एलियंस की इंसानों से अब तक क्यों नहीं हुई मुलाकात...वैज्ञानिक ने बताई ये वजह
जब भी एलियन्स यानि दूसरे ग्रह के बुद्धिमान जीवों की बात होती है तो लगता है कि वैज्ञानिक फंतासी
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जब भी एलियन्स (Aliens) यानि दूसरे ग्रह (Planet) के बुद्धिमान जीवों (Intelligent living beings) की बात होती है तो लगता है कि वैज्ञानिक फंतासी (Science Fiction) की बात हो रही है. लेकिन वैज्ञानिक या खगोगलविद एलियंस की धारणा को खारिज नहीं करते हैं हां वे उनकी मौजूदगी के बारे में पुष्ट प्रमाण खोजते रहे हैं जो कि उन्हें अभी तक नहीं मिले हैं. वैज्ञानिक इस बात पर भी एकमत हैं कि सुदूर ग्रहों पर जीवन जरूर है, लेकिन हमारी अभी तक उससे मुलाकात नहीं हुई है. एक वैज्ञानिक ने इस बात की वजह बताई है कि आखिर हमारी एलियंस से मुलाकात क्यों नहीं हो सकी है.
नहीं मिला है अब तक जवाब
क्या वाकई एलियंस होते हैं क्या दुनिया भर में जो लोग एलियंस को देखने या फिर यूएफओ को देखने का अनुभव करने का दावा करते हैं, वे सही हैं? इसी सवाल पर वैज्ञानिकों की भी अलग तरह के मत हैं. इसके साथ ही वैज्ञानिक अभी तक इस बात की सर्व स्वीकार्य व्याख्या नहीं दे सके हैं कि अब तक हमारी एलियंस से मुलाकात क्यों नहीं हो सकी है.
इस वैज्ञानिक ने दी यह थ्योरी
दो साल पहले नेशनल रिसर्च यूनिवर्सिटी ऑफ इलेक्ट्ऱनिक टेक्नोलॉजी (MIET) के रूसी वैज्ञानिक एलेक्जेंड बेरेजिन ने इस मामले में एक मत (Theory) दी थी. उनका कहना था कि एक बार कोई सभ्यतात तारों के पार पहुंचने की अपनी अपनी क्षमता हासिल करती है तो वह दूसरी सभ्यताओं को खत्म करने लगेगी.
यह भी प्रबल संभावना
ऐसा नहीं है कि वाकई में कई एलियन प्रजाति है जो हमारी दुश्मन ही हो. ऐसा भी हो सकता है कि उन्होंने हमें देखा ही न हो और यह भी उनके विस्तार की कोशिशें में हमारी कोई अहमियत ही न हो. साल 2018 में बेरेजिन ने लिखा था कि उन्होंने हमें देखा ही नहीं होगा या हमारे बारे में गौर ही नहीं किया होगा. यह बिलकुल वैसे ही हो सकता है कि निर्माण की जगह पर मजदूर चींटी के घरों को नष्ट कर देते हैं क्यों उनकी उन चीटियों को बचाने में कोई दिलचस्पी ही नहीं होती.
क्यों हमें नष्ट नहीं किया एलियन्स ने
ऐसे में सवाल उठता है कि एलियन्स ने हमें अब तक नष्ट क्यों नहीं किया या नष्ट करना जरूरी क्यों नहीं समझा. बेरेजिन का कहना है कि अच्छी खबर यही है इंसान का हाल चीटिंयों की तरह होने की संभावना नहीं है. इसका मतलब यह भी हो सकता है कि हम भविष्य की विनाशाकारी प्रजाति हो सकते हैं. बस अभी हम उसके लिए तैयार नहीं हैं.
क्या मतलब है इसका
अगर इस अवधारणा को सही भी माना जाए तो इसका हमारे भविष्य के लिहाज से क्या महत्व है. इस सवाल की यही व्याख्या हो सकती है कि हम इस अतरतारकीय मंच पर आने वाले सबसे पहले हो सकते हैं और इस बात की भी संभावना है कि जाने वालों में सबसे आखिर में हम ही हों.
यह उम्मीद भी जताई
बेरेजिन ने इसकी दो ऐतिहासिक उदाहरणों से व्याख्या करने की कोशिश की है. उन्होंने उपनिवेशवाद और पूंजीवाद के उदाहरण दिए जो इंसानों को दूसरी संस्कृतियों को नष्ट करने की प्रेरणा देगा. उन्होंने उम्मीद भी जताई कि वे गलत साबित हों.
ऐसी आशंका हमेशा ही होती है कि भविष्य में हालात खराब ही होंगे. धरती पर सदियों अब तक चले आ रहे सभ्यताओं के संघर्ष को देखते हुए यह मानना आसान है कि यह थ्योरी सच साबित होगी. लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है, कई बार आपदाओं ने मनुष्यों को एक भी किया है. जो भी अभी यह स्थिति आने में कि पृथ्वी के इंसान ही दूसरी सभ्यताओं नष्ट करने लगें, अभी बहुत ही अधिक समय है.