नेपाल का ‘कबीर खान’, जिसने बदल दी देश की क्रिकेट टीम की तकदीर
क्रिकेट टीम की तकदीर
फिल्म ‘चक दे! इंडिया’ में कोच कबीर खान वाला शाहरुख खान का किरदार तो आपको याद ही होगा. मोंटी देसाई, शाहरुख खान तो नहीं, पर नेपाल क्रिकेट टीम के लिए कोच कबीर खान खान जरूर हैं. वो इसलिए क्योंकि, फिल्म ‘चक दे! इंडिया’ वाली भारतीय महिला हॉकी टीम और नेपाल क्रिकेट टीम की कहानी थोड़ा कम, थोड़ा ज्यादा मेल खाती हुई दिखती है. फिल्म वाली हॉकी टीम के वर्ल्ड कप खेलने जाने पर संशय की तलवार लटकती दिखती है. तो वहीं आज एशिया कप जैसा बड़ा टूर्नामेंट खेल रही नेपाल की क्रिकेट टीम भी कभी बदहाली के उस कगार पर खड़ी थी, जहां उससे उसका ODI स्टैटस छिनने वाला था. मगर विपरीत हालातों में शाहरुख फिल्म वाली भारतीय महिला हॉकी टीम के कोच कबीर खान बन गए और मोंटी नेपाल क्रिकेट टीम, फिर जो हुआ वो कहानी रील में ही नहीं रीयल में भी सुपरहिट है.
मोंटी देसाई ने नेपाल क्रिकेट को कैसे बदला? कैसे उसकी किस्मत चमकाई और उसके लिए क्या-क्या किया, ये बताएंगे. लेकिन, उससे पहले जरा उनका बैकग्राउंड जान लीजिए. मोंटी एक प्रोफेशनल कोच रहे हैं. नेपाल क्रिकेट टीम का हेड कोच बनने से पहले वो रणजी ट्रॉफी में आंध्र की टीम को कोच कर चुके हैं. इसके अलावा वो अफगानिस्तान, UAE, वेस्टइंडीज और कनाडा के साथ बैटिंग कोच या हेड कोच के तौर पर जुड़े रहे. मोंटी IPL टीम राजस्थान रॉयल्स से भी जुड़े रहे हैं.
कोच बनने से पहले ही शुरू कर दिया था नेपाल को परखना
अब जिस कोच के माथे पर इतने सारे अनुभवों का तिलक लगा हो, उसके हाथ में भला कौन सी टीम अपनी कमान नहीं सौंपना चाहेगी. वही नेपाल ने भी किया. उसने मोंटी देसाई को अपना कोच नियुक्त किया, जिन्होंने आधिकारिक तौर पर अपना पदभार तो 6 फरवरी 2023 को संभाला, लेकिन उन्होंने नेपाली टीम को परखना दो हफ्ते पहले से ही शुरू कर दिया था.
30 दिन में खेले 12 वनडे में 11 जीते
मोंटी के कोच बनने के बाद नेपाल क्रिकेट टीम में ना सिर्फ बड़े-बड़े बदलाव देखने को मिले. बल्कि, इस टीम के प्रदर्शन का ग्राफ भी काफी ऊपर उठ गया. और, इसका इससे बेहतर उदाहरण और क्या हो सकता कि टीम ने 14 फरवरी से 16 मार्च के बीच यानी सिर्फ 30 दिन में 12 वनडे खेले, जिसमें 11 जीते. ये प्रदर्शन यकीनन नेपाल के लिए उम्मीद से बढ़कर था. पिछले साल दिसंबर तक नेपाल की टीम इनकंसिस्टेंसी और डांवाडोल बल्लेबाजी जैसी समस्याओं से जूझ रही थी. उसके चलते उसके 24 मैचों में सिर्फ 18 पॉइंट ही थे. लेकिन एक महीने के अंदर 12 मैचों में 22 अंक और हासिल कर इसने सभी को चौंका दिया.
नेपाल ने वनडे स्टैटस बचाया
इतना ही नहीं नेपाल की टीम के वनडे स्टैटस पर भी एक वक्त खतरा मंडरा रहा था. लेकिन, उसने अपन सिर पर मंडराते उस खतरे को भी मिटा दिया. वनडे स्टैटस का दर्जा ना छिने इसके लिए लीग 2 में उसे 7 टीमों के बीच टॉप 5 में फिनिश करना था. नेपाल की टीम टेबल में तीसरे स्थान पर रही.
मोंटी देसाई ने नेपाल टीम में फूंका कौन सा मंत्र?
अब सवाल है कि अचानक से नेपाल की टीम इतनी अच्छी क्रिकेट कैसे खेलने लगी? हेड कोच मोंटी देसाई ने उसके अंदर कौन सा मंत्र फूंक दिया. पूर्व कोच जगत तमाता की मानें तो मोंटी देसाई ने सबसे पहला हमला नेपाल टीम के मेंटल फिटनेस पर बोला. उन्होंने खिलाड़ियों को मानसिक तौर पर इतना मजबूत कर दिया कि उनका खुद पर यकीन बढ़ गया. उन्होंने उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया. जगत तमाता के मुताबिक, कोच बनने के बाद मोंटी ड्रेसिंग रूम के माहौल को खुशनुमा बनाने की बात कही थी और उस पर अमल किया. उन्होंने खिलाड़ियों की तकनीक पर काम किया. और, आज जो नेपाल की टीम की सक्सेस दुनिया के सामने है, वो उसी का नतीजा है.