पिचें हैं। एक क्यूरेटर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "मैंने जो सुना है वो हो नहीं रहा है। वहां सीमित पिचें ही हैं- एक जगह तीन ज्यादा से ज्यादा, जिनका उपयोग किया जाता है।"

दुबई में 24 मैच होने हैं, जबकि अबू धाबी में 20। उन्होंने कहा है, "अच्छा यही था कि उन्हें एक ही मैदान पर लगातार मैच नहीं रखने चाहिए थे। पिचें रोटेट की जाएं या नहीं, लेकिन एक ही मैदान पर लगातार मैच होते आ रहे हैं। उदाहरण के तौर पर बुधवार को दुबई में राजस्थान और दिल्ली का मैच खेला गया। इसी मैदान पर मंगलवार को ही चेन्नई और हैदराबाद का मैच खेला गया था। इस तरह के कुछ और उदाहरण हैं।"

पिच क्यूरेटर ने बताया है कि यह समस्या इसलिए हो रही है, क्योंकि कोविड-19 के कारण संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में आइपीएल खेला जा रहा है और जहां मैदान कम हैं। अगर यह लीग भारत में ही होती तो आठ मैदानों पर मैच खेले जाते। वहीं, जब रोटेशन के बारे में पूछा गया तो बीसीसीआइ की पिचों और मैदान समिति के अध्यक्ष दलजीत सिंह ने कहा कि चीजें तब मुश्किल हो जाती हैं जब सीमित मैदान हों।

दलजीत सिंह ने कहा है, "मुझे लगता है कि इस साल आइपीएल हो इसके लिए बीसीसीआइ ने अच्छा काम किया है। उन्होंने यह बात सुनिश्चित की है कि क्रिकेटरों का जीवनयापन चलता रहे और बाकी लोग भी प्रभावित नहीं हों। ऐसी स्थिति में हालांकि यह अच्छा होता कि वह भारतीय क्यूरेटर भी साथ में ले जाते जिन्हें इतने बड़े टूर्नामेंट्स आयोजित करने का अनुभव हो।" उन्होंने कहा, "इसमें तकनीक और विज्ञान शामिल है जिसे वो समझते हैं।"

यह हैरानी वाली बात है कि बीसीसीआइ ने बाकी विभागों के अधिकारियों को तो यूएई ले जाने का फैसला किया था, लेकिन एक भी क्यूरेटर को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड आइपीएल 2020 के लिए यूएई नहीं ले गई। पिछली बार साल 2014 में जब यूएई में आइपीएल के करीब 35 फीसदी मैच खेले गए थे तो पीआर. विश्वनाथन क्यूरेटर वहां गए थे। उस समय वहां सिर्फ 20 मैच खेले गए थे। आगे आने वाले मैचों में पिचें टूटती हैं या नहीं या स्पिनरों की अहमियत बढ़ती है या नहीं, यह देखने वाली बात होगी।

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