टोक्यो ओलंपिक में दीपिका कुमारी ने बताया की कहां हुई चूक अगर ये शख्स होता तो मिलता फायदा

दीपिका ने बताया है कि उनसे गलती कहां हुई. दीपिका ने सोमवार को स्वीकार किया कि उन्हें ओलिंपिक खेलों में दबाव में आने से बचने की जरूरत है और भविष्य में वांछित नतीजे हासिल करने के लिए खेलों के सबसे बड़े मंच को अलग नजरिए से देखने की जरूरत है. उन्होंने साथ ही मनोवेज्ञानिक की कमी पर जोर देते हुए कहा है उनके रहने से मदद मिलती.

Update: 2021-08-09 15:38 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :-  टोक्यो ओलिंपिक-2020 (Tokyo Olympics-2020) से पहले पेरिस में तीरंदाजी विश्व कप का आय़ोजन किया गया था और इस विश्व कप में भारत की महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी (Deepika Kumari) ने तीन स्वर्ण पदक जीते थे और इसी के साथ दीपिका से ओलिंपिक में पदक जीतने की उम्मीदें बढ़ गई थीं, लेकिन दीपिका इन खेलों में उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाईं और पदक जीतने से चूक गईं. दीपिका ने बताया है कि उनसे गलती कहां हुई. दीपिका ने सोमवार को स्वीकार किया कि उन्हें ओलिंपिक खेलों में दबाव में आने से बचने की जरूरत है और भविष्य में वांछित नतीजे हासिल करने के लिए खेलों के सबसे बड़े मंच को अलग नजरिए से देखने की जरूरत है. उन्होंने साथ ही मनोवेज्ञानिक की कमी पर जोर देते हुए कहा है उनके रहने से मदद मिलती.

दीपिका अच्छी फॉर्म में चल रही थीं और 27 साल की इस खिलाड़ी से टोक्यो ओलिंपिक में भारत के लिए तीरंदाजी का पहला ओलिंपिक पदक जीतने की उम्मीद थी. दीपिका को हालांकि व्यक्तिगत और मिश्रित युगल दोनों स्पर्धाओं के क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा जिससे एक बार फिर ओलिंपिक में उनके अभियान का निराशाजनक अंत हुआ. कोलकाता लौटने के बाद दीपिका ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा, ''वो पांच छल्लों का दबाव, हावी हो जा रहा है.''
इस चीज पर काम करने की जरूरत
दीपिका ने कहा कि वह समझ सकती हैं कि पदक के पीछे भागने की जगह उन्हें ओलिंपिक में 'लम्हे का लुत्फ उठाने' पर काम करने की जरूरत है जिसकी उन्हें कमी खलती है. उन्होंने कहा, ''सभी कह रहे हैं कि हमारे पास पदक नहीं है, हमारे पास पदक नहीं है. हमने इसके बारे में वहां हजार बार सोचा और यह हमारी मानसिकता पर हावी रहा. इसका मानसिक असर रहा और हमारी तकनीक प्रभावित हुई. समय आ गया है कि मैं अपने खेल का आत्मविश्लेषण करूं और इसे अलग नजरिए से देखूं. काफी चीजों की कमी खल रही है. असल में हमें अपने खेल का नजरिया बदलने की जरूरत है.''
इससे होता फायदा
अपने पति और भारत के नंबर एक तीरंदाज अतनु दास की तरह दीपिका ने भी कहा कि मनोवैज्ञानिक की मौजूदगी से मदद मिलती. उन्होंने कहा, ''इससे काफी मदद मिलती. हमें ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो हमारा मनोबल बढ़ाए.''दीपिका और दास विश्व चैंपियनशिप के चयन ट्रायल में चूकने के बाद अगले महीने विश्व कप फाइनल में हिस्सा लेंगे.
सभी टूर्नामेंट्स को एक मानना होगा
उन्होंने कहा, ''हमें सभी प्रतियोगिताओं को एक तरह से देखना होगा, यह विश्व कप हो, विश्व चैंपियनशिप या ओलिंपिक। लेकिन वहां (ओलिंपिक) हम पदक के बारे में काफी अधिक सोचते हैं. हमें चीजों को पेचीदा नहीं बनाना होगा और उस लम्हे का लुत्फ उठाना होगा. विश्व कप या विश्व चैंपियनशिप में भी पदक ही सर्वोच्च लक्ष्य होता है लेकिन हम कभी इसके बारे में लगातार नहीं सोचते, लेकिन एक बार ओलिंपिक में पहुंचने के बाद हम पदक जीतने के विचार से दूर नहीं हो पाते. हमें इस पर काम करने की जरूरत है. ''
हैरान थे दीपिका और कोच
दीपिका को व्यक्तिगत क्वार्टर फाइनल में कोरिया की बीस साल की आन सान के खिलाफ सीधे सेटों में हार का सामना करना पड़ा. व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाली आन सान भी दीपिका के खिलाफ दबाव में दिखी और अंतिम दो सेट में 26 अंक ही जुटा सकीं. दीपिका ने हालांकि बेहद लचर प्रदर्शन किया और लगातार तीन बार सात और एक आठ अंक के साथ मुकाबला गंवा दिया. दीपिका ने इससे पहले प्री क्वार्टर फाइनल में रूप से अनुभवी सेनिया पेरोवा को हराया था. उन्होंने शूट ऑफ में 10 अंक पर निशाना साधा था.
इस तीरंदाज ने कहा, ''मैं काफी अच्छा खेल रही थी लेकिन तीर बीच में नहीं लग रहे थे- यह रहस्य था. मैं और मीम सर (कोच मीम गुरुंग) हैरान थे, ''


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