भारत के लिए स्वर्ण जीती पत्रकार की बेटी, पीएम मोदी से मिलने का सपना
सादिया तारिक फाइनल बाउट जीत चुकी थीं फिर भी उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वह वूशु में स्वर्ण जीतने वाली देश की दूसरी कश्मीरी बेटी बन गई हैं
सादिया तारिक फाइनल बाउट जीत चुकी थीं फिर भी उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वह वूशु में स्वर्ण जीतने वाली देश की दूसरी कश्मीरी बेटी बन गई हैं। कोच पास में आए और उन्हें गले लगाया तो वह फूट-फूटकर रोने लगी हैं। 15 साल की सादिया ने मास्को से खुशी के आंसू थे। ऐसे आंसू जो भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने पर निकले थे।
श्रीनगर के पत्रकार की बेटी सादिया साफ करती हैं कि जिन विपरीत परिस्थितियों में तैयारी की उससे उन्हें उम्मीद है कि कश्मीरी बेटियों के लिए यह स्वर्ण वरदान बनेगा। पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से मास्को वूशु स्टार चैंपियनशिप में उनके जीते गए स्वर्ण पर किए गए ट्वीट पर सादिया के पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे हैं।
वह कहती हैं कि यह सपना है। वह दिन में देश के लिए स्वर्ण जीतने का सपना देखती थी आज पीएम ने उनका सफलता पर ट्वीट किया है। वह विश्वास दिलाती हैं कि आगे वह ऐसा प्रदर्शन करेंगी जिससे उनका पीएम से मिलने की ख्वाहिश पूरी हो सकेगी। सानशोउ के 48 किलो में जीतने वाली सादिया के निशाने पर अब यूथ ओलंपिक होगा।
हालातों से लगा अब नहीं खेल पाऊंगी
सादिया तीन साल की थीं जब उनके पिता तारिक अहमद लोन और मां माइमोना उन्हें ताईक्वांडो में डाला। माता-पिता चाहते थे कि उनकी बेटी एक दिन देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेले, लेकिन थोड़े दिन बाद उन्हें वूशु अच्छा लगा तो उन्होंने इसे अपना लिया।
सादिया के मुताबिक बीते कुछ सालों में श्रीनगर में पनपे हालातों और कोरोना के कारण उनकी तैयारियां बंद हो गई थीं। वह अकादमी में ट्रेनिंग के लिए नहीं जा पाती थीं। लगा कि वह कभी खेल भी पाएंगी या नहीं, लेकिन माता-पिता, उनकेकोच रमीज और राष्ट्रीय कोच कुलदीप हांडू उनका हौसला बढ़ाते रहे।
अकादमी बंद थी तो सादिया ने घर पर ही प्रैक्टिस की। उनका ऑन लाइन प्रशिक्षण शुरू कराया गया। उनसे पहले 2020 में कश्मीर की मुनाजा गाजी ने इसी चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने वाली कश्मीरी महिला खिलाड़ी बनी थीं।
मां बोली जल्दी आ जा तेरा चेहरा देखना है
सादिया बताती हैं कि कश्मीर के बच्चों में वूशु को लेकर बेहद प्यार है। उनकी अकादमी में 50 के करीब बच्चे हैं। उन्हें सफलता मिली है लेकिन उन्हें रुकना नहीं है। वह चाहती हैं कि उनकी इस सफलता से प्रेरित होकर दूसरे कश्मीरी बच्चे भी आगे आएं।
सादिया यही अपील करती हैं कि कश्मीर में अगर एक मल्टीपरपरज हॉल उपलब्ध करा दिया जाए तो वहां खेलों को लेकर क्रांति आएगी। सादिया ने स्वर्ण जीतने केबाद माता-पिता से बात की तो उन्होंने यही कहा कि बस जल्दी से आ जा तुम्हारा चेहरा देखना है