नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को अधिकारियों के कार्यकाल से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी राहत मिली है. सर्वोच्च अदालत ने बुधवार इस मामले में अपना फैसला सुनाया, जिसमें बीसीसीआई को उसके संविधान में बदलाव की सशर्त इजाजत दे दी गई है. यानी बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली, सचिव जय शाह के कार्यकाल पर अभी कोई संकट नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने फैसले में कहा गया है कि एक कार्यकाल के बाद कूलिंग ऑफ पीरियड की ज़रूरत नहीं है, लेकिन दो कार्यकाल के बाद ऐसा किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि सौरव गांगुली और जय शाह आने वाले तीन साल तक अपने पद पर बरकरार रह सकते हैं.
साल 2018 में लागू हुए बीसीसीआई के संविधान में यह नियम था कि किसी भी अधिकारी को तीन साल का कूलिंग ऑफ पीरियड पूरा करना होगा, जिसने राज्य या बीसीसीआई लेवल पर अपने दो कार्यकाल पूरे किए हों. ऐसे में 6 साल पूरे होने पर वह व्यक्ति खुद ही चुनाव की रेस से पूरी तरह बाहर हो जाएगा.
बीसीसीआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की गई थी, उसमें अपील की गई थी कि इस नियम में बदलाव की इजाजत दी जाए. बीसीसीआई ने अपनी याचिका में कहा था कि कूलिंग ऑफ पीरियड जैसी चीज़ को रद्द कर दिया जाए, सचिव के हाथ में अधिक शक्ति हों और आगे अगर बोर्ड को संविधान में बदलाव करना हो तो उसे अदालत के पास ना आना पड़े.
बुधवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने इस मामले में कहा कि प्रथम दृष्टया हमारा मानना है कि राज्य एसोसिएशन में एक कार्यकाल (3 साल) के बाद BCCI में एक कार्यकाल के लिए कोई कूलिंग ऑफ अवधि की आवश्यकता नहीं है. लेकिन राज्य एसोसिएशन या बीसीसीआई में दो कार्यकाल के बाद कूलिंग ऑफ को रखना होगा. उस व्यक्ति में कोई समस्या नहीं है जिसने राज्य में या बीसीसीआई में लगातार 3 साल के दो कार्यकाल बिताए हों.