तीसरे मुकाबले में भारत की जीत से खुश हुए दर्शक लेकिन साथ ही साथ कही ये बड़ी बात

एक तरफ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) टेस्ट क्रिकेट को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहा है और उसके लिए डे-नाइट टेस्ट उसका सबसे बड़ा हथियार है।

Update: 2021-02-25 16:05 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | एक तरफ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) टेस्ट क्रिकेट को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहा है और उसके लिए डे-नाइट टेस्ट उसका सबसे बड़ा हथियार है। लेकिन जिस तरह से भारत और इंग्लैंड के बीच सीरीज का तीसरा मुकाबला दो दिन में खत्म हुआ उसने इस कोशिश को गहरा झटका दिया है। नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारत और इंग्लैंड के बीच खत्म हुआ डे-नाइट टेस्ट द्वितीय विश्व युद्ध के बाद होने वाला सबसे छोटा टेस्ट मैच (ऐसा मुकाबला जो पूरा हुआ हो) है।

पहले वनडे और उसके बाद टी-20 मुकाबले आयोजित होने से टी-20 का चार्म धीमे-धीमे खत्म होने लगा था। इसके बाद आइसीसी में इसको लेकर काफी गहन मंथन हुआ। अक्टूबर 2012 में आइसीसी ने डे-नाइट टेस्ट खेलने की अनुमति दी। हालांकि इसके बाद भी इस पर काफी चर्चा हुई और 27 नवंबर 2015 को एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच पहला डे-नाइट टेस्ट खेला गया। गुलाबी गेंद से मुकाबला होने के बाद दर्शकों ने क्रिकेट के सबसे बड़े फॉर्मेट को मैदान से देखने का फैसला किया। हालांकि वह मैच भी तीसरे दिन ही खत्म हो गया था। उसमें तेज गेंदबाजों का जलवा देखने को मिला था।
भारत में पहला डे-नाइट टेस्ट 2019 में भारत और बांग्लादेश के बीच खेला गया। वह मैच भी तीसरे दिन के पहले सत्र में ही खत्म हुआ। उसमें भी तेज गेंदबाजों का ही वर्चस्व था। घसियाली पिच पर तब भारत के तेज गेंदबाजों ने पूरे 20 विकेट लिए थे। पिछले साल भारत ने एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना दूसरा और विदेश में पहला डे-नाइट टेस्ट खेला। वह मैच भी तीसरे दिन ही खत्म हुआ। तेज गेंदबाजों की मददगार पिच पर भारतीय टीम की दूसरी पारी 36 रनों पर ऑलआउट हो गई। वह भारतीय टीम का निम्नतम स्कोर था। उस मैच में भारत को आठ विकेट से पराजय का सामना करना पड़ा लेकिन यहां अहमदाबाद में पांच दिवसीय मुकाबला सिर्फ दो दिन में ही खत्म हो गया।
यहां मैच देखने आए अमित गोवर्धन ने कहा कि हम खुश हैं कि भारत मैच जीत गया लेकिन दो दिन में मैच खत्म नहीं होना चाहिए था। दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में मुकाबला हो रहा है और यह पांच दिवसीय क्रिकेट है तो कम से कम तीन दिन तो मैच चलता लेकिन ऐसा नहीं हो सका। मुंबई से नरेंद्र मोदी स्टेडियम में मैच देखने आए रमेश चावड़े ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि स्थितियां बल्लेबाजों के मुफीद नहीं थीं लेकिन इंग्लिश बल्लेबाज कुछ ज्यादा ही डरकर खेल रहे थे। टेस्ट में मुकाबला बराबरी का होना चाहिए। यहां पर मामला बराबरी का नहीं लगा। यह तो वही बात हो गई कि हम इंग्लैंड या ऑस्ट्रेलिया जाएंगे तो हमें घसियाली पिच मिलेगी और वे जब भारत आएंगे तो हम उन्हें टर्नर पिच दे देंगे। ऐसे तो टेस्ट क्रिकेट का रोमांच खत्म हो जाएगा। मेजबान टीम को थोड़ा फायदा मिलना चाहिए लेकिन मुकाबला एकतरफा नहीं होना चाहिए।
मैच देख रहे एक और दर्शक सुरेश शाह ने कहा कि लोग इतना पैसा खर्च करके यहां मैच देखने आ रहे हैं और इतनी जल्दी मैच खत्म हो रहा है। बीसीसीआइ को पिच बनाने के बारे में और ध्यान देना चाहिए। किसी मुकाबले को जीतना ठीक है लेकिन लोगों का रुझान ही टेस्ट क्रिकेट से चला जाएगा। इस टेस्ट की खास बात यही थी कि सबसे बड़े स्टेडियम में दुनिया की दो दिग्गज टीमों के बीच टक्कर होगी लेकिन यहां तो बांग्लादेश-भारत मुकाबले से भी ज्यादा खराब स्थिति हो गई। यह ठीक है कि इस मैच को जीतकर भारतीय टीम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाने के करीब आ गई है लेकिन जिन कारणों से टेस्ट चैंपियनशिप का आयोजन हो रहा है उसे भी देखना होगा। आइसीसी टेस्ट चैंपियनशिप इसलिए आयोजित करवा रहा है कि विश्व में क्रिकेट के सबसे बड़े फॉर्मेट को जिंदा रखा जाए लेकिन अगर आप इस तरह के मुकाबले खेलकर वहां जाएंगे तो क्या संदेश जाएगा।


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