गावस्कर ने कहा -मैं कप्तान होता तो अधिक अभ्यास मैचों की मांग करता

विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल के बाद कप्तान विराट कोहली ने टीम इंडिया की हार का कारण अभ्यास मैचों का न होना बताया था।

Update: 2021-08-03 07:38 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |   विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल के बाद कप्तान विराट कोहली ने टीम इंडिया की हार का कारण अभ्यास मैचों का न होना बताया था। फाइनल और बुधवार से इंग्लैंड के खिलाफ शुरू हो रही पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के बीच टीम इंडिया के पास इंग्लैंड में करीब एक महीने का समय था लेकिन इस बीच उसने डरहम के साथ सिर्फ एक अभ्यास मैच खेला। भारत के पूर्व कप्तान व दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने कहा कि अगर मैं कप्तान होता तो इंग्लैंड दौरे पर जाने से पहले ही अधिक अभ्यास मैचों की मांग रखता। इसके अलावा भी सीरीज से जुड़े कई मुद्दों पर सुनील गावस्कर से अभिषेक त्रिपाठी ने खास बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश :

-ओलिंपिक में भारतीय हाकी टीम के मैच आपने देखे?
-जी, बिलकुल। जब भी हाकी टीम इस तरह की सफलताएं हासिल करती है तो बहुत गर्व महसूस होता है। क्योंकि हाकी बहुत ही तेज खेल है और उसके लिए जबर्दस्त फिटनेस व कौशल की जरूरत होती है। सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि महिला टीम ने आस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर कीíतमान रचा है। जब भी ये टीमें वापस आएंगी तो उनका भव्य स्वागत व सम्मान होना चाहिए।
क्या आपको लगता है इंग्लैंड की टीम से उसके घर में निपटने के लिए टीम इंडिया पूरी तरह से तैयार है?
-मेरे हिसाब से अगर वह सीरीज से पहले तीन या चार अभ्यास मैच खेलते तो ज्यादा अच्छा रहता लेकिन टीम इंडिया को एक ही अभ्यास मैच खेलने को मिला, बाकी इंट्रा स्क्वाड मैच (आपसी खिलाडि़यों से बनी टीम के मैच) तो एक तरह से नेट प्रैक्टिस की तरह ही है। बस आपने नेट्स को हटा दिया और वह इंट्रा स्क्वाड मैच बन गया। इसमें गेंदबाज भी खुद को रोककर गेंदबाजी करता है कि कहीं बाउंसर से अपने ही बल्लेबाज को ना चोटिल कर बैठे। गेंदबाज सही तरह से अभ्यास नहीं कर पाते हैं। वहीं बल्लेबाज भी खुलकर नहीं खेल पाते हैं। मैं यह भी समझ सकता हूं कि कोरोना वायरस के चलते ऐसा नहीं हो रहा है। हालांकि मैं आलोचना नहीं कर रहा हूं, बस मेरा मानना है कि अगर दो से तीन अभ्यास मैच और मिलते तो
शायद ज्यादा अच्छी तैयारी रहती।

