सुनील गावस्कर ने बेन स्टोक्स को लेकर कही ये बड़ी बात
क्रिकेट के खेल को भले ही क्यों न टीम गेम कहा जाता हो लेकिन बहुत ही कम ऐसा देखने को मिलता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | क्रिकेट के खेल को भले ही क्यों न टीम गेम कहा जाता हो लेकिन बहुत ही कम ऐसा देखने को मिलता है जब एक टीम के सभी 11 खिलाड़ी जीत में योगदान देते हैं। मैं मानता हूं कि कुछ रन या कुछ मेडन ओवर या फिर फील्डिंग के दौरान बचाए गए रन भी मैच में बड़ा अंतर पैदा कर देते हैं। इसके बावजूद क्रिकेट में ज्यादातर कुछ खिलाड़ी ही मैच पलट देते हैं लेकिन क्रिकेट के मक्का लार्ड्स में हमें दूसरे टेस्ट मैच में भारतीय टीम के सभी 11 खिलाड़ियों का बराबरी का योगदान देखने को मिला। भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ उस मैच में टेस्ट क्रिकेट के इतिहास की ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
इस मैच की शुरुआत सलामी बल्लेबाजों से करते हैं, जब भारतीय कप्तान विराट कोहली लार्ड्स में टास हार गए और इंग्लिश कप्तान जो रूट ने भारत को पहले बल्लेबाजी का आमंत्रण दिया। ऐसे में टास जीतने के बाद पहले गेंदबाजी चुनने का फैसला अजीब लगा क्योंकि लार्ड्स के मैदान की पिच पर नाटिंघम में खेले गए पहले टेस्ट की पिच जितनी घास नहीं थी। इससे साफ जाहिर था कि नई गेंद से गेंदबाजों को ज्यादा मदद नहीं मिलने वाली है। हां, मैं मानता हूं कि काले बादल छाए हुए थे, लेकिन इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला था।
भारतीय सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा और केएल राहुल की जोड़ी ने पिच का भरपूर फायदा उठाया और पहले विकेट के लिए शानदार 125 रनों की साझेदारी विदेशी पिच पर जमाई और भारत के लिए बड़े स्कोर की नींव भी रखी। रोहित शर्मा (83 रन) भाग्यशाली नहीं रहे जबकि उनके जोड़ीदार राहुल (129 रन) ने शानदार अंदाज में शतक जमाया और पहले दिन भारत ने तीन विकेट के नुकसान पर 276 रन बनाए। हालांकि भारत ठोस शुरुआत का दूसरे दिन फायदा नहीं उठा पाया और रवींद्र जडेजा (40 रन) के बल्ले से उपयोगी योगदान की मदद से उसने किसी तरह 350 रन का स्कोर पार करते हुए पहली पारी में 364 रन बनाए।
इसके बाद इंग्लैंड की तरफ से उनके कप्तान जो रूट (180 रन) ने लगातार दूसरे टेस्ट मैच में भारत के खिलाफ शानदार शतकीय पारी खेली मगर उनके अलावा इंग्लैंड का कोई भी बल्लेबाज भारतीय गेंदबाजों के आगे टिक नहीं सका, जिससे इंग्लैंड पहली पारी में भारत पर सिर्फ 27 रन की ही बढ़त हासिल कर सका। इसके बाद भारत के लिए चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे ने उन आलोचकों को बल्ले से करारा जवाब दिया। जो यह कहने लगे थे कि पुजारा और रहाणे अगर दो से तीन टेस्ट मैच में नहीं चलते हैं तो उन्हें बाहर कर दिया जाए।
इसके विपरीत इन दोनों बल्लेबाजों ने शतकीय साझेदारी निभाई और फिर से साबित कर दिया कि उनका अनुभव टीम के लिए कितना महत्वपूर्ण हैं। हालंकि मैच में जसप्रीत बुमराह और मुहम्मद शमी ने जिस तरह बल्लेबाजी और गेंदबाजी की, उन्होंने ना सिर्फ दिल जीता बल्कि इंग्लैंड से वह मैच भी दूर लेकर चले गए। बुमराह और शमी ने दूसरी पारी में इंग्लैंड को शुरुआती झटके भी दिए। जिससे उनकी बल्लेबाजी डगमगा गई और इसका पूरा फायदा उठाते हुए शेर दिल युवा तेज गेंदबाज सिराज ने चार विकेट लेकर मैच को भारत की झोली में डाल दिया। इशांत शर्मा ने पहली पारी में महत्वपूर्ण विकेट लिए थे इसलिए सभी चारों गेंदबाजों ने जीत में योगदान दिया।
कोहली ने पहली पारी में 42 रनों की पारी खेली और एक-दो दमदार कैच भी लपके। विकेटों के पीछे पंत ने भी शीर्ष स्तर की विकेटकीपिंग का नजारा पेश किया। यही कारण है कि क्रिकेट को एक टीम गेम का दर्जा दिया गया है, जिसका शानदार उदाहरण देखने को मिला। पांचवें दिन के खेल की शुरुआत में सामान्य सोच यह थी कि इंग्लैंड मैच जीत जाएगा लेकिन अंतिम दिन की पिच पर 180 रन का स्कोर भी कठिन होता क्योंकि अक्सर टीमों को इस दिन 121 रन पर आउट होते और बड़े अंतर से हारते हुए देखा गया था। उनकी बल्लेबाजी जो रूट पर इस कदर निर्भर करती है कि अगर वह एक छोर को संभाल कर बल्लेबाजी नहीं कर पाते तो फिर पूरी टीम को ढहने से कोई नहीं रोक सकता है।
भारत ने इंग्लैंड को एक मनोवैज्ञानिक झटका दिया है और घरेलू टीम को सीरीज में वापसी के लिए एक अलौकिक प्रयास करना होगा। हां, क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है और चीजें काफी नाटकीय रूप से बदल सकती हैं लेकिन इंग्लैंड की वापसी एक चमत्कार जैसी होगी। अगर मैं जो रूट होता, तो मैं बेन स्टोक्स को हर हाल में टीम में वापस लाने का प्रयास करता और कहता कि वह उस तरह के प्रभावशाली खिलाड़ी हैं जो इंग्लैंड के लिए इन स्थितियों को बदल सकते हैं। यह अफसोस की बात है कि कोई व्यक्ति जो क्रिकेट खेलने के लिए पैदा हुआ था, वह ऐसा करने में असमर्थ है और यह न केवल इंग्लैंड बल्कि क्रिकेट की दुनिया का भी बहुत बड़ा दुर्भाग्य है क्योंकि स्टोक्स जैसा खिलाड़ी पीढि़यों में एक बार देखने को मिलता है।