एक नोबॉल और टीम इंडिया को पाकिस्तान से मिला कभी न भूलने वाला दर्द
भारत और पाकिस्तान की क्रिकेट टीमें जब मैदान पर आमने-सामने होती हैं, तो यह सिर्फ एक खेल नहीं होता है. बल्कि माहौल जंग जैसा हो जाता है. जीत-हार के लिए सिर्फ 22 खिलाड़ी ही जोर नहीं लगाते.
भारत और पाकिस्तान की क्रिकेट टीमें जब मैदान पर आमने-सामने होती हैं, तो यह सिर्फ एक खेल नहीं होता है. बल्कि माहौल जंग जैसा हो जाता है. जीत-हार के लिए सिर्फ 22 खिलाड़ी ही जोर नहीं लगाते. बल्कि दोनों मुल्कों के करोड़ों लोग भी अपनी-अपनी टीम के लिए दुआ करते हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच आज ही के दिन 5 साल पहले ऐसी ही खिताबी लड़ाई हुई थी, जिसमें दांव पर चैंपियंस ट्रॉफी थी, जिसपर पाकिस्तान ने कब्जा जमाया था. इंग्लैंड के ओवल मैदान पर 18 जून, 2017 को चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान ने भारत को 180 रन से शिकस्त दी थी. इस हार को भारतीय फैंस शायद ही कभी भुला पाएंगे.
भारतीय कप्तान विराट कोहली ने चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल में टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया था. लेकिन यह एक फैसला टीम इंडिया पर बहुत भारी पड़ा, क्योंकि पाकिस्तान ने पहले खेलते हुए 50 ओवर में 4 विकेट खोकर 338 रन ठोक डाले थे. इसमें पाकिस्तान के ओपनर फखर जमां का अहम रोल था. उन्हें शुरुआत में जसप्रीत बुमराह की नो-बॉल पर जीवनदान मिला. फखर ने इसका पूरा फायदा उठाया और अपना चौथा वनडे खेल रहे इस बल्लेबाज ने भारतीय गेंदबाजों की जमकर धुनाई की.
फखर और अजहर अली की सलामी जोड़ी ने पाकिस्तान को अच्छी शुरुआत दिलाई. दोनों ने पहले विकेट के लिए 128 रन जोड़े. अजहर अली (59) के आउट होने के बावजूद फखर ने तेज रफ्तार से रन बनाना जारी रखा और दूसरे छोर पर बाबर आजम (46) और मोहम्मद हफीज (नाबाद 57) की मदद से पाकिस्तान को 338 रन के स्कोर तक पहुंचा दिया. अपना चौथा वनडे खेल रहे फखर जमां ने 106 गेंद में 114 रन ठोक डाले.
किसी भी टूर्नामेंट के फाइनल में 339 रन के लक्ष्य का पीछा करना आसान नहीं होता है. उस पर से पाकिस्तान जैसा पैस अटैक सामने हो, तो यह लक्ष्य नामुमकिन सा लगता है और हुआ भी ऐसा ही. भारतीय टॉप ऑर्डर पर पाकिस्तान के बाएं हाथ के तूफानी गेंदबाज मोहम्मद आमिर कहर बनकर टूटे. उन्होंने रोहित शर्मा को पहले ही ओवर में पैवेलियन भेज दिया. कप्तान विराट कोहली 5 रन बनाकर आमिर का शिकार बने. धवन को भी आमिर ने ही चलता किया. युवराज सिंह, महेंद्र सिंह धोनी जैसे बड़े मैच फिनिशर भी बल्ले से कुछ कमाल नहीं दिखा पाए.
केवल हार्दिक पंड्या ने जज्बा दिखाया और आखिर तक लड़े. उन्होंने 43 गेंद पर 4 चौके, 6 छक्के लगाते हुए 76 रन की पारी खेली. पूरी भारतीय टीम महज 30.3 ओवर में 158 रन के स्कोर पर ऑल आउट हो गई और इस तरह पाकिस्तान ने भारत को 180 रन से हराते हुए पहली बार चैम्पियंस ट्रॉफी का खिताब जीता. 1992 का वर्ल्ड कप जीतने के बाद पाकिस्तान की टीम पहली बार आईसीसी का वनडे टूर्नामेंट जीती थी.