डब्ल्यूटीसी में जब भारत की हार हुई तो सभी ने अभ्यास मैचों की कमी बताई। वेंगसरकर ने भी कहा था कि हम दौरों में तीन-चार अभ्यास मैच खेलते थे? क्या टीम इंडिया ने कुछ सीखा
-देखिए क्या सीखा है यह तो नहीं बता सकता हूं। उसके लिए हमें टीम इंडिया के मैदान में उतरने का इन्तजार करना होगा। बाकी भारतीय क्रिकेट खेल प्रेमी होने के नाते कहना चाहूंगा कि जिस तरह का संतुलन वर्तमान टीम इंडिया के पास है, ऐसा बहुत कम भारतीय टीमों में देखा गया है। इनके पास विश्व स्तर के तेज गेंदबाज हैं, स्पिनर हैं और उसी स्तर की बल्लेबाजी भी है। ऐसा मिश्रण बहुत ही कम भारतीय टीमों में देखने को मिला है। यही कारण है कि उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं और डब्ल्यूटीसी हारने पर काफी निराशा भी महसूस हुई थी, फिर भी मुझे उम्मीद है कि यह टीम इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज को आसानी से अपने नाम करेगी।-अगर आप वर्तमान टीम इंडिया के कप्तान होते और इतने दिन इंग्लैंड में होते तो आपकी क्या रणनीति रहती और बीसीसीआइ से आप क्या मांग रखते?
-देखिए, मांग तो सीरीज के लिए भारत से निकलने से पहले की जाती है। उन्हें यह मांग करनी थी कि इतना अधिक समय है अगर एक-दो अभ्यास मैच मिल जाते तो अच्छा रहता। ऐसे में जब आप इंग्लैंड चले गए और डब्ल्यूटीसी फाइनल में हार गए उसके बाद यह कहना कि अभ्यास मैचों की कमी रह गई। इन सब चीजों की मांग बोर्ड से पहले रखनी होती है, क्योंकि इंग्लैंड की कांउटी टीमों का भी कार्यक्रम तय रहता है। मैं कप्तान होता तो पहले ही मांग रखता। आपको पता था कि आइपीएल मई की शुरुआत में स्थगित हो गया था। आप लोग मई के अंत में इंग्लैंड के लिए निकले। इस बीच में पूरे एक महीने का समय डब्ल्यूटीसी फाइनल से पहले बचा हुआथा। इसके अलावा आपको पता था कि अगर एकबार इंग्लैंड चले गए तो कोरोना में वापस आना मुश्किल है। ऐसे में अगर मैं कप्तान होता तो बोर्ड से ये मांग रखता कि इतने बड़े फाइनल से पहले अगर एक या दो अभ्यास मैच मिल जाते तो सही रहता। उससे मेरी टीम की बल्लेबाजी, गेंदबाजी का स्तर इसके अलावा कहां पर कमजोरी नजर आ रही है।
भारत के खिलाफ खेलने वाली इंग्लैंड की टीम को कैसे देखते हैं?
-मेरे हिसाब से इंग्लैंड कमजोर नजर आ रही है क्योंकि उनका मैच विनर खिलाड़ी बेन स्टोक्स गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों से टीम को योगदान नहीं दे सकेगा। उसने सीरीज से नाम वापस ले लिया है। तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर भी नहीं खेल रहे हैं।
-आपने इंग्लैंड में काफी क्रिकेट खेला है। अगस्त के माह में वहां गर्मी रहती है तो इस वातावरण में पिच कैसी रहेगी?
-देखिए अगर धूप खिली होती है तो भारत को फायदा मिलेगा। उससे इंग्लिश गेंदबाज फायदा नहीं उठा पाएंगे। हमारे पास स्पिनर भी हैं। हम तीन तेज गेंदबाज और दो स्पिनरों के प्रभावशाली मिश्रण के साथ उतर सकते हैं। अगस्त और सितंबर के माह में इंग्लैंड में खेलने से यह फायदा होता है कि एक तो उनके तेज गेंदबाज थके हुए होते हैं। दूसरा यह कि पिच के ऊपर घास नहीं नजर आती है, जिससे इंग्लैंड के गेंदबाजों को सीम और स्विंग इतनी मिलती नहीं है। इसलिए मैं कह रहा हूं कि भारत को यह सीरीज जीतनी चाहिए।
बेन स्टोक्स और अमेरिका की जिम्नास्ट सिमोन बाइल्स जैसे खिलाड़ी मानसिक बीमारी का हवाला देकर बीच टूर्नामेंट से हटते हैं। क्या कहेंगे?
