विक्रम-एस सफलतापूर्वक लॉन्च, Skyroot Aerospace की एक साल के अंदर विक्रम-1 के लॉन्च की योजना, अंतरिक्ष यात्रा की लागत करना चाहता है कम
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: हाल में देश के पहले निजी रॉकेट विक्रम-एस को सफलतापूर्वक लॉन्च करने वाली स्काईरूट एयरोस्पेस की एक साल के भीतर उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए एक विशाल रॉकेट विक्रम-1 को लॉन्च करने की योजना है. हैदराबाद स्थित अंतरिक्ष स्टार्टअप का लक्ष्य भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा की लागत को कम करना भी है.
कंपनी के सह-संस्थापक पवन चांदना ने सोमवार शाम को कहा,'.. अब जब हम पहले निजी रॉकेट विक्रम-एस को लॉन्च कर चुके हैं, हमारी अगली योजना विक्रम-1 को लॉन्च करने की है, जो उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने वाला एक बहुत बड़ा रॉकेट है. इसे हम अब से एक साल के भीतर करना चाहते हैं.'
स्काईरूट भी दुनिया की उन कुछ पहली कंपनियों में से एक बनना चाहती है जो उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर सकती हैं. चांदना ने कहा कि कंपनी ने लगभग छह करोड़ 80 लाख डॉलर जुटाए हैं, जो भारत में एयरोस्पेस स्टार्टअप क्षेत्र में सर्वाधिक है.
उन्होंने कहा कि स्काईरूट अपनी आगे की यात्रा में अधिक पूंजी जुटाना जारी रखेगी और अगले साल से लॉन्च के साथ ही अच्छा खासा राजस्व उत्पन्न करना चाहेगी. यह बताते हुए कि अंतरिक्ष यात्रा वर्तमान में महंगी है, उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी का लक्ष्य लागत कम करना, इसे वहनीय बनाना और विश्वसनीयता बढ़ाना है. भारत ने 18 नवंबर को निजी तौर पर निर्मित रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, जिसे स्काईरूट ने तैयार किया था. इस तरह देश के अंतरिक्ष तंत्र में निजी क्षेत्र के प्रवेश की शुरुआत हुई जिसमें अभी सरकार संचालित भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का दबदबा है.
विक्रम-एस रॉकेट का नाम वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा
इससे पहले स्काईरूट एयरोस्पेस के मुख्य परिचालन अधिकारी एन भरत डाका ने एक बयान में कहा था कि विक्रम-एस रॉकेट एकल चरण वाला उपकक्षीय प्रक्षेपण यान है. स्काईरूट के रॉकेट का यह नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक और प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है.