किसान आंदोलन पर बॉक्सर विजेंदर सिंह ने मोदी सरकार को दी चेतावनी... करेंगे अवार्ड वापसी
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि इन कानूनों को वापस लिया जाए. खेल जगत से भी किसानों को समर्थन मिल रहा है. इनमें नया नाम बॉक्सर विजेंदर सिंह का है. मुक्केबाजी में भारत के पहले ओलिंपिक पदक विजेता और कांग्रेस नेता विजेंदर सिंह (Vijender Singh)ने 6 दिसंबर को अपना खेल रत्न पुरस्कार लौटाने की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार नए कृषि कानून (Agriculture Act) के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांग स्वीकार नहीं करती है तो वह राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार (Rajiv Gandhi Khel Ratna Award) लौटा देंगे. हरियाणा के भिवानी जिले के 35 साल के इस मुक्केबाज ने दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच जाकर यह चेतावनी दी.
विजेंदर ने पीटीआई से कहा,
अब बहुत हो चुका, अगर सरकार किसानों की मांगें नहीं मानती है तो मैंने फैसला किया है कि एकजुटता दिखाते हुए मैं अपना खेल रत्न पुरस्कार लौटा दूंगा. मैं किसानों और सेना से ताल्लुक रखने वाले परिवार से आता हूं, मैं उनकी पीड़ा और मजबूरी समझ सकता हूं. समय आ गया है कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान दे.
विजेंदर ने 2008 बीजिंग खेलों में कांस्य पदक के रूप में मुक्केबाजी में भारत का पहला ओलिंपिक पदक जीता था. विजेंदर 2009 में विश्व चैंपियनशिप (कांस्य पदक) में पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज भी बने थे. इसी साल उन्हें शानदार प्रदर्शन के लिए देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा गया था. विजेंदर फिलहाल पेशेवर मुक्केबाज हैं और उन्होंने 2019 में लोकसभा चुनाव भी लड़ा था. उन्होंने कहा,
निश्चित तौर पर यह पुरस्कार मेरे लिए काफी मायने रखता है लेकिन हमें उन चीजों के साथ भी खड़ा होना पड़ता है जिनमें हम विश्वास रखते हैं. अगर बातचीत के साथ संकट का समाधान निकल सकता है तो हम सभी को खुशी होगी.
इससे पहले बीजिंग ओलिंपिक के दौरान प्रभारी पूर्व राष्ट्रीय मुक्केबाजी कोच गुरबक्श सिंह संधू ने भी किसानों की मांगों को नहीं मानने की स्थिति में अपना द्रोणाचार्य पुरस्कार लौटाने की बात कही थी. कई पूर्व खिलाड़ी भी किसानों के समर्थन में अपने पुरस्कार वापस करने की बात कह चुके हैं.
पंजाब-हरियाणा के हजारों किसान पिछले एक सप्ताह से दिल्ली बॉर्डर पर जमे हुए हैं. किसान हाल ही में सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में हैं. किसानों का आरोप है कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म कर देंगे और वे बड़े कारोबारियों के रहमोकरम पर रह जाएंगे.