नई दिल्ली। भारतीय जूनियर हॉकी टीम के उप-कप्तान बॉबी सिंह धामी ने मेन्स जूनियर एशिया कप 2023 जीतकर न केवल खुद को अपने करियर में बड़ी उपलब्धियां हासिल करने के लिए तैयार किया है बल्कि जो भी होता है, उसके पीछे एक कारण होता है के मुहावरे को भी चरितार्थ किया है।
बॉबी केवल 10 साल के थे, जब उनके ड्राइवर पिता श्याम सिंह धामी के साथ हुई एक दुखद दुर्घटना ने उनकी माँ को उनके मामा के साथ उत्तराखंड के एक सुंदर शहर टनकपुर में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा।
बॉबी के चाचा प्रकाश पूर्व राष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी थे। युवा बॉबी अपने चाचा के साथ मैदान पर जाता था, जहाँ उनके चाचा स्थानीय बच्चों को हॉकी का प्रशिक्षण देते थे। धीरे-धीरे बॉबी की रूचि भी हॉकी की ओर हो गई। इसके बाद 16 साल की उम्र तक उनका चयन सोनीपत के साई सेंटर में हो गया।
बॉबी ने कहा, जब मेरे पिता की दुर्घटना के बाद मेरे परिवार को मुश्किलों का सामना करना पड़ा, तो हमारे पास पैसे नहीं थे। मेरे माता-पिता मेरी शिक्षा का खर्च भी नहीं उठा सकते थे और मेरी माँ ने मुझे मेरे चाचा के घर भेजने का फैसला किया। एक बच्चे के रूप में, यह स्पष्ट रूप से उस समय मुश्किल था, लेकिन अब पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मुझे एहसास होता है, अगर वह दुर्घटना कभी नहीं हुई होती, तो मैं शायद कभी हॉकी नहीं खेल पाता।