इशांत शर्मा की इस खूबी की वजह से विराट कोहली और द्रविड़ दे सकते हैं प्लेइंग XI में मौका
अब सबकी नजर भारतीय टीम प्रबंधन हैं क्योंकि यह देखना होगा कि वह दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मंगलवार से होने
अब सबकी नजर भारतीय टीम प्रबंधन हैं क्योंकि यह देखना होगा कि वह दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मंगलवार से होने वाले आखिरी और तीसरे टेस्ट मैच में चोटिल मुहम्मद सिराज की जगह अनुभवी इशांत शर्मा और आउटस्विंगर उमेश यादव में से किसे मौका देगा? सिराज को दूसरे टेस्ट के पहले दिन गेंदबाजी करते समय हैमस्ट्रिंग हो गई थी। वह दोनों पारियों में सिर्फ 15.5 ओवर ही फेंक सके थे। कोच राहुल द्रविड़ ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि उनकी चोट ने 240 रन के स्कोर का बचाव करने के दौरान टीम की रणनीति को प्रभावित किया
द्रविड़ ने कहा कि यह कहना मुश्किल है कि सिराज अगले कुछ दिनों में फिट हो पाएंगे या नहीं क्योंकि हैमस्ट्रिंग इतनी जल्दी ठीक नहीं होती। ऐसे में भारत के पास मंगलवार से शुरू होने वाले शुरू हो रहे निर्णायक टेस्ट मुकाबले के लिए दो ही विकल्प हैं। पहला इशांत जो अपनी सर्वश्रेष्ठ फार्म में नहीं है लेकिन उनके पास 100 से ज्यादा टेस्ट मैच खेलने का अनुभव है। दूसरे उमेश हैं जिन्होंने अब तक 51 टेस्ट खेले हैं और हाल के दिनों में इशांत से बेहतर प्रदर्शन किया है
हालांकि द्रविड़ और चोट से उबर रहे कप्तान विराट कोहली दिल्ली के तेज गेंदबाज को मौका देना सही समझेंगे। इसका पहला कारण इशांत की लंबाई है जो करीब छह फीट तीन इंच है। वह दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों मार्को जेनसेन और डुआने ओलिवर की तरह वहां की पिच पर सही स्पाट पर गेंद को पटककर लंबाई का फायदा उठा सकते हैं। पूर्व भारतीय चयनकर्ता एमएसके प्रसाद इशांत को चुनने के समर्थक हैं। उन्होंने कहा कि हमने जोहानिसबर्ग में एक लंबे तेज गेंदबाज को मिस किया और वह इशांत हैं। ऐसी पिचों पर उमेश के बदले इशांत मेरी पसंद होंगे। अगर भारत की पिच होती तो मैं उमेश को आगे करता।
टीम इंडिया के पूर्व विकेटकीपर दीप दासगुप्ता का मानना है कि पिछले कुछ मैचों में भले ही इशांत फार्म में नहीं रहे हैं लेकिन फिर भी केपटाउन में वह उनको खिलाना पसंद करेंगे। दासगुप्ता ने कहा कि मैं यह नहीं कह सकता कि कोहली अभी भी इशांत की क्षमता पर उतना ही भरोसा करते हैं जितना 2019 तक करते थे लेकिन इस मुकाबले में उमेश की तुलना में इशांत अगर खेलते हैं तो ज्यादा कारगार साबित होंगे। पहला तो उनकी लंबाई है। वह कठिन लेंथ पर गेंद डाल सकते हैं। उनमें लंबे समय तक बल्लेबाजों को रोके रखने की क्षमता है। दुर्भाग्य से वांडरर्स में भारतीय गेंदबाज मददगार पिच पर ऐसा नहीं कर पाए थे।