ऐतिहासिक शहर में मिला खजाना, पत्थरों को काटकर बनाए गए 400 मकबरों को ढूंढा गया
नई दिल्ली: तुर्की में पुरातत्वविदों ने पत्थरों को काटकर बनाए गए 400 मकबरों को खोजा है. ये कब्रगाह करीब 1800 साल पुराने हैं. इनके अंदर खूबसूरत वॉल पेंटिंग्स हैं. यानी दीवारों पर पेंटिंग की गई है. साथ ही कुछ बहुमूल्य वस्तुएं मिली हैं, जिन्हें लोग खजाना कह रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि ये मकबरे रोमन साम्राज्य के समय के पत्थरों से काटकर बनाए गए थे.
तुर्की के एजियन सागर से पूर्व में करीब 180 किलोमीटर दूर स्थित ऐतिहासिक शहर ब्लॉनडोस (Blaundos) में ये पत्थर से कटे मकबरे मिले हैं. इस शहर को सिकंदर के समय बनाया गया था. यह शहर रोमन और बिजेनटाइन साम्राज्य तक अपने स्वर्णिम युग में था. इन गुफाओं में सार्कोफैगी (Sarcophagi) नाम की प्रक्रिया की जाती थी. यानी इनमें मारे गए जीवों और इंसानों को रखा जाता था. ऐसा कई पीढ़ियों तक किया गया था.
तुर्की की यूसाक यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविद बिरोल कैन इस खनन कार्यक्रम के प्रमुख हैं. उन्होंने बताया कि ब्लॉनडोस में मौजूद इन मकबरों के अंदर परिवारों का आधिपत्य था. यानी एक मकबरे या उससे अधिक किसी एक परिवार के तो बाकी किसी और के. जब भी किसी के परिवार में कोई मरता तो उसका अंतिम संस्कार यहीं किया जाता था. उसके बाद इसे बंद कर दिया जाता था.
ब्लॉनडोस (Blaundos) शहर चारों तरफ से घाटियों से घिरा है. यानी यह एक ऊंची पहाड़ी पर बना है. असल में ये घाटियां यूसाक कैनयन का हिस्सा हैं. यह कैनयन दुनिया के सबसे बड़े कैनयन सिस्टम में से एक है. ब्लॉनडोस के ही लोगों ने यूसाक की घाटियों की ढलान पर नेक्रोपोलिस (Necropolis) का निर्माण किया था. इस इलाके में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया यही थी कि मजबूत पत्थर को काटकर मकबरा बना दिया जाता था. जिसके अंदर अंतिम संस्कार किया जाता था.
बिरोल कैन ने कहा कि पुरातत्वविद नेक्रोपोलिस के बारे में पिछले 150 सालों से जानते हैं. लेकिन कभी भी ब्लॉनडोस में तरीके से खनन नहीं किया गया. इसलिए हमने साल 2018 में एक सिस्टम के अनुसार खनन कार्यक्रम शुरु किया. अभी तक हमने इस जगह पर दो मंदिर, एक थियेटर, एक सार्वजनिक बाथरूम, एक जिम्नेजियम, एक बैसिलिका, शहर की दीवारें, एक बड़ा दरवाजा, रोमन साम्राज्य के हीरो हेरून (Heroon) की समाधि और पत्थरों से कटे मकबरे खोजे हैं.
बिरोल ने बताया कि अब भी इस शहर के नीचे कई धार्मिक, सावर्जनिक और नागरिक ढांचे मौजूद हैं. जिसकी खोज की जानी बाकी है. साल 2018 में एक पत्थरों से काटकर बनाए गए मकबरों के अंदर दूसरी और तीसरी सदी के इंसानों की हड्डियां मिली थीं. इसके बाद धीरे-धीरे खनन कार्यक्रम आगे बढ़ाते चले गए, जिसकी वजह से 400 मकबरे खोजे जा चुके हैं. ये मकबरे अलग-अलग पत्थरों को काटकर बनाए गए हैं.
नेक्रोपोलिस कब्र के डकैतों की पसंदीदा जगह थी. वो इन कब्रगाहों को मौका देखकर बर्बाद कर देते थे. उनमें रखी कलाकृतियां लूट लेते थे. ऐसा उन्होंने कई सदियों तक किया. क्योंकि इन मकबरों के अंदर बर्तनों के टुकड़े और कुछ सिक्के मिले हैं. जो दूसरी से चौथी सदी तक के हैं. ये सिक्के रोमन साम्राज्य के समय के हैं. इन मकबरों की अंदरूनी दीवारों पर प्राकृतिक रंगों से पेंटिंग की गई है. जिनमें रोमन साम्राज्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती हैं.
बिरोल की टीम ने यहां पर चार प्रकार के मकबरे खोजे. जिनमें एक कमरे वाला मकबरा भी है. कुछ बेहतरीन कई कमरों वाले मकबरे भी थे. ये कमरे एक लय या सीध में हो ये जरूरी नहीं था. पहले एक कमरा बनाया जाता था, फिर जरूरत पड़ने पर बगल के पत्थर को काटकर बनाया जाता था, उसके बाद उसे जोड़ दिया जाता था. ताकि अंतिम संस्कार करने के लिए ज्यादा जगह मिल जाए. इस तरह से दूसरा कमरा, तीसरा कमरा और चार कमरों तक के मकबरे खोजे गए हैं.
बिरोल ने बताया कि कुछ मकबरों के अंदर से शीशे, डायडेम्स, अंगूठियां, ब्रेसलेट, हेयरपिन, मेडिकल इंस्ट्रूमेंट्स, बेल्ट, कप और तेल के दीये आदि भी मिले हैं. असल में ये मरने वाले को दिया जाता था, ताकि मरने के बाद उसे इन चीजों की कमी न हो. ऐसी मान्यता थी कि शरीर छोड़ने के बाद भी लोग वापस यहां कुछ दिन बिताते हