विज्ञान क्या कहता है, अंतरिक्ष में क्यों नहीं होता है ऊष्मा का अहसास

धरती पर गर्मी का अहसास हमें गरम हवा के छूने से होता है. पानी का छू कर हम पता लगाते हैं कि वह ठंडा है या गर्म.

Update: 2022-06-12 03:42 GMT

धरती पर गर्मी का अहसास (Feeling of Heat) हमें गरम हवा के छूने से होता है. पानी का छू कर हम पता लगाते हैं कि वह ठंडा है या गर्म. लेकिन क्या अंतरिक्ष में हम गर्मी या ठंडक का अहसास कर सकते हैं? या क्या ऊष्मा (Heat) अंतरिक्ष (Space) में यात्रा कर सकती हैं जिससे ऊष्मा का प्रवाह हो और इंसान भी गर्माहट और ठंडक का अहसास कर सके? या फिर क्या अंतरिक्ष में ऐसे कारक हैं जिनसे ऊर्जा (Energy) अपना स्वरूप बदल कर ऊष्मा के प्रवाह में बदल जाती है. आइए जानते हैं कि अंतरिक्ष में ऊष्मा का अहसास के होने या ना होने पर क्या कहता है विज्ञान.

परमाणुओं से करनी होगी शुरुआत

इन सब सवालों के जवाबों को जानने से पहले हमें ऊष्मा और उसकी प्रकृति को ही समझना होगा. इसके बाद हम पाएंगे कि जहां कुछ सवालों को बदलने की जरूरत है तो तो कुछ खुद ही खत्म हो जाएंगे. ऊष्मा को समझने के लिए हमें शुरुआत अणुओं से करनी होगी. हम जो भी स्पर्श करते या देखते हैं वास्वत मे वह परमाणुओं से बान होता है. परमाणु पदार्थ की सबसे छोटी एकीकृत ईकाई होते हैं और इन्हें बिना किसी उपकरण की मदद से देखा भी नहीं जा सकता है.

ऊर्जा और परमाणु

यदि कोई चीज गर्म है तो इसका अर्थ यह होता है कि उस चीज के परमाणुओं में बहुत ज्यादा ऊर्जा है और वह उस वस्तु के आसपास निकल रही है. यदि कोई वस्तु ठंडी है और उसके परमाणुओं में बहुत कम ऊर्जा है और वे परमाणु स्थिर हैं. लेकिन अंतरिक्ष में निर्वात होता है यानी वहां अधिक पदार्थ की उपस्थिति नहीं होती है.

अंतरिक्ष में सौर पवनें

लेकिन अंतरिक्ष भी पूरी तरह से निर्वात नहीं होता है, यदि हम अंतरिक्ष में तारे, पृथ्वी आदि पिंडों को छोड़ दे तो भी अंतरिक्ष पूरी तरह से निर्वात नहीं होता है. सूर्य और अन्य तारे लागातार पदार्थ अंतरिक्ष में फैंकते रहते हैं. यह पदार्थ सौर पवन के रूप में अंतिरक्ष में फैलता है. इसी की वजह से ध्रुवों पर ऑरोर जैसी परिघटनाएं देखने को मिलती हैं. लेकिन सौर पवनों में हवा की तुलना में भी बहुत रही कम परमाणु होते हैं. यानि उससे भी बहुत ऊष्मा का नहीं होती है.

तीन प्रकार से ऊष्मा का प्रवाह

इसे समझने के लिए हमें ऊष्मा प्रवाह के प्रकारों को समझना होता दरअसल ऊष्मा तीन तरह से संचारित होती है. और इसी से हमें पता चलेगा कि आखिर अंतरिक्ष ऊष्मा प्रवाह के साथ क्या समस्या है. ये तीन तरीके हैं चालक या प्रवाहकत्व (Conduction), संवहन (Convection), या विकिरण (Radiation).

चालक यानि स्पर्श के जरिए

चालक या प्रवाहकत्व में ऊष्मा का स्थानांतरण स्पर्श के जरिए होता है. आप कुछ गर्म छुएंगे तो ऊष्मा आपके अंदर आने लगेगी. आप कुछ ठंडा छुएंगे तो ऊष्मा आपमें से उस पदार्थ में जाने लगेगी. धातुएं जैसे पदार्थों को सुचालक माना जाता है जबाकि जहां उष्मा स्पर्श से अच्छे से प्रवाहित नहीं होती उन्हें कुचालक माना जाता है. लेकिन सूर्य को हम छू नहीं सकते और अंतरिक्ष दोनों के बीच माध्यम भी नहीं बन सकता है.


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