वीरेन्द्र सहवाग की बड़ी फैन है कमलप्रीत कौर, ओलंपिक के फाइनल में बनाई जगह
नई दिल्ली। भारत की डिस्कस थ्रोअर कमलप्रीत कौर (Kampreet Kaur) ने दमदार प्रदर्शन करते हुए टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) के फाइनल में जगह पक्की कर ली है. भारतीय एथलीट कमलप्रीत पूर्व धुरंधर ओपनर वीरेन्द्र सहवाग (Virender Sehwag) की बड़ी फैन हैं. वह 'किसी दिन' क्रिकेट टूर्नामेंट में खेलना चाहती हैं लेकिन इसी शर्त पर की यह उनके 'पहले जुनून (चक्का फेंक)' के रास्ते में ना आए. उनके मन में क्रिकेट में करियर बनाने का विचार भी आया था लेकिन अब वह टोक्यो में इतिहास रचने की दहलीज पर खड़ी हैं.
इस 25 साल की खिलाड़ी ने चक्का फेंक में 64 मीटर के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास की बदौलत शनिवार को फाइनल राउंड के लिए क्वालीफाई किया. उन्होंने कहा कि उनमें एक बल्लेबाज के रूप में क्रिकेट खेलने की 'स्वाभाविक प्रतिभा' है. कोरोना वायरस से बचाव के लिए देशभर में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान मनोवैज्ञानिक चुनौतियों से निपटने के लिए उन्होंने पिछले साल क्रिकेट में अपना हाथ आजमाना शुरू कर दिया था. उन्होंने कहा, 'मैं चक्का फेंक नहीं छोड़ रही हूं, यह मेरा पहला जुनून है. मैं सोमवार को पदक जीतकर भारतीय एथलेटिक्स संघ (एएफआई) और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) का कर्ज चुकाना चाहती हूं. उन्होंने मेरे प्रशिक्षण, प्रतियोगिता के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है.' कमलप्रीत ने एक इंटरव्यू में कहा, 'ओलंपिक के बाद मैं विश्व चैंपियनशिप (2022) और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतना चाहती हूं.'
कमलप्रीत ने कहा, 'मैं किसी दिन हालांकि कुछ क्रिकेट टूर्नामेंटों में खेलना चाहती हूं. वह (क्रिकेट) मेरा दूसरा जुनून है. मैं एथलेटिक्स जारी रखते हुए क्रिकेट भी खेल सकती हूं. मैंने अपने गांव और आसपास की जगहों पर क्रिकेट खेला है. मुझे लगता है कि मुझमें क्रिकेट खेलने की नैसर्गिक प्रतिभा है.' कमलप्रीत को बल्लेबाजी करना पसंद है और वह भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग और पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की प्रशंसक हैं.
25 साल की कमलप्रीत एक वक्त डिप्रेशन से जूझ रही थीं. उन्होंने कहा, 'मुझे सहवाग या धोनी की तरह बल्लेबाजी करना पसंद है. उनके पास तकनीक कम है लेकिन वे किसी भी गेंदबाज के खिलाफ बड़े शॉट खेल सकते हैं. खासकर सहवाग की मुझे उनकी कई बेहतरीन पारियां याद हैं.' उन्होंने कहा, 'मै सहवाग की वेस्टइंडीज के खिलाफ खेली गई दोहरी शतकीय पारी (2011 में इंदौर में 219 रन) और बांग्लादेश के खिलाफ एकदिवसीय विश्व कप (2011 में 140 गेंद में 175 रन) की पारियों को कभी नहीं भूल सकती हूं.' उन्हें महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और ओपनर रोहित शर्मा की बल्लेबाजी भी काफी पसंद है.
शनिवार को चक्का फेंक के इसी स्पर्धा में अनुभवी सीमा पूनिया (Seema Punia) फाइनल के लिए क्वालीफाई करने में नाकाम रहीं. कमलप्रीत ने इससे पहले भारत में विभिन्न प्रतियोगिताओं में 65.06 मीटर और 66.59 मीटर के थ्रो के साथ राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था जिसके बाद सीमा ने पिछले दिनों एएफआई से कमलप्रीत की हाइपरएंड्रोजेनिज्म (महिलाओं की तुलना में शरीर में टेस्टोस्टेरोन की अधिक मात्रा) जांच की मांग की थी. महासंघ ने हालांकि उनके आरोपों को खारिज कर दिया था. कमलप्रीत ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, 'मैं (आरोपों से) आहत थी. वह मुझसे सीनियर हैं और मुझे मार्गदर्शन देने के बजाय बिना किसी सबूत के आरोप लगा रही थीं.' अपने पहले ओलंपिक के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'ओलंपिक एक बड़ा मौका है. मैं शुरुआती थ्रो से पहले नर्वस महसूस कर रही थी लेकिन फिर मुझे अच्छा लगा. तीसरे थ्रो तक अच्छे प्रदर्शन को लेकर मैं आश्वस्त थी और इसीलिए मैंने 64 मीटर की दूरी तक चक्का फेंका.'