-अगर बेन यह भी बता देते कि किस तरह की मानसिक बीमारी के चलते उन्होंने यह कदम उठाया तो इससे अन्य खिलाड़ी जिन्हें ऐसा महसूस हो रहा है उनकी भी मदद हो सकती थी। वह अगर इसमें और विस्तार करते हुए यह बताते कि मुझ पर अपेक्षाओं का दबाव है या फिर असफल होने का डर सता रहा है। इसके अलावा यह बताते कि जो दबाव बना हुआ है वह मुझसे सहा नहीं जा रहा है। इन चीजों को भी अगर सामने लाते तो और खिलाडि़यों की भी मदद हो सकती थी। बाकी उनका अपना निर्णय है और उनकी टीम के साथ जो भी बात हुई हो, इससे किसी को कोई समस्या नहीं है। बस इतना कहना चाहूंगा कि खिलाड़ी अगर यह भी बताते हैं कि किस तरह की मानसिक बीमारी उन्हें सता रही है
तो अन्य खिलाडि़यों को भी मदद मिलती। वह भी यह सोचते कि हां इस तरह की समस्या से बड़े-बड़े दिग्गज खिलाडि़यों को भी सामना करना पड़ा है।
कई ओपनरों के होते हुए भारतीय टीम प्रबंधन का पृथ्वी शा को बुलाने के लिए परेशान होना क्या यह दिखाता है कि टीम इंडिया को अभिमन्यु ईश्वरन पर विश्वास नहीं है?
-इस तरह का सवाल तो आपको करुण नायर से भी करना चाहिए, जिन्होंने तिहरा शतक मारा और उसके बाद गायब हो गए। उनके साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ था। अभिमन्यु को तो इस तरह का सवाल अभी नहीं पूछना है लेकिन करुण नायर को तो टीम में चुना गया था और उनकी जगह पर दूसरा खिलाड़ी बाहर से आकर टीम में खेलने लगा और आगे बढ़ गया। बाकी इसका सटीक उत्तर मुझे ज्यादा आपको चयनकर्ताओं या टीम ही टीम बता सकती है।
पृथ्वी शा की वापसी को कैसे देखते हैं?
-आपकी लय अच्छी तो टीम के अंदर और लय खराब तो बाहर। कुछ इसी तरह की घटना पृथ्वी शा के साथ हुई है। उन्होंने घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया और वापसी की लेकिन सवाल यह है कि उनका जो भी प्रदर्शन रहा वह सफेद गेंद के खेल में था। इंग्लैंड में उन्हें लाल गेंद से टेस्ट खेलना है और हम सब जानते हैं कि दोनों गेंद के बर्ताव में काफी अंतर है। इस तरह अगर पृथ्वी अपनी सुधरी हुई तकनीक के साथ टेस्ट में अच्छा करते हैं तो भारतीय क्रिकेट के लिए इससे अच्छा और क्या ही होगा।
इंग्लैंड के दिग्गज स्विंग गेंदबाज जेम्स एंडरसन और उनके साथी स्टुअर्ट ब्राड की गेंदबाजी जोड़ी का हमारे सलामी बल्लेबाजों को किस तरह से सामना करना होगा?-वे दोनों गेंदबाज मिलकर टेस्ट क्रिकेट में 1000 से ऊपर विकेट ले चुके हैं। ऐसे में उन्हें तो संभलकर खेलना ही होगा क्योंकि नई गेंद दोनों तरफ हिलती है और जब आप क्रीज पर आते हो और पैर नहीं चलते हैं तो फिर समस्या खड़ी होने लगती है इसलिए पहला एक घंटा काफी महत्वपूर्ण होता है और उसी समय पर बल्लेबाजों को संभलकर खेलना होगा। एक घंटा क्रीज पर बिताने के बाद फिर आप सेट हो जाते हैं तब अपने शाट खुलकर खेलें और रन बनाए।
-डब्ल्यूटीसी फाइनल की ही तरह अगर बारिश होती है तो क्या उसके बावजूद हमें दो स्पिनरों के साथ उतरना चाहिए?अगर वैसी ही स्थिति रहती है तो शायद इस बार टीम में कुछ बदलाव ला सकते हैं लेकिन कौन से स्पिन गेंदबाज को बाहर करेंगे यह भी तो समस्या उनके सामने है। हम यही आशा करते हैं कि खिली धूप सामने होगी, जिससे इस समस्या का सामना ही ना करना पड़े और मैच का आनंद ले सकें।


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