VIDEO: खतरे में स्पेन का ये शहर, 3 तरफ से फैल रहा ला पाल्मा ज्वालामुखी का बहाव
स्पेन के कैनरी आइलैंड पर स्थित ला पाल्मा ज्वालामुखी 50 साल बाद फिर फट पड़ा
स्पेन के कैनरी आइलैंड पर स्थित ला पाल्मा ज्वालामुखी 50 साल बाद फिर फट पड़ा. इस समय यह बेहद गुस्से में है. हजारों फीट ऊपर तक लावा फेंक रहा है. पांच जगहों से लावा फूटकर बाहर निकल रहा है. ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा तीन तरफ से एक शहर को घेर रहा है. अब तक 166 से ज्यादा घरों को यह लावा जला चुका है. सड़कों पर लावा की दीवार बन गई है. स्वीमिंग पूल्स तक पिघल चुके हैं. अब खतरा केलों के बागानों को हैं. वैज्ञानिकों को आशंका है कि यह कुछ दिन और लावा फेंकता रहेगा. इसके बाद लावा सीधे समुद्र में जाकर गिरेगा. लेकिन तब तक भारी तबाही मच चुकी होगी.
ला पाल्मा ज्वालामुखी (La Palma Volcano) को ला कंब्रे वियेजा (La Cumbre Vieja) यानी द ओल्ड समिट (The Old Summit) भी कहा जाता है. इसके पहले यह अक्टूबर 1971 में फटा था. तब इसने तीन हफ्तों तक लावे की नदियां बहाई थीं. 19 सितंबर 2021 की रात में हुए विस्फोट के बाद से यह ज्वालामुखी लगातार लावा उगल रहा है. पास के एल-पासो कस्बे के दर्जनों मकान जल चुके हैं. पास के गांवों के खेत और घर पिघल कर मिट्टी में मिल चुके हैं.
अब तक इस ज्वालामुखी के आसपास स्थित रिहायशी इलाकों से करीब 7 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है. किसी के मारे जाने या घायल होने की खबर नहीं है. स्थानीय ज्वालामुखी विज्ञानियों के अनुसार यह अगले चार-पांच दिनों तक लावा फेंकता रहेगा. जो आसपास के गांव और कस्बों को पार करके समुद्र में जाकर मिलेगा. लेकिन इससे काफी ज्यादा नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है.
लावा 200 मीटर प्रतिघंटा की गति से आगे बढ़ रहा है. 21 सितंबर 2021 तक 706 मिलियन क्यूबिक फीट यानी करीब 2000 करोड़ किलोग्राम लावा ज्वालामुखी के गर्भ से बाहर निकल कर शहरों की तरफ फैल चुका है. 11 सितंबर के आसपास स्थानीय प्रशासन ने चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि ला पाल्मा ज्वालामुखी (La Palma Volcano) किसी भी समय फट सकता है.
चेतावनी जारी करने से पहले वैज्ञानिकों ने ला पाल्मा ज्वालामुखी (La Palma Volcano) के आसपास के इलाकों में 4000 से ज्यादा छोटे भूकंपों को रिकॉर्ड किया था. इसे भूकंप की लहर कहते हैं. अगर लगातार कहीं पर भूकंपीय गतिविधि होती है और वहां पर ज्वालामुखी होता है, उसके फटने की आशंका बढ़ जाती है. इसका मतलब ये होता है कि धरती के केंद्र से लावा तेजी से ज्वालामुखी के जरिए बाहर निकलने के लिए ऊपर की ओर आ रहा है.
स्पेन के वैज्ञानिकों ने 16 सितंबर को देखा कि भूकंप की चेतावनी जारी करने के बाद ला पाल्मा ज्वालामुखी (La Palma Volcano) के आसपास की जमीन सूजने लगी थी. वह करीब 2.3 इंच ऊपर उठ गई थी. इसके बाद वैज्ञानिकों ने दूसरे सबसे उच्च स्तर की यलो लेवल चेतावनी जारी की. कैनरी आईलैंड वॉलकैनो इंस्टीट्यूट में वॉलकैनो मॉनिटरिंग डिपार्टमेंट के प्रमुख लूका डीऑरिया ने कहा कि हमने जब भूकंप और धरती के सूजने की घटना रिकॉर्ड की तभी समझ आ गया था कि यह ज्वालामुखी 50 साल बाद फिर फटने वाला है.
11 सितंबर से अब तक ला पाल्मा ज्वालामुखी (La Palma Volcano) के आसपास 22 हजार से ज्यादा भूकंप रिकॉर्ड किए गए हैं. 19 सितंबर को लूका डीऑरिया की आशंका सही साबित हुई. अच्छी बात ये थी कि 16 सितंबर के बाद से ही ज्वालामुखी के आसपास के रिहायशी इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना शुरु कर दिया गया था. उनके साथ घरेलू जानवर और मवेशियों को भी इलाके से दूर भेज दिया गया था.
लूका डीऑरिया ने कहा कि जब यह पहले दिन फटा तक इसके लावा की धार ने करीब 1 किलोमीटर की ऊंचाई हासिल की थी. राख का गुबार और धुएं के बादलों ने चारों तरफ अंधेरा कर दिया था. लेकिन वो ज्यादा नहीं निकला. इस ज्वालामुखी से लावा ज्यादा निकल रहा है. शुरुआत में ऐसा लगा था कि इस ज्वालामुखी की वजह से बहुत बड़ी सुनामी की लहर आ सकती है जो पूरे पूर्वी यूरोप को चपेट में ले सकती है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
बहुत बड़ी सुनामी की आशंका के पीछे एक साइंटिफिक स्टडी है जो साल 2001 में की गई थी यह स्टडी जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुई थी. जिसमें कहा गया था कि अगर ज्वालामुखी में फिर विस्फोट हुए तो इस पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा टूटकर अटलांटिक महासागर में गिरेगा. जो करीब 150 से 500 क्यूबिक किलोमीटर क्षेत्रफल का हो सकता है. इससे अटलांटिक महासागर में करीब 82 फीट ऊंची लहरें उठेंगी तो अमेरिका के तट तक जाएंगी.
ला पाल्मा ज्वालामुखी (La Palma Volcano) की वजह से अब तक 103 हेक्टेयर जमीन जलकर खाक हो चुकी है. यहां पर गर्म लावा फैला हुआ है. जिसमें से जहरीला धुआं निकल रहा है. इसके अलावा तीन तरफ से बहे लावा की धार से 166 से ज्यादा मकान ध्वस्त या क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. वैसे इस कैनरी द्वीप पर 80 हजार लोग रहते हैं लेकिन ज्यादातर खतरा ज्वालामुखी के आसपास रहने वाले 7 हजार लोगों को था, जो अभी सुरक्षित स्थान पर मौजूद हैं.