कैंब्रिज की रिसर्च में दावा- अब बांस से बनेंगे बैट, क्रिकेट मैच में आसानी से चौके-छक्के लगा पाएंगे बल्लेबाज़
क्रिकेट के बैट (Cricket Bat) बनाने के लिए अमूमन विलो लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन
क्रिकेट के बैट (Cricket Bat) बनाने के लिए अमूमन विलो लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अब इसका विकल्प मिल गया है. ज्यादातर इंग्लैंड और भारत के कश्मीर में पाई जानेवाली विलो की लकड़ी की बजाय आने वाले दिनों में बांस के बैट (Bamboo Bat) बनाए जाएंगे. सुन कर चकरा गए न! इंग्लैंड की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में इस संबंध में रिसर्च करनेवाले शोधकर्ताओं का दावा है कि बांस के बने बैट, विलो से बने बैट से बेहतर साबित हो सकते हैं.
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के डॉ दर्शिल शाह और बेन टिंकलर डेविस ने यह रिसर्च की है, जिसके मुताबिक, विलो के बैट किफायती और मजबूत साबित होंगे. दर्शिल अंडर-19 क्रिकेटर भी रह चुके हैं. यह रिसर्च The Journal of Sports Engineering and Technology में प्रकाशित हुई है. शोधकर्ताओं का दावा है कि विलो से बने बैट के मुकाबले बांस के बैट का स्वीट स्पॉट बेहतर साबित होगा, जहां लगने के बाद बॉल काफी स्पीड से बहुत दूर जाती है. इससे बने बैट से बल्लेबाजों को बड़े शॉट लगाने में आसानी होगी.
यॉर्कर गेंद पर भी चौका लगाना होगा आसान!
रिसर्च में दावा किया गया है कि विलो के मुकाबले बांस सस्ता होता है और 22 फीसदी ज्यादा सख्त होता है. बांस से तैयार बैट पर लगने के बाद बॉल काफी तेज गति से जाएगी. यानी बल्लेबाजों को बड़े शॉट लगाने में आसानी होगी. कैंब्रिज सेंटर फॉर नेचुरल मैटेरियल इनोवेशन के शोधकर्ता डॉ दर्शिल का दावा है कि बांस से बने बैट से यॉर्कर बॉल पर भी आसानी से चौका लगाया जा सकेगा. रिसर्च के मुताबिक, सामान्य बैट की तुलना में बांस से बने बैट हर तरह के स्ट्रोक के लिए बेस्ट साबित होंगे.
बांस के बैट को ICC से मान्यता नहीं!
रिसर्च के मुताबिक, विलो के बैट की तुलना में बांस के बैट का वजन ज्यादा होता है. डॉ दर्शिल के मुताबिक, बैट के वजन पर अभी रिसर्च किया जा रहा है. उनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीरय स्तर पर इसके इस्तेमाल को लेकर अभी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि ICC के नियमों के मुताबिक अभी बांस से बने बैट से खेलने की अनुमति नहीं है.
अभी केवल लकड़ी के बैट का ही उपयोग किया जा सकता है. अभी विलो (सैलिक्स ऐल्बा) की लकड़ी से बैट बनाए जाते हैं. ICC के नियमों के मुताबिक बैट की लंबाई 965 एमएम से ज्यादा और चौड़ाई 108mm एमएम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, जबकि वजन 1.2 से 1.4 किलो के बीच होना चाहिए.
विलो के मुकाबले आसानी से उपलब्ध हैं बांस
रिसर्चर डॉ दर्शिल के मुताबिक विलो के पेड़ 15 साल में बड़े होते हैं और आसानी से उपलब्ध नहीं होते, जबकि बांस आसानी से उपलब्ध है और सस्ता भी होता है. यह कम समय में तेजी से बड़ा होता है. विलो से बैट बनाते वक्त 30 फीसदी तक लकड़ी बर्बाद हो जाती है. बांस से बना बैट किफायती होगा. जापान, चीन, साउथ अमेरिका जैसे देशों में बांस से बने बैट लोकप्रिय हैं.
हालांकि इन देशों की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उपस्थिति नगण्य है.
किस तरह के बांस ज्यादा उपयुक्त
क्रिकेट बैट बनाने के लिए बांस की दो प्रजातियां सबसे अधिक उपयुक्त हैं- मोसो (Moso) और गुआडुआ (Guadua). ये दोनों प्रजातियां दक्षिण एशिया, चीन और दक्षिण अमेरिका में बहुतायत पाए जाते हैं. विलो की तुलना में ये बांस दोगुनी तेजी से बडृे होते हैं. बैट बनाने के दौरान बांस की बर्बादी भी कम होती है.
अपनी रिसर्च में शोधकर्ताओं ने कहा है कि बांस से बने बैट विलो के मुकाबले ज्यादा पतले और मजबूत साबित हो सकते हैं. इसके जरिये बल्लेबाज को मदद मिलेगी. हल्के ब्लेड के साथ बल्लेबाज शॉट लगाने के लिए अधिक तेजी से बल्ला घुमा सकेगा और जोरदार शॉट लगा पाएगा.