सुनील गावस्कर ने बताया- इस वजह से साउथ अफ्रीका के खिलाफ भारत के पास सीरीज जीतने का मौका...

गाबा आस्ट्रेलिया के लिए फिर से किला बन गया। आस्ट्रेलिया की यह जीत भारत की प्रतिभा की गवाही भी देती है |

Update: 2021-12-12 04:14 GMT

गाबा आस्ट्रेलिया के लिए फिर से किला बन गया। आस्ट्रेलिया की यह जीत भारत की प्रतिभा की गवाही भी देती है क्योंकि इस साल की शुरुआत में, इसी मैदान पर भारत ने 329 रनों के कड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए विकेट, ओवर व समय के शेष रहते हुए आराम से जीत हासिल कर ली थी। उस सीरीज में भारत की जीत हमेशा भारतीय प्रशंसकों के जरिये संजोई जाएगी और भारतीय क्रिकेट इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी। भारत को अब दक्षिण अफ्रीका जाना है जहां उन्होंने कभी टेस्ट सीरीज नहीं जीती है। 2011 में महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी में किए गए दौरे को छोड़कर हर बार सीरीज हारी है।

धौनी के नेतृत्व में टेस्ट सीरीज ड्रा रही थी। इस बार भारत के पास सीरीज जीतने का सुनहरा अवसर होगा क्योंकि दक्षिण अफ्रीका की टीम बल्लेबाजी को देखते हुए कमजोर दिख रही है। भारतीय गेंदबाजों को लंबे समय से अच्छा आराम मिला है और वे तरोताजा हैं। यह अच्छा होता कि सीरीज शुरू होने से पहले तीन या दो दिन का मुकाबला होता लेकिन कोरोना के नए वेरिएंट ने इसे कराना मुश्किल कर दिया है जिससे इसके संपर्क में किसी के आने की संभावना नहीं हो। भारत अपना पहला मुकाबला सेंचुरियन में खेलेगा जो बल्लेबाजी के मददगार वाली पिच है जिससे बल्लेबाजों को जोहानिसबर्ग और केपटाउन जैसी अतिरिक्त बाउंसर वाली पिचों का सामना करने से पहले लय हासिल करने का मिलेगा। दक्षिण अफ्रीका का तेज गेंदबाजी आक्रमण आसान नहीं रहने वाला है। हालांकि, यहां भी आस्ट्रेलिया की तरह कूकाबूरा गेंद बल्लेबाजों को बड़ी मदद देती है।
पहले एशेज टेस्ट की बात करें तो इंग्लैंड को अपने दो गेंदबाजों को बाहर रखने से मदद नहीं मिली जिनके नाम टेस्ट क्रिकेट में कुल 1200 से ज्यादा विकेट हैं। एक समस्या जो इंग्लिश क्रिकेट के साथ रही है, वो है बहुत अधिक सिद्धांत। सिद्धांत यह था कि ये दो गेंदबाज, जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्राड, एक के बाद एक दो टेस्ट मैच नहीं खेल पाएंगे और इसलिए उन्हें एडिलेड में दूसरे टेस्ट मैच के लिए तरोताजा रखा जाना चाहिए जो गुलाबी गेंद से खेला जाएगा। पिछली बार एंडरसन ने जब गुलाबी गेंद से मैच खेला था तो उन्होंने विकेट लिए थे, इसलिए उन्हें पहले टेस्ट से बाहर रखना समझा जा सकता है लेकिन ब्राड को नहीं लेना थोड़ी चिंता की बात रही। सीरीज का पहला मैच मनोवैज्ञानिक लाभ लेने के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण था और यह सुनिश्चित करना था कि डेविड वार्नर बेहतरीन शुरुआत कर अपने आत्मविश्वास को दोबारा हासिल नहीं करें क्योंकि वह इस खेल के विस्फोटक खिलाडि़यों में से एक हैं।
वार्नर ने राहत की सांस ली और 94 रन बनाए लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण उनकी मार्नस लाबुशाने के साथ साझेदारी रही जिसने टीम को संभाला जब मार्कस हैरिस का विकेट जल्द ही गिर गया। वार्नर का अगले टेस्ट में खेलना तय नहीं है क्योंकि उन्हें बेन स्टोक्स की गेंद पर चोट लगी थी। तकनीक ने स्टोक्स की 14 नोबाल में से सिर्फ दो को पकड़ा। मैच में स्निकोमीटर भी फेल हो गया जिससे प्रसारण भी प्रभावित हुआ। अनुमान लगाएं अगर ऐसा भारत में होता। बीसीसीआइ को जो आलोचना मिलती वो उस सीमा तक पहुंच जाती जहां बोर्ड के खिलाफ भारतीय सबसे अधिक मुखर होते। दुख की बात है कि क्रिकेट और विशेष रूप से भारतीय क्रिकेट के बारे में जीवंत लेखन लिखने वालों में से कुछ ऐसे भी हैं जो हर उपलब्ध अवसर पर बोर्ड की आलोचना करने वालों में सबसे आगे रहते हैं। एक पुरानी कहावत है, उस हाथ को काटना जो आपको खिलाता है।

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