बर्ड फ्लू के संक्रमण का एक बेहद दुर्लभ मामला सामने आया है. इसके संक्रमण से एक समुद्री जीव की मौत हो गई है. इंग्लैंड के एक वाइल्डलाइफ रीहैबिलिटेशन सेंटर में बर्ड फ्लू की वजह से पांच हंस, 5 समुद्री सील्स और एक लोमड़ी की मौत हो गई है. जिसकी वजह से दुनिया भर के वैज्ञानिक और जीव विज्ञानी हैरान और परेशान हैं. क्योंकि अगर ये बीमारी समुद्री जीवों में फैलने लगी तो दुनिया में महामारी की एक नई लहर दौड़ सकती है. जो कि बेहद खतरनाक होगी.
यह संक्रमण और साल 2020 के अंत के महीनों में फैला था, लेकिन अभी तक इसका खुलासा नहीं किया गया था. क्योंकि वैज्ञानिक इसका अध्ययन कर रहे थे. साथ ही कोरोना संक्रमित दुनिया को इंग्लैंड की सरकार और डराना नहीं चाहती थी. वैज्ञानिक परेशान इसलिए थे कि बर्ड फ्लू आसानी से स्तनधारी जीवों को संक्रमित नहीं करता, लेकिन यहां पर सील्स और लोमड़ी की इस बीमारी से मौत हो चुकी थी. इसकी स्टडी हाल ही में इमरजिंग इंफेक्शियस डिजीसेस नामक जर्नल में प्रकाशित हुई है.
जब इनमें मौजूद बर्ड फ्लू स्ट्रेन की जांच की गई तो पता चला कि इनमें एक बार म्यूटेशन हुआ है. यह H5N8 वायरस था. यह वायरस पक्षी से स्तनधारियों तक म्यूटेशन की वजह से पहुंचा था. हालांकि, इस तरह का म्यूटेशन आमतौर पर इंसानों से भी संबंधित रहा है. लेकिन पिछले साल इंग्लैंड में इंसानों के संक्रमित होने से संबंधित कोई केस सामने नहीं आया था. इन जानवरों के मरने की वजह से किसी इंसान में बर्ड फ्लू का वायरस नहीं पहुंचा था.
हालांकि, इस स्टडी में यह जरूर बताया गया है कि H5N8 वायरस स्तनधारी जीवों के लिए भी काफी ज्यादा खतरनाक है. इसलिए जंगली जीवों में होने वाली बीमारियों पर नजर रखना जरूरी है. क्योंकि अगर बर्ड फ्लू का कोई खतरनाक स्ट्रेन समुद्री जीवों में फैल गया तो इससे पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा हो सकता है. क्योंकि एक समुद्री जीव को दूसरा खाता है. इससे समुद्र में मौजूद फूड चेन प्रभावित होती. अगर मछलियां संक्रमित होती तो खतरा और बढ़ जाता.
स्टडी में बताया गया है कि बर्ड फ्लू का वायरस पक्षियों को संक्रमित करने के लिए ही विकसित हुआ है. यह आसानी से अन्य जीवों में नहीं फैलता. यहां तक कि इंसानों को भी संक्रमित नहीं करता. लेकिन दुर्लभ मामलों में बर्ड फ्लू के कुछ स्ट्रेन इंसानों को भी संक्रमित कर सकते हैं. ये स्ट्रेन हैं - H5N1, H7N9, H5N6 और H5N8. बर्ड फ्लू स्ट्रेन H5N8 से इंसानी संक्रमण का मामला पहली बार इस साल फरवरी में सामने आया था, जब रूस के पोल्ट्री फॉर्म में कुछ कर्मचारी इस वायरस की चपेट में आ गए थे.
आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी के मुताबिक बर्ड फ्लू के कुछ दुर्लभ स्ट्रेन अन्य जीवों को भी संक्रमित कर सकते हैं. जैसे- बिल्ली, सुअर, घोड़े, कुत्ते और तोते. इन जीवों में बर्ड फ्लू का संक्रमण आसानी से नहीं होता लेकिन समुद्री जीवों के बारे में कहीं कोई जिक्र नहीं था. इंग्लैंड के वाइल्डलाइफ सेंटर में अक्टूबर-नवंबर के बीच पांच हंस लाए गए, जो काफी कमजोर थे. जांच में पता चला कि इन्हें बर्ड फ्लू का संक्रमण है. बाद में नवंबर अंत तक इनकी मौत हो गई.
एक हफ्ते बाद 5 से 6 दिसंबर 2020 में चार सामान्य सील्स, एक ग्रे सील और एक लोमड़ी बर्ड फ्लू से संक्रमित पाए गए. कुछ दिनों में इनकी भी मौत हो गई. सील्स तो मरने से पहले जोर-जोर से कांपने लगे थे. उन्हें सीजर्स अटैक आ रहे थे. लोमड़ियां खाना बंद कर चुकी थी. कमजोर होती जा रही थीं. लेकिन इसके बाद वाइल्डलाइफ सेंटर में बाकी जानवरों की भी जांच की गई लेकिन किसी अन्य जीव में बर्ड फ्लू का संक्रमण नहीं था.
बर्ड फ्लू से मरने वाले जीवों के शवों से कुछ सैंपल्स लिए गए थे. उनकी जांच करने पर पता चला कि ये सारे H5N8 स्ट्रेन से संक्रमित थे. हंसों, सील्स और लोमड़ी में मिले स्ट्रेन 99.9 फीसदी एक समान थे. जांचकर्ताओं के पता चला कि हंसों के जरिए ही सील्स और लोमड़ी तक बर्ड फ्लू का वायरस गया. वह भी हवा के या संक्रमित वस्तुओं के जरिए. हालांकि, अभी तक वैज्ञानिक यह पता नहीं कर पाए हैं कि बर्ड फ्लू का स्ट्रेन एक जीव से दूसरे जीव में भागने का प्रयास क्यों कर रहा है.
बर्ड फ्लू के H5N8 स्ट्रेन में जो म्यूटेशन मिला था, उसका नाम है D701N. ये म्यूटेशन किसी भी स्तनधारी जीव के शरीर को बर्ड फ्लू से संक्रमित कर सकता है. लेकिन यह बेहद दुर्लभ होगा. क्योंकि आमतौर पर बर्ड फ्लू का वायरस पक्षियों से दूसरे प्रजाति के जीवों में नहीं जाता. स्टडी में बताया गया है कि सील्स को पहले से लंगवॉर्म (Lungworm) नाम की समस्या थी, जिसकी वजह से उन्हें ये संक्रमण आसानी से मिल गया. वहीं लोमड़ियां कमजोर थीं, जिससे उनका इम्यून सिस्टम वायरस के हमले को रोक नहीं पाया.
बर्ड फ्लू के H5N8 स्ट्रेन का संक्रमण दुर्लभ है लेकिन अगर परिस्थितियां पक्ष में हो तो यह स्ट्रेन कई प्रजातियों के जीवों को संक्रमित कर सकता है. कुछ हफ्तों में यह स्तनधारी जीवों को मार भी सकता है. वाइल्डलाइफ सेंटर के कर्मचारियों को न तो कोविड-19 का संक्रमण था, न ही बर्ड फ्लू या फ्लू का संक्रमण. क्योंकि ये बाकायदा कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन कर रहा थे. इसके बाद कभी ऐसा संक्रमण देखने को नहीं मिला.