सिंघु बॉर्डर पर किसान पिता दे रहे हैं धरना, इधर बेटे बन गए हैं नेशनल चैंपियन
नेशनल चैंपियन बनने के बाद इस खिलाड़ी ने कहा कि उन्हें इस बात का मलाल है कि ट्रेनिंग के चलते वो विरोध प्रदर्शन में अपने पिता के साथ नहीं दे पाए
जनता से रिश्ता वेब डेस्क। नई दिल्ली. कुश्ती की नेशनल चैंपियन में पंजाब के पहलवान संदीप सिंह (Sandeep Singh) ने कमाल कर दिया. संदीप ने 74 किग्रा भार वर्ग में नेशनल चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया. संदीप मनसा के एक किसान परिवार से संबंध रखते हैं और इस समय उनके पिता दिल्ली में सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन में शामिल हैं. संदीप को भी इस बात का मलाल है कि वह इस विरोध प्रदर्शन में अपने पिता सागर का साथ नहीं दे पाए. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए संदीप ने कहा कि वह नियमित रूप से वहां जाते रहे हैं, मगर नेशनल चैंपियनशिप की तैयारी के दौरान वह उनका साथ नहीं दे पाए.
इस पहलवान ने कहा कि उन्हें इस मुद्दे की चिंता है, क्योंकि करियर को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें परिवार से आर्थिक रूप से मदद मिलती है और परिवार की कमाई खेती से ही होती है. उन्होंने कहा कि मेरे पास कोई स्पॉन्सर नहीं है, इसीलिए कुश्ती को जारी रखने के लिए हर महीने खर्च होने वाले करीब 30 हजार रुपये उन्हें खेती से ही मिलते हैं. यह मेरी आजीविका है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मैं विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हो पाया और इसके लिए लड़ नहीं सका.
संदीप ने फाइनल में हरियाणा के जितेन्दर सिंह को करीबी मुकाबले में मात दी और अब उन्हें टोक्यो ओलिंपिक की उम्मीद है. भारत को टोक्यो ओलिंपिक के लिए अभी तक 74 किग्रा वर्ग में कोटा नहीं मिला है. उनकी जीत का मतलब है कि उनके लिए एक मौका बन सकता है. हालांकि इस भार वर्ग में पूर्व नेशनल चैंपियन गौरव बालियान, दो बार के ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार की भी मजबूत चुनौती है. क्वालिफायर के लिए चयन ट्रायल मार्च में होंगे.