14 जनवरी से आईसीसी अंडर-19 विश्व कप का 14वां एडिशन हो जाएगा शुरू, भारतीय टीम की जीत की दावेदार है पक्की

14 जनवरी से आईसीसी अंडर-19 विश्व कप का 14वां एडिशन शुरू हो जाएगा। इस बार ये टूर्नामेंट वेस्टइंडीज में खेला जाएगा जिसमें एक बार फिर भारतीय टीम की जीत की पक्की दावेदार है।

Update: 2022-01-12 12:14 GMT

14 जनवरी से आईसीसी अंडर-19 विश्व कप का 14वां एडिशन शुरू हो जाएगा। इस बार ये टूर्नामेंट वेस्टइंडीज में खेला जाएगा जिसमें एक बार फिर भारतीय टीम की जीत की पक्की दावेदार है। भारतीय टीम ने पिछली बार भले ही फाइनल मैच में बांग्लादेश से गंवा दिया थे लेकिन इस बार ब्वॉयज इन ब्लू की नजरें ट्रॉफी पर ही हैं। भारत ने आखिरी बार पृथ्वी शॉ की कप्तानी में साल 2018 में ये टूर्नामेंट जीता था। अंडर-19 टूर्नामेंट में कमाल करने के बाद भारतीय क्रिकेटरों ने सीनियर टीम और विश्व क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ी है। यहां देखिए वो 6 भारतीय खिलाड़ी जिन्होंने अंडर-19 विश्व कप में खेलने के बाद विश्व क्रिकेट में अपनी पहचान ही नहीं बनाई बल्कि अपनी एक छाप भी छोड़ी है।

युवराज सिंह- भारत ने पहली बार अंडर-19 विश्व कप साल 2000 में जीता था जब भारत ने श्रीलंका को 6 विकेट से कोलंबो में हराया था। युवराज सिंह इस टूर्नामेंट के प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट भी रहे थे। उसके बाद उनका सीनियर टीम इंडिया के लिए डेब्यू हुआ। उन्होंने केन्या में आईसीसी नॉक आउट ट्रॉफी में डेब्यू किया था। युवराज ने भारतीय क्रिकेट ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट पर अपनी छाप छोड़ी, टी-20 विश्व कप में उन्होंने एक ओवर में छह छक्के जड़े थे। इसके अलावा 2011 विश्व कप में उनको मैन ऑफ द सीरीज का खिताब भी मिला था।
मोहम्मद कैफ- 2000 में अंडर-19 विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के कप्तान मोहम्मद कैफ थे। युवराज सिंह की तरह मोहम्मद कैफ भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ गए। वे उन भारतीय खिलाड़ियों में से हैं जिनको पहली बार फील्डिंग के लिए सराहा गया। नेटवेस्ट ट्रॉफी 2002 में उनका मैच जिताऊ प्रदर्शन रहा था, जो उनके करियर का हाइलाइट भी है।
शिखर धवन- 2004 के टूर्नामेंट में 505 रनों के साथ, दिल्ली के ओपनर शिखर धवन ने अपने बल्ले के जरिए बता दिया था वे क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ने के लिए तैयार हैं। धवन उस टूर्नामेंट में हाइएस्ट रन गेटर थे और उनको प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब मिला था। लिमिटेड ओवर क्रिकेट में खराब डेब्यू के बाद उनकी किस्मत बदली और साल 2013 में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू मैच में सेंचुरी जड़ी। उसके बाद ही उन्होंने टीम इंड़िया में अपनी जगह बतौर ओपनर पक्की कर ली और वो 2013 आईसीस चैंपियंस ट्रॉफी का भी हिस्सा थे जिसमें भारत विजेता बना था।
रोहित शर्मा- 2006 में टी-20 विश्व कप में टीम इंडिया का हिस्सा रहे रोहित शर्मा भले ही उस टूर्नामेंट को जीत न सके हों लेकिन उन्होंने भारत में अपनी छाप जरूर छोड़ी थी। उस टूर्नामेंट का फाइनल मैच भारत ने पाकिस्तान से गंवाया था। रोहित ने खिताबी मैच हारने के बावजूद वनडे और टी-20 में टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की की और वो जगह आज तक उन्होंने कायम रखी है। फिर उन्होंने बतौर टेस्ट ओपनर भी खुद को साबित किया। वो अब सीमित ओवरों की भारतीय टीम के कप्तान भी बन गए हैं।
रविंद्र जडेजा- सौराष्ट्र के ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा 2006 और 2008 के अभियान का हिस्सा थे। उन्होंने दोनों एडिशन का फाइनल खेला है। 2008 में उन्होंने ट्रॉफी भी जीती जिसके बाद उनको आईपीएल खेलने का भी मौका मिला। टेस्ट क्रिकेट में नंबर-1 गेंदबाज बनना उनके करियर का एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
विराट कोहली- 2008 अंडर-19 विश्व कप की भारतीय टीम के कप्तान रहे विराट कोहली ने अपनी टीम को विजेता बनाया था। भारत ने खिताबी मुकाबले में साउथ अफ्रीका को हराया था। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। 2011 आईसीसी विश्व कप और 2013 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाली भारतीय टीम का वे हिस्सा थे। वे अब अपने जेनेरेशन के महान बल्लेबाजों में गिने जाते हैं। उन्होंने कई रिकॉर्ड्स भी बनाए और तोड़े हैं। टेस्ट क्रिकेट के वे सबसे सफल भारतीय कप्तान हैं और उन्होंने टीम इंडिया के सभी प्रारूपों की कप्तानी की है। अब फिलहाल वे टेस्ट टीम की कमान संभाल रहे है


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