सचिन तेंदुलकर-राहुल द्रविड़ की तरह Anil Kumble के बेटे भी पिता के पदचिन्हों पर

Update: 2024-09-02 11:56 GMT
  Lifetyle.लाइफस्टाइल: मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर उनकी तरह क्रिकेट खेलते हैं। वह इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में मुंबई इंडियंस (MI) के लिए भी खेलते दिखे हैं। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और टी20 वर्ल्ड कप चैंपियन कोच राहुल द्रविड़ के बेटे समित भी अपने पिता की राह पर चले हैं। हाल ही में उनका चयन भारत की अंडर-19 टीम में हुआ। द्रविड़ के छोटे बेटे अन्वय भी क्रिकेटर ही हैं। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले के बेटे मायस भी अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हैं, लेकिन क्रिकेटर नहीं हैं। वह फोटोग्राफर हैं। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले को फोटोग्राफी का इतना शौक था उन्हें अक्सर मैच के दौरान कैमरे से साथ देखा जाता था। उनके बेटे मायस कुंबले भी इस पैशन को फॉलो करते हैं। वह वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर हैं। वह किताब भी लिख चुके हैं। इसका नाम है’सफारी सागा: वाइल्ड एनकाउंटर्स ऑफ ए यंग फोटोग्राफर।’ 2022 में यह किताब आई थी।
कुंबले के साथ हमेशा कैमरा रहता था
दिग्गज स्पिनर कुंबले को बचपन से ही फोटोग्राफी का शौक था। 1980 के दशक के आखिर में अंडर-17 क्रिकेट से ही हमेशा से कुंबले के साथ कैमरा रहता था। इसलिए, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि उन्होंने अपने बेटे को वाइल्ड फोटोग्राफी की ओर जाने दिया। अनिल ने इस किताब के विमोचन के दौरान बताया था कि मायस ने बहुत कम उम्र में क्रिकेट की जगह फोटोग्राफी को चुन लिया था। मायस को क्रिकेट एकेडमी में दाखिला दिलाया था। छह हफ्ते तक एकेडमी में रहने के बाद दिग्गज स्पिनर के बेटे ने तय कर लिया था कि वह क्रिकेटर नहीं बनेंगे।
मायस को एकेडमी में दाखिला दिलाया
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार कुंबले ने कहा था,” आमतौर पर खेल पिता और पुत्र को जोड़ता है। चेतना और मैं बच्चों को बहुत मैच दिखाने ले जाते थे। वे आईपीएल को देखकर बड़े हुए। बचपन में मायस को क्रिकेट देखना बहुत पसंद था। हमने उसे कुछ साल पहले एक एकेडमी में दाखिला दिलाया। उसने वहां छह सप्ताह बिताए और वापस आकर हमसे कहा कि वह क्रिकेट नहीं खेलना चाहता। वह अभी भी खेल को फॉलो करता है, लेकिन वह देखता नहीं है।”
कैमरे के अलावा अन्य गैजेट्स से भी दूर रहे मायस
कुंबले ने कहा, “फोटोग्राफी हमारे लिए एक बड़ी कनेक्ट बन गई। वह कैमरे के अलावा अन्य गैजेट्स से दूर रहे। रणथंभौर में भीषण गर्मी थी और एक बार जब उसे पता चला कि कैमरा मिलने वाला है तो उसने चिलचिलाती गर्मी में दोपहर 2.30 बजे सफारी चलने के लिए कहा। हमने फोटोग्राफी पर विस्तार से चर्चा की।”
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