रवींद्र जडेजा से चीते सी फील्डिंग का सीक्रेट पूछे जाने पर खिलाड़ी ने दिया ये मजेदार जवाब...बोले यह बड़ी बात
रवींद्र जडेजा इस समय दुनिया के बेहतरीन फील्डर्स हैं. उनकी टक्कर का दूसरा कोई खिलाड़ी नहीं है
रवींद्र जडेजा इस समय दुनिया के बेहतरीन फील्डर्स हैं. उनकी टक्कर का दूसरा कोई खिलाड़ी नहीं है जो तीनों फॉर्मेट खेलता है और अपनी फील्डिंग से लाजवाब कर देता है. रवींद्र जडेजा की कैचिंग, गेंद को रोकने की दक्षता और फिर बिजली की सी रफ्तार से थ्रो करना मैच पलटने वाले पल लाती है. अब एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी फील्डिंग के बारे में विस्तार से बात की है. उनमें जो एथलेटिज्म है वह काफी कुछ प्राकृतिक है. हालांकि वह कंधे के लिए जरूर मेहनत करते हैं और लगातार प्रैक्टिस करते हैं.
थ्रो फेंकने में तेजी के राज के बारे में पूछने पर जडेजा ने इंडियन एक्सप्रेस से हंसते हुए कहा, 'इस बारे में तो पापा से पूछना चाहिए. मेरे में उन्हीं के जीन हैं. कुछ प्राकृतिक है. बाकी काफी सारी कड़ी मेहनत होती है, सब कुछ प्राकृतिक नहीं है. मैं इस पर काफी मेहनत करता हूं नहीं तो कंधे अब तक काम नहीं कर रहे होते. 12-13 साल हो गए हैं लेकिन मैंने कंधों का ध्यान रखा है. जामनगर में मेरे कोच महेंद्र सिंह चौहान हमें काफी दौड़ाते और फील्डिंग कराते थे. इसके बाद ही बैटिंग मिलती थी. पहले चार साल में मैंने खूब फील्डिंग की. वह कठोर दिखते थे, चेहरे पर कोई भाव नहीं दिखाते थे लेकिन वह काफी मददगार हैं. वह काफी अच्छे थे.'
रोजाना नहीं बता सकता कि फील्डिंग सुधारने के लिए क्या किया
समय के साथ जडेजा के थ्रो पहले से बेहतर होते गए हैं. साथ ही उनकी स्पीड भी बढ़ी है. इस बारे में उन्होंने कहा, 'मैं रोजाना लोगों को नहीं बता सकता कि मैंने फील्डिंग सुधारने के लिए क्या किया. मैं वैसा व्यक्ति नहीं हूं जिसे रोजना लोगों को बताने की जरूरत पड़े कि मैं कितनी मेहनत करता हूं. इसके बजाए मैं मेरी घुड़सवारी के वीडियो पोस्ट करता रहता हूं. क्योंकि किसी को नहीं पता कि यह कैसे करते हैं. कोई कर ही नहीं सकता.'
जडेजा ने कहा, 'मैं सहमत हूं कि फील्डिंग में मैं थोड़ा प्राकृतिक हूं लेकिन इतने सालों तक खेलने के बाद किसी के भी कंधे में हल्की-फुल्की चोट आ जाती है. मैं इसे ठीक रखने के लिए कड़ी मेहनत करता हूं. मेरा मानना है कि यदि मेरा कंधा सही रहता है तो मैं कई सालों तक क्रिकेट खेल सकता हूं.'