पृथ्वी की ओर आए 'एस्टेरॉयड' से संयुक्त राष्ट्र हैरान, टक्कर से बचाने के लिए बनाई अलर्ट प्रणाली
क्षुद्रग्रह की पृथ्वी से संभावित टक्कर से बाल-बाल बचने के बाद विश्व के देशों ने धरती की ओर आने वाले क्षुद्रगहों का पता लगाने के लिए एक अलर्ट प्रणाली बनाई. लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इस बारे में फैसला कौन करेगा कि आगे क्या किया जाएगा.
क्षुद्रग्रह की पृथ्वी से संभावित टक्कर से बाल-बाल बचने के बाद विश्व के देशों ने धरती की ओर आने वाले क्षुद्रगहों का पता लगाने के लिए एक अलर्ट प्रणाली बनाई. लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इस बारे में फैसला कौन करेगा कि आगे क्या किया जाएगा.
मध्य यूरोप में एक अनुसंधान दल 15 फरवरी 2013 की सुबह, पृथ्वी से क्षुद्रग्रह के टकराने के प्रभाव से निपटने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया तंत्र स्थापित करने को लेकर संयुक्त राष्ट्र की एक उप समिति को सौंपने के वास्ते अंतिम सिफारिशें तैयार कर रहा था.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक प्रस्तुति के जरिये यह बताया कि क्षुद्रग्रह '2012 डीए14' उस दिन दोपहर में पृथ्वी से 27,700 किमी की दूरी से गुजरेगा– जो मौसम विज्ञान और संचार उपग्रहों की कक्षा से करीब है. हालांकि, उसी दिन एक अलग क्षुद्रग्रह में रूस में चेलियाबिंस्क से 30 किलोमीटर ऊपर विस्फोट हो गया. इसके झटकों से धरती पर मौजूद दीवारें हिल गईं, मकानों की खिड़कियां उखड़ गईं और 1600 से अधिक लोग घायल हो गये, जबकि कोई नहीं जानता था कि यह क्षुद्रग्रह धरती की ओर बढ़ रहा है.
वायुमंडल 30 मीटर या इससे छोटे आकार के क्षुद्रगहों से धरती की रक्षा करता है. चेलियाबिंस्क के ऊपर जिस क्षुद्रग्रह में विस्फोट हुआ था, उसका आकार 14 से 17 मीटर के बीच था. क्षुद्रगह की पृथ्वी के सापेक्ष 19 किमी प्रति सेकंड की तीव्र गति ने उसे चकमा देने में सक्षम बनाया.
क्षुद्रग्रह 2015 एचडी1 का पता नासा के माउंट लेमन सर्वे टेलिस्कोप ने 18 अप्रैल 2015 को लगाया था. उसके पृथ्वी से 73,385 किमी नजदीक पहुंचने से पहले उसकी खोज की गई थी. यदि यह अपने मार्ग पर बढ़ता और धरती से टकरा जाता तो इसके प्रभाव क्षेत्र में आने वालों को इसके अंजाम भुगतने होते.
किसी क्षुद्रग्रह के धरती से टकराने की गुंजाइश बहुत कम है, लेकिन यदि ऐसा होता है तो इसके भयावह परिणाम होंगे. हालांकि, धरती से क्षुद्रग्रह के टकराने के प्रभाव (एस्टेरॉयड इंपैक्ट) एकमात्र ऐसी आपदा है, जिससे वैश्विक समुदाय बच सकता है बशर्ते कि उपयुक्त चेतावनी दी जाए.
चेलियाबिंस्क के ऊपर हुए विस्फोट की चेतावनी दी गई थी और इस पर ध्यान दिया गया था. बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर संयुक्त राष्ट्र की समिति की वैज्ञानिक एवं तकनीकी उप समिति ( यूएन सीओपीयूओएस) ने अनुसंधान दल की सिफारिशों को स्वीकार किया.
दिसंबर 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने संतोष के साथ इसका स्वागत किया. क्षुद्रग्रह के प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया तंत्र शीघ्र स्थापित किया गया.
अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह चेतावनी नेटवर्क (आईएडब्ल्यूएन) को जनवरी 2014 में स्थापित किया गया. इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकिल यूनियन में शामिल 'माइनर प्लैनेट सेंटर' ने अमेरिका के हार्वर्ड एंड स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स इन कैम्ब्रिज में उद्घाटन बैठक की मेजबानी की.
आईएडब्ल्यूएन के सदस्यों में समूचे विश्व से 40 पेशेवर और वेधशालाएं शामिल हैं, जिन्होंने नेटवर्क में शामिल होने के लिए एक इरादा पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं. हर वेधशाला अपने कामकाजी खर्च को वहन करती है.
स्पेस मिशन प्लानिंग एडवायजरी ग्रुप की स्थापना फरवरी 2014 में की गई. इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी के निकट की वस्तुओं से पेश आने वाले खतरों के प्रति एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की तैयारी करना है. हालांकि, पृथ्वी की रक्षा निर्णय लेने की प्रक्रिया में निहित है.
क्षुद्रग्रह की टक्कर को नाकाम करने के अभियान के लिए प्रभाव क्षेत्र की सरकारों और उन सरकारों की अनुमति जरूरी है, जिनकी अंतरिक्ष एजेंसियां इस कार्य को अंजाम देंगी. इस तरह धरती का भविष्य निर्णय लेने पर निर्भर हो जाता है. उल्लेखनीय है कि 2029 में क्षुद्रग्रह एपोपहिस पृथ्वी से 31,600 किमी से भी कम दूरी से गुजरेगा.