अंडर-19 टीम के कप्तान रह चुके उन्मुक्त चंद ने भारतीय क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान किया है. उन्मुक्त अमेरिका जाने की तैयारी में हैं. उनकी कप्तानी में भारत ने 2012 में अंडर-19 वर्ल्ड कप जीता था. उन्मुक्त ने अंडर-19 के फाइनल मुकाबले में नाबाद 111 रनों की पारी खेली थी. उन्होंने भारत ए के कप्तान के रूप में भी पदभार संभाला और 2015 तक इस पद पर रहे. 28 वर्षीय उन्मुक्त ने घरेलू क्रिकेट में और भारत ए के लिए शानदार प्रदर्शन किया था. उन्हें 2013 की आईसीसी चैम्पियन्स ट्रॉफी के लिए 30 सदस्यीय टीम में जगह मिली थी. वह 2014 टी20 विश्व कप के लिए 30 सदस्यीय टीम में भी चुने गए थे.
चंद ने अपने घरेलू करियर की शुरुआत 2010 में दिल्ली से की थी और 8 सीजन तक टीम के लिए खेले. वह दिल्ली की टीम के कप्तान भी रह चुके हैं. उन्मुक्त उत्तराखंड के लिए भी घरेलू क्रिकेट में खेल चुके हैं. उन्मुक्त चंद ने ट्वीट कर अपने संन्यास का ऐलान किया. हालांकि इसमें उन्होंने ये नहीं लिखा है कि वह अमेरिका की तरफ से खेलेंगे. उन्मुक्त चंद ने लिखा, 'क्रिकेट एक यूनिवर्सल खेल है और हो सकता है कि मतलब बदल जाएं, लेकिन मकसद हमेशा एक ही रहता है और वह है- सर्वोच्च स्तर पर खेलना. साथ ही मेरे सभी समर्थकों और चाहने वालों का शुक्रिया जिन्होंने हमेशा मुझे दिल में जगह दी. आप जैसे हैं उससे लोग प्यार करें इससे बेहतर कोई भावना नहीं होती. मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मेरे पास ऐसे लोग हैं. सबका शुक्रिया. अगले अध्याय की तरफ बढ़ते हैं.'
उन्मुक्त चंद उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के खुदकु भाल्या के रहने वाले हैं. उन्मुक्त ने 6 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू किया था. उनके क्रिकेट करियर में सबसे अहम रोल उनके चाचा सुंदर चंद ठाकुर का है. उन्मुक्त चंद ने डीपीएस (नोएडा) और मार्डन स्कूल (बाराखंभा रोड) से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की है. उन्मुक्त अंडर-15, अंडर-16 और अडंर-19 क्रिकेट में दिल्ली का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
2010-11 में उन्मुक्त ने रणजी ट्रॉफी मैच के दौरान तेज पिच पर रेलवे के खिलाफ शानदार शतक बनाकर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था. इसी साल उन्होंने असम और सौराष्ट्र के खिलाफ अर्धशतक भी जड़ा. इस सीजन में खेले गए पांच रणजी मैचों में उन्होंने 400 रन बनाए थे.