गुरजंत सिंह ने India को जिताया वर्ल्ड कप, टीम के लिए सकारात्मकता का डोज है यह युवा खिलाड़ी
पंजाब में हॉकी खेलने के लिए प्रेरणा लेने के लिए किसी शख्स को दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ती
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पंजाब में हॉकी खेलने के लिए प्रेरणा लेने के लिए किसी शख्स को दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ती. परिवार में, गांव में शहर में कोई न कोई ऐसा होता है जो हॉकी से जुड़ा हुआ होता है. यही कारण है कि मौजूदा हॉकी टीम में अधिकतर खिलाड़ी पंजाब के ही हैं. सिर्फ पंजाब ही नहीं बल्कि भारतीय टीम दो भाइयों की एक जोड़ी भी जो साल 2016 में टीम को जूनियर वर्ल्ड कप जीता चुकी है. हम बात कर रहे हैं गुरजंत सिंह (Gurjant Singh) और उनके कजिन भाई सिमरनजीत सिंह (Simranjeet Singh).
गुरजंत सिंह ने चंडीगढ़ को अंडर17 स्कूल नेशनल्स का खिताब दिलाया. वहीं इसके बाद उन्होंने पंजाब को अंडर-21 का खिताब भी दिलाया था. साल 2011 में उनके सबसे पहले कोच जसबीर बाजवा का निधन हो गया था. इससे उन्हें काफी दुख हुआ था. बाजवा का सपना था कि गुरजंत टीम इंडिया के लिए खेलें. गुरजंत भारतीय जूनियर का हिस्सा रहे और उसके साथ ही यूरोप के दौरे पर गए थे. इसके बाद गुरजंत सिंह को स्कॉलरशिप के साथ ओएनजीसी की ओर से खेलने का मौका मिला.
ननिहाल में शुरू हुआ हॉकी का सफर
गुरजंत सिंह के परिवार में कोई हॉकी नहीं खेलता था. हालांकि उनके ननिहाल में जरूर इस खेल का काफी प्रभाव था. वह जब अपने ननिहाल बाटाला जाते थे तो वहां अपने भाईयों को खेलते देखते थे. एक बार वह वहां गए औऱ तीन महीने वही रहकर हॉकी खेला. इसके बाद अपने ममेरे भाई की मदद से वह चंडीगढ़ की अकेडमी में ट्रेनिंग चले गए. वहां वह स्कूल जाते थे और फिर आकर ट्रेनिंग करते थे. हालांकि वहां कोई टर्फ नहीं था. अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए जरूरी था कि वह ऐसी जगह जाएं जहां उन्हें बेहतर ट्रेनिंग मिल सके.
रुपिंदरपाल सिंह से मिली मदद
अकेडमी के दौरान गुरजंत सिंह टीम इंडिया के अनुभवी खिलाड़ियो रुपिंदरपाल सिंह और धर्मवीर सिंह के साथ ट्रेनिंग करते थे. रूपिंदर गुरजंत के दूर के रिश्तेदार भी हैं और करियर की शुरुआत से ही वह उनसे खेल से जुड़े मुद्दों पर सलाह लेते आए हैं. साल 2016 में उन्हें जूनियर वर्ल्ड कप की टीम के लिए चुना गया. अपने भाई सिमरनजीत सिंह के साथ मिलकर उन्होंने टीम को खिताब दिलाया और यहीं से सीनियर टीम के सेलेक्टर्स की नजरों में आए. टीम इंडिया के पूर्व कोच हरेंद्र सिंह का मानना है कि गुरजंत टीम में सकारात्मक माहौल बनाए रखते हैं जो टीम में बाकी खिलाड़ियों की भी मदद करता है. जिन खिलाड़ियों का चयन नहीं होता है गुरजंत उनसे बात करते हैं उन्हें समझते हैं और बेहतर करने के लिए प्रेरित करते हैं.