Shan Masood के खिलाफ आवाज उठने के बाद इंग्लैंड की टेस्ट टीम पाकिस्तान पहुंचने को तैयार

Update: 2024-10-01 13:22 GMT
Islamabad इस्लामाबाद। बेन स्टोक्स की अगुआई वाली इंग्लैंड की टीम बुधवार को पाकिस्तान पहुंचेगी, ऐसे समय में जब राष्ट्रीय टेस्ट कप्तान शान मसूद लगातार हार के कारण आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं, जिसमें हाल ही में बांग्लादेश के हाथों 0-2 से हार भी शामिल है। इंग्लैंड 7 अक्टूबर से पाकिस्तान में तीन टेस्ट खेलेगा, जिसमें पहले दो मैच मुल्तान में और उसके बाद रावलपिंडी में एक मैच होगा। सोमवार को प्री-सीरीज मीडिया कॉन्फ्रेंस के दौरान मसूद को फिर से निशाना बनाया गया, जहां एक पत्रकार ने उनसे अपमानजनक तरीके से पूछा कि वह कप्तानी क्यों नहीं छोड़ रहे हैं। पत्रकार ने पूछा, "आपने कहा था कि जब तक पीसीबी (पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड) आपको अवसर देता रहेगा, आप खेलते रहेंगे। क्या टीम के खराब प्रदर्शन और लगातार हार को देखते हुए आपमें आत्मसम्मान या गरिमा नहीं बची है कि आप कप्तानी छोड़ दें?"
इस पर पीसीबी के मीडिया निदेशक समीउल हसन ने पत्रकारों को याद दिलाया कि राष्ट्रीय कप्तान से बात करते समय शिष्टाचार बनाए रखें। हसन ने कहा, "पाकिस्तान के कप्तान बैठे हैं, आप बेझिझक अपने सवाल पूछ सकते हैं, लेकिन कृपया सम्मान दिखाएं और सुनिश्चित करें कि सवाल अनुचित तरीके से न पूछे जाएं।" इस घटना ने क्रिकेट प्रशंसकों और मीडिया में अपनी राष्ट्रीय टीम के प्रति बढ़ती निराशा को उजागर किया है। कुछ पूर्व खिलाड़ियों ने भी हाल ही में टीम की आलोचना की है। पूर्व टेस्ट बल्लेबाज, मुख्य चयनकर्ता और मुख्य कोच मोहसिन खान ने कहा, "स्थिति खराब है। मैंने पाकिस्तान क्रिकेट में कई संकट देखे हैं। लेकिन चिंता की बात यह है कि हालात सुधारने के लिए कोई समाधान नहीं दिख रहा है।" उन्होंने कहा, "बोर्ड जवाब खोजने और सही कदम उठाने के लिए संघर्ष कर रहा है, जबकि आप महसूस कर सकते हैं कि खिलाड़ी स्थिति की गंभीरता को महसूस नहीं कर रहे हैं।" मसूद ने टेस्ट कप्तान के रूप में अच्छी शुरुआत नहीं की है, पिछले नवंबर में कार्यभार संभालने के बाद से लगातार पांच मैच हारे हैं। यह भी महसूस किया जा रहा है कि उन्हें ड्रेसिंग रूम में कुछ खिलाड़ियों से अपेक्षित समर्थन नहीं मिल रहा है। मंगलवार को कानपुर में दूसरे टेस्ट मैच में जिस तरह से भारत ने बांग्लादेश को सात विकेट से हराया, उससे पाकिस्तान क्रिकेट के हितधारकों के लिए चीजें मुश्किल ही हो गई हैं।
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