लखनऊ को भारी पड़ा एक कैच, क्या ज्यादा प्रयोगों के कारण हारी केएल राहुल की टीम!
आईपीएल में लखनऊ सुरजाएंट्स को राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ तीन रन से हार का सामना करना पड़ा है। इस सीजन यह लखनऊ की दूसरी हार है। इससे पहले गुजरात ने लखनऊ को मात दी थी।
आईपीएल में लखनऊ सुरजाएंट्स को राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ तीन रन से हार का सामना करना पड़ा है। इस सीजन यह लखनऊ की दूसरी हार है। इससे पहले गुजरात ने लखनऊ को मात दी थी। राजस्थान के खिलाफ कप्तान राहुल ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया और संजू सैमसन की टीम को 165 रन पर रोका। वानखेड़े की पिच पर यह स्कोर आसान नजर आ रहा था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ट्रेंट बोल्ट ने पहले ही ओवर में कप्तान राहुल और कृष्णप्पा गौतम को आउट करके लखनऊ को दबाव में डाल दिया। इसके बाद भी लखनऊ के विकेट गिरते रहे और अंत में टीम तीन रन से यह मैच हार गई।
इस मैच में लखनऊ के कप्तान और खिलाड़ियों ने कई गलतियां की, जिसका फायदा राजस्थान को मिला। इसी वजह राजस्थान की टीम खराब शुरुआत के बावजूद यह मैच जीत पाई।
जीत के बाद राजस्थान की टीम
मैच में टर्निंग प्वाइंट
1. लखनऊ की टीम ने इस मैच में दो अहम कैच छोड़े, जिसकी वजह से राजस्थान 165 रन बनाने में कामयाब रहा। पहले रवि बिश्वनोई ने अपनी ही गेंद पर देवदत्त पडिक्कल का कैच छोड़ा। चौथे ओवर में जीवनदान मिलने के बाद पडीक्कल 10वें ओवर में आउट हुए। वहीं क्रुणाल पांड्या ने 14वें ओवर में हेटमेयर का आसान कैच छोड़ा। यह कैच लखनऊ की टीम पर बहुत भारी पड़ा। इस समय हेटमेयर 14 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने 19 गेंदों में 44 रन बनाए।
राजस्थान की बल्लेबाजी में ज्यादा गहराई नहीं है और इस मैच में 67 रन के स्कोर पर टीम के चार अहम विकेट गिर चुके थे। इसके बाद शिमरोन हेयमेयर ने 59 रन की बेहतरीन पारी खेली और अपनी टीम को 165 के स्कोर तक ले गए। उन्होंने अश्विन के साथ 68 और रियान पराग के साथ 28 रन की अहम साझेदारी की।
2. वानखेडे़ की पिच पर 165 रन का बचाव करना आसान नहीं था, लेकिन ट्रेंट बोल्ट ने दूसरी पारी की पहली दो गेंदों में कप्तान राहुल और कृष्णप्पा गौतम को आउट करके राजस्थान को मैच में ला दिया है।
3. लखनऊ के लिए कोई बल्लेबाज टिककर नहीं खेल सका और टीम नियमित अंतराल पर विकेट गंवाती रही। इसी वजह से बल्लेबाजी के लिए आसान पिच पर भी लखनऊ की टीम 165 रन नहीं बना पाई।
4. आखिरी ओवर में लखनऊ को जीत के लिए 15 रन की जरूरत थी, लेकिन अपना पहला मैच खेल रहे कुलदीप सेन ने स्टोइनिस को लगातार तीन गेंदों पर कोई रन नहीं बनाने दिया और अपनी टीम को जीत दिला दी।
इस मैच में संजू सैमसन और लोकेश राहुल दोनों अपनी कप्तानी से कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाए। दोनों कप्तान मैच के दौरान साधारण नजर आए। हालांकि, संजू ने दूसरी पारी में अपने प्रमुख गेंदबाजों को पहले गेंदबाजी कराई और टीम को मैच में बनाए रखा। इसी का फायदा उन्हें अंत में मिला और कुलदीप सेन ने टीम को विजेता बना दिया।
संजू ने युजवेन्द्र चहल से दूसरी पारी का 18वां ओवर कराया। इस ओवर में 15 रन बने और एक विकेट गिरा। वो पहले ही चहल के ओवर खत्म कर सकते थे। वानखेडे़ के मैदान में ओस का असर बहुत ज्यादा होता है और स्पिन गेंदबाजों को बाद में परेशानी हो सकती है। ऐसे में चहल के ओवर 15वें ओवर से पहले खत्म किए जा सकते थे। वहीं युवा कुलदीप सेन से दबाव वाला आखिरी ओवर कराना समझदारी नहीं थी, लेकिन उनका दांव सफल रहा।
वहीं लखनऊ के कप्तान लोकेश राहुल ने इस मैच में कई गलत फैसले लिए। उनकी टीम पिछले तीन मैच जीतकर आ रही थी। इसके बावजूद उन्होंने टीम में बदलाव किया। राजस्थान को 165 पर रोकने के बाद जब वो बल्ले से कोई कमाल नहीं कर सके। इसके बाद बल्लेबाजी क्रम में भी उन्होंने जरूरत से ज्यादा प्रयोग किए। कृष्णप्पा गौतम को तीसरे और जेसन होल्डर को चौथे नंबर पर भेजा गया, जबकि उस समय ऐसे बल्लेबाज की जरूरत थी, जो मैच को आगे ले जा सके। इस स्थिति में हुड्डा या क्रुणाल पांड्या बेहतर विकल्प हो सकते थे।
सकारात्मक पक्ष: राजस्थान की मजबूत बल्लेबाजी को लखनऊ के गेंदबाजों ने ज्यादा रन नहीं बनाने दिए और 165 के स्कोर पर रोक दिया। वानखेडे़ के मैदान पर यह अच्छा प्रदर्शन कहा जा सकता है। कप्तान राहुल के आउट होने के बाद डिकॉक और हुड्डा ने पारी को संभाला। अंत में क्रुणाल पांड्या और स्टोइनिस ने भी कमाल किया। लगातार विकेट गिरने के बावजूद टीम अंत तक मैच में बनी रही।
नकारात्मक पक्ष: ऑलराउंडर स्टोइनिश को मैच फिनिश करने के लिए रखा गया है, लेकिन वो पहला मैच खेल रहे कुलदीप सेन की पांच गेंदों में 14 रन नहीं बना पाए। वो लगातार तीन गेंदों पर कोई रन नहीं बना पाए और उनकी टीम मैच हार गई। कप्तान राहुल बल्ले से कमाल नहीं कर पाए। होल्डर, गौतम जैसे ऑलराउंडर फ्लॉप रहे। डिकॉक और हुड्डा सेट होने के बाद आउट हुए और अपनी टीम के लिए मैच नहीं खत्म कर सके।
सकारात्मक पक्ष: गेंदबाजों ने कमाल का प्रदर्शन किया। बोल्ट ने शुरुआती झटके दिए और चहल ने बीच के ओवरों में चार विकेट निकाले। अश्विन ने रन रोके और युवा कुलदीप सेन ने आखिरी ओवर में 15 रन बचा लिए। चार विकेट जल्दी गिरने के बाद अश्विन ने उपयोगी बल्लेबाजी की और हेटमेयर के साथ अहम साझेदारी की। हेटमेयर ने नाबाद 59 रन बनाए।
नकारात्मक पक्ष: शुरुआती चार बल्लेबाज कुछ खास नहीं कर पाए। राजस्थान की बल्लेबाजी में गहराई नहीं है, ऐसे में हर मैच में बल्लेबाजों का बड़ा स्कोर बनाना जरूरी है। वानखेडे़ की आसान पिच पर टीम 165 रन ही बना सकी। चहल ने विकेट को लिए, लेकिन बहुत महंगे साबित हुए। वहीं अश्विन को कोई सफलता नहीं मिली।