ये धुरंधर खिलाड़ी डेव रिचर्डसन आज मान रहे 62वां जन्मदिन

16 सितंबर का दिन दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट में खास अहमियत रखता है.

Update: 2021-09-16 02:15 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| 16 सितंबर का दिन दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट में खास अहमियत रखता है. ये दिन उस पूर्व अफ्रीकी क्रिेकेटर से जुड़ा हुआ है, जिसने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में टीम की वापसी के बाद लंबे वक्त तक निरंतर टीम का साथ दिया और टीम में अपना अहम योगदान दिया. ये धुरंधर खिलाड़ी थे- डेव रिचर्डसन, जिनका आज 62वां जन्मदिन है. डेव रिचर्डसन (Dave Richardson), दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट का वो हिस्सा हैं, जिसने न सिर्फ मैदान पर अपना जलवा दिखाया, बल्कि मैदान के बाहर दफ्तर में बैठकर भी इस खेल को यादगार बनाने और आगे बढ़ाने के लिए अपना काम किया, जो आज भी जारी है.

डेव रिचर्डसन का जन्म 16 सितंबर 1959 को दक्षिण अफ्रीका के जोहानसबर्ग में हुआ था. रिचर्डसन का क्रिकेट करियर उसी तरह शुरू हुआ, जिस तरह उस दौर के सैकड़ों खिलाड़ियों का, जिनमें से कई के सपने टूट गए थे, क्योंकि तब दक्षिण अफ्रीका का सभी तरह के खेलों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बॉयकॉट जारी था. अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही रिचर्डसन के हाथ से एक अच्छा प्लेटफॉर्म निकल गया था. हालांकि, 1992 में जब दक्षिण अफ्रीका का बहिष्कार खत्म हुआ, तो रिचर्डसन ने जल्द ही टीम में बतौर विकेटकीपर अपनी जगह पक्की कर ली और बन गए टीम के नंबर एक विकेटकीपर.

दक्षिण अफ्रीका की वापसी, रिचर्डसन ने बनाई जगह

रिचर्डसन ने 1991 में भारत के खिलाफ वनडे मैच से अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आगाज किया था. तब वह32 साल के ही थे. रिचर्डसन ने जल्द ही विकेट के पीछे अपनी जगह पक्की कर ली थी. फिर कुछ ही महीनों बाद 1992 में उन्हें टेस्ट टीम में भी जगह मिली और यहां से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. विकेट के पीछे अपने बेहतरीन काम की वजह से वह टीम का अटूट हिस्सा बन गए. रिचर्डसन की पहचान एक असरदार विकेटकीपर और एक उपयोगी बल्लेबाज के रूप में हुई.

विकेट के पीछे रिचर्डसन का रिकॉर्ड कुछ अद्भुत रहा. उन्होंने सिर्फ 42 टेस्ट मैचों में सिर्फ 152 खिलाड़ियों को अपना शिकार बनया, लेकिन हैरानी वाली बात ये है कि उन्होंने टेस्ट करियर में सिर्फ दो बार ही खिलाड़ियों को स्टंपिंग का शिकार बनाया. इस तरह 1992 में टेस्ट डेब्यू से लेकर 1998 में अपने आखिरी वक्त तक रिचर्डसन लगातार टीम के लिए बेहतर विकेटकीपर साबित हुए.

क्रिकेट से वकालत और ICC CEO तक

रिटायरमेंट के बाद भी रिचर्डसन ने खुद को खेल में बनाए रखते हुए कुछएक ऐसी जिम्मेदारियां संभाली और क्रिकेट को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दिया. रिचर्डसन न सिर्फ क्रिकेट मैदान पर एक बेहतरीन विकेटकीपर साबित हुए, बल्कि वह एक उपयोगी वकील भी हैं. हालांकि, क्रिकेट से अपने लगाव के कारण वह वकालत के अभ्यास से दूर हुए और इसे व्यावसायिक तौर पर अपनाने के बजाए क्रिकेट को दूसरे रूप में आगे बढ़ाने लगे.

इस दिशा में पहला बड़ा मौका 2002 में आया, जबिक रिचर्डसन को आईसीसी का जनरल मैनेजर बनाया गया. वह पहले शख्स थे, जो ICC के जनरल मैनेजर बने थे. इसके ठीक 10 साल बाद 2012 में उन्हें और भी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई और हारुन लोर्गाट के बाद उन्हें ICC का मुख्य कार्यकारी अधिकारी यानी CEO नियुक्त किया गया.

ऐसा रहा रिचर्डसन का करियर

रिचर्डसन ने 1991 से लेकर 1997-98 सीजन तक दक्षिण अफ्रीकी टीम में विकेटकीपर की जगह पर अपना कब्जा रखा. इस दौरान उन्होंने 42 टेस्ट मैच खेलते हुए 1359 रन बनाए, जिसमें सिर्फ 1 शतक और 8 अर्शतकीय पारी शामिल हैं. टेस्ट के अलावा रिचर्डसन ने वनडे में भी लंबे वक्त तक अपनी जगह को बनाए रखा. उन्होंने 122 वनडे मैचों में सिर्फ 868 रन बनाए, लेकिन इस दौरान विकेट के पीछे 148 कैच लपके हैं, जबकि 17 स्टंपिंग्स उनके खाते में आई है.

Tags:    

Similar News

-->