नहीं रहे श्रीलंका के पहले टेस्ट क्रिकेट कप्तान बंदुला वर्णापुरा... इलाज के दौरान तोडा दम
श्रीलंका के पहले टेस्ट क्रिकेट कप्तान बंदुला वर्णापुरा का सोमवार को एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | श्रीलंका के पहले टेस्ट क्रिकेट कप्तान बंदुला वर्णापुरा का सोमवार को एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह 68 वर्ष के थे। वर्णापुरा ने 1982 में कोलंबो में इंग्लैंड के खिलाफ अपने पहले टेस्ट में श्रीलंका की कप्तानी की थी। उन्होंने श्रीलंका की तरफ से पहली गेंद का सामना किया और टेस्ट क्रिकेट में अपना पहला रन बनाया। इस मैच में उन्होंने एक ही टेस्ट मैच में ओपनिंग और बॉलिंग (दूसरी पारी) करने का असाधारण रिकॉर्ड भी बनाया था। वर्णापुरा ने इसके बाद टीम के साथ दक्षिण अफ्रीका का दौरा करने का फैसला किया।
श्रीलंका क्रिकेट (एसएलसी) ने वर्णापुरा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। एसएलसी के प्रमुख शम्मी सिल्वा ने कहा, 'मैं श्रीलंका के पहले टेस्ट कप्तान बंदुला वर्णापुरा के निधन से बहुत दुखी हूं। वह एक बेहतरीन क्रिकेटर, प्रशासक, कोच, कमेंटेटर और सबसे बढ़कर एक अच्छे इंसान थे और उनका निधन क्रिकेट समुदाय के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है। हालांकि, मुझे यकीन है कि उनके नाम और काम हमारे दिलों में हमेशा रहेंगे।'
वर्णापुरा ने श्रीलंका के लिए चार टेस्ट और 12 वनडे मैच खेले थे। पूर्व सलामी बल्लेबाज बंदुला ने ओल्ड ट्रैफर्ड में वेस्टइंडीज के खिलाफ 1975 विश्व कप मैच में अपना वनडे डेब्यू किया था। अपने अगले मैच में उन्होंने डेनिस लिली और जेफ थॉमसन की खतरनाक तेज गेंदबाज जोड़ी के खिलाफ 39 गेंदों में 31 रनों की पारी खेली थी। 1979 में अगले विश्व कप में उन्होंने भारत के खिलाफ एक फेमस जीत के लिए श्रीलंका की कप्तानी की। उन्होंने 1981-82 सीजन में पाकिस्तान के खिलाफ अपना सर्वोच्च वनडे स्कोर (77 रन) बनाया था।
वर्णापुरा ने 1970 में भारतीय विश्वविद्यालयों के खिलाफ प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू किया था। उनके प्रथम श्रेणी करियर का महत्वपूर्ण मोड़ 1973-74 सीजन के दौरान आया, जब उन्होंने पाकिस्तान अंडर-25 टीम के खिलाफ 154 रन बनाए। उस सीजन के दौरान उन्होंने चार वनडे मैच में पाकिस्तान इलेवन के खिलाफ 92 रन का शानदार स्कोर भी बनाया। पाकिस्तान इलेवन में आसिफ मसूद, सलीम अल्ताफ और इंतिखाब आलम जैसे टेस्ट के घातक गेंदबाज मौजूद थे।क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने श्रीलंकाई टीम के कोच के रूप में कार्य किया और फिर कोचिंग के निदेशक बने थे।