मेलबर्न: बॉक्सिंग डे टेस्ट में भारत मेजबान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच विकेट 159 और सात विकेट 221 रन पर गंवाकर गहरे संकट में फंसा हुआ था लेकिन नितीश कुमार रेड्डी ने नाबाद 105 रन बनाकर टीम इंडिया को संकट से बाहर निकाल दिया।
नितीश कुमार रेड्डी जब 97 के निजी स्कोर पर थे तब वॉशिंगटन सुंदर के साथ उनकी शतकीय साझेदारी टूट गई। अब सिर्फ़ दो विकेट शेष थे और जसप्रीत बुमराह बल्लेबाज़ी के लिए आए थे। हालांकि अगले ओवर में स्ट्राइक रेड्डी के पास ही थी लेकिन स्कॉट बोलैंड के ओवर में सिंगल लेने का मौक़ा मिलने के बावजूद उन्होंने सिंगल नहीं लिया। रेड्डी का बुमराह में अधिक विश्वास ना दिखाने के पीछे बड़ी वजह थी कि वह अपने करियर का सबसे यादगार पल जीने से चूक सकते थे और अगले ओवर की तीसरी गेंद पर जब बुमराह आउट हुए तब भारतीय प्रशंसकों की सांसें थम गईं।
क्योंकि गेंदबाज़ी पैट कमिंस कर रहे थे और अभी उनकी तीन गेंदें बची हुई थीं। अब रेड्डी के शतक के लिए उम्मीद मोहम्मद सिराज की बल्लेबाज़ी पर निर्भर थी। मैदान पर रेड्डी के पिता भी मौजूद थे और उनके साथ पूरा भारत उनके बेटे के शतक का इंतज़ार कर रहा था। और करता भी क्यों नहीं? रेड्डी की इस पारी ने भारत के हाथ से फिसलते मैच को अपनी पारी और वॉशिंगटन के साथ 127 रनों की साझेदारी करते हुए वापसी की राह पर ला दिया था।
रेड्डी जब बल्लेबाज़ी करने आए तब दिन का पहले घंटा समाप्त होने के बाद ऋषभ पंत और रवींद्र जडेजा की जोड़ी पंत के अपरंपरागत शॉट खेलने के चलते टूट गई थी। जडेजा भी उनका ज़्यादा साथ नहीं दे पाए और 221 पर सातवां विकेट गिर गया। अब भारत के सामने फ़ॉलोऑन बचाने की चुनौती थी और भारत को अभी भी इसे टालने के लिए 84 रन का पीछा करना था।
वॉशिंगटन और रेड्डी ने भारतीय पारी को संभालना शुरू किया और बारिश के चलते जब टी ब्रेक लिया गया तब तक रेड्डी (85*) और वॉशिंगटन (40*) मिलकर भारत को 327 के स्कोर तक पहुंचा दिया था। टी के बाद जब दोनों बल्लेबाज़ी करने आए तब उन्हें लय दोबारा हासिल करने में देर हुई लेकिन देखते ही देखते रेड्डी 95 के स्कोर तक पहुंच गए थे और वॉशिंगटन अपना अर्धशतक पूरा कर चुके थे।रेड्डी इस स्कोर पर पहुंचने के साथ ही ऑस्ट्रेलिया में नंबर आठ या उससे नीचे बल्लेबाज़ी करते हुए सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर बनाने वाले बल्लेबाज़ बन गए ।
हालांकि रेड्डी और वॉशिंगटन ने लगभग एक दूसरे के जितनी ही गेंदें खेली थीं। एक तरफ़ रेड्डी रन बनाने का कोई भी मौक़ा नहीं छोड़ रहे थे तो वहीं वॉशिंगटन विपक्षी गेंदबाज़ों को कोई मौक़ा देने को तैयार नहीं थे। लेकिन 50 के निजी स्कोर पर वॉशिंगटन के आउट होने अब बारी ऑस्ट्रेलिया की थी जो रेड्डी को अब रन बनाने का मौक़ा ना देने में जुट गई थी।
हालांकि 97 के स्कोर पर रेड्डी ने बोलैंड की अंतिम गेंद पर हवा में शॉट खेला लेकिन वह मिड ऑफ़ और कवर के बीच में से ज़्यादा दूर नहीं जा पाया, जिस वजह से वह 99 के स्कोर तक पहुंच गए। सिराज को तीन गेंदें संभालनी थीं लेकिन पहली गेंद पर वह बाहरी किनारा लगने से बाल बाल बचा। कमिंस ने अगली गेंद शॉर्ट डाली और सिराज के डक करते हुए ख़ुद रेड्डी सिराज का अभिवादन करने से रोक नहीं पाए। इस अभिवादन में आभार का भाव छुपा हुआ था और जैसे ही सिराज ने अंतिम गेंद को डिफेंड किया वैसे ही मेलबर्न दर्शकों की तालियों से गूंज उठा।
अब बोलैंड एक बार फिर रेड्डी के सामने थे और पहली गेंद डिफेंड करने के बाद दूसरी गेंद पैड पर लग गई, एलबीडब्ल्यू की अपील हुई लेकिन लेग स्टंप के बाहर जाती प्रतीत होती गेंद पर की गई अपील को अंपायर ने नकार दिया। अगली गेंद जब हुई तब ख़ुद विराट कोहली रेड्डी के लिए तालियां बजा रहे थे जिनके साथ रेड्डी कभी सेल्फी नहीं ले पाए थे। रेड्डी ने फुलर गेंद को लॉन्ग ऑन पर दे मारा था और 171 गेंदों पर शतक पूरा कर लिया था। यह एक योद्धा जैसी जुझारू पारी थी जिसने भारत को बचा लिया।
रेड्डी के शतक पूरा करने के बाद सिर्फ़ एक ओवर का ही खेल हो पाया क्योंकि ख़राब रोशनी के चलते खेल को रोकना पड़ा और स्टंप्स हो गया। भारत अभी ऑस्ट्रेलिया से सिर्फ़ 116 रन ही पीछे है और सबसे सकारात्मक पहलू यह है कि अब इस मैच में सिर्फ़ दो दिन का खेल बचा हुआ है और रेड्डी के इस प्रदर्शन ने भारत को कम से कम मैच बचाने की उम्मीद दे दी है।