IND vs NZ: टीम इंडिया पर भारी पड़ा सात दिनों का गैप, विराट और पंत की लय टूटी

टी-20 विश्वकप लगातार दूसरी हार के बाद भारतीय टीम के सेमीफाइनल में पहुंचने की उम्मीदें लगभग खत्म हो चुकी हैं।

Update: 2021-11-01 03:26 GMT

टी-20 विश्वकप लगातार दूसरी हार के बाद भारतीय टीम के सेमीफाइनल में पहुंचने की उम्मीदें लगभग खत्म हो चुकी हैं। अब भारत की किस्मत बहुत अच्छी होने पर ही उसे सेमीफाइनल का टिकट मिलेगा। न्यूजीलैंड के खिलाफ हार के बाद टीम इंडिया पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं और लोग जानना चाह रहे हैं कि किन वजहों से भारत के खिलाड़ी इतना साधारण खेल दिखा रहे हैं।

कीवी टीम के खिलाफ भारत के खराब प्रदर्शन के लिए सात दिनों का गैप भी जिम्मेदार रहा है। टी-20 वर्ल्डकप 2021 में भारत ने अपना पहला मैच 24 अक्तूबर को खेला था। इसके सात दिन बाद 31 अक्तूबर को भारतीय खिलाड़ी मैदान में उतरे। इस वजह से विराट और पंत जैसे खिलाड़ियों की लय भी टूट गई और बाकी खिलाड़ी भी फॉर्म में वापसी नहीं कर पाए। साथ ही टीम इंडिया के खिलाड़ियों की बॉडी लैंग्वेज भी शुरू से खराब दिखी। 

इस टूर्नामेंट में सुपर-12 के मैच शुरू होने से पहले अभ्यास मैच खेले गए थे और सभी भारतीय खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया था। भारत ने अपने दोनों अभ्यास मैच जीते थे। अभ्यास मैच के बाद चौथे दिन भारतीय खिलाड़ी पाकिस्तान के खिलाफ मैदान पर उतरे। इस मैच में विराट और पंत के अलावा कोई भी भारतीय खिलाड़ी लय में नहीं दिखा। इसी वजह से भारत को हार का सामना करना पड़ा। 

लगातार मैच खेलने से मिलता फायदा

इस टूर्नामेंट में भारत के अलावा किसी भी दूसरी टीम के दो मैचों के बीच इतना लंबा अंतराल नहीं था। सिर्फ भारत ने ही सात दिनों बाद कोई मैच खेला। भारतीय खिलाड़ियों को इसका नुकसान उठाना पड़ा है। लगातार मैच खेलने से खिलाड़ियों की लय बनी रहती और कई खिलाड़ी खराब फॉर्म से उबर कर अच्छी पारियां भी खेलते। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। ऑस्ट्रेलिया के डेविड वार्नर ने ऐसा करके भी दिखाया है। 

कमजोर टीमों से खेलने का फायदा होता

भारत अगर सात दिनों के गैप में किसी कमजोर टीम जैसे नामीबिया और स्कॉटलैंड से खेलता तो उसके बल्लेबाजों को पॉजिटिव माइंडसेट में वापसी का मौका मिलता। हो सकता है टीम जीतती, तो भारतीय खिलाड़ियों का बॉडी लैंग्वेज भी पॉजिटिव हो पाता। खिलाड़ी न्यूजीलैंड जैसे बड़े मैच में सकारात्मक सोच के साथ उतरते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यानी भारत को किसी कमजोर टीम से खेलने का फायदा मिलता। पाकिस्तान और इंग्लैंड जैसी टीमें भी कमजोर टीमों के खिलाफ मैच खेल चुकी हैं। भारत के साथ ऐसा नहीं हुआ।

पाकिस्तान भी रहा भारत की हार का कारण

जब सात दिनों बाद भारतीय टीम मैदान पर उतरी, तब तक पाकिस्तान ने लगातार तीन मैच खेलकर उसे जीत लिया था। भारतीय टीम पर मैच से पहले ही इसका दबाव था कि पाकिस्तान टीम इतना अच्छा खेल रही है, जबकि उन्हें अभी नॉकआउट (करो या मरो) मैच न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलना है, यह दबाव टीम को ले डूबी। इसका असर भारतीय खिलाड़ियों के बॉडी लैंग्वेज में दिखा। भारत ने अगर बीच में कमजोर टीम से एक या दो मैच खेल लिया होता, तो शायद न्यूजीलैंड के खिलाफ यह नतीजा नहीं होता। 

न्यूजीलैंड के खिलाफ अनाड़ियों की तरह खेले भारतीय खिलाड़ी

न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच में ऐसा लगा कि भारतीय खिलाड़ी अनाड़ियों की तरह खेल रहे हैं। किसी क्षेत्र में भारत का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। लंबे अंतराल के बाद मैदान में उतरने से सभी खिलाड़ियों को फिर से अपनी लय हासिल करनी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब टीम इंडिया सेमीफाइनल की रेस से लगभग बाहर हो चुकी है। वहीं भारत के दोनों बड़े मैच दुबई के मैदान पर रखे गए, जहां टॉस की अहमियत सबसे ज्यादा है। भारत दोनों मैचों में टॉस हारा और बाद में उसे मैच भी गंवाने पड़े।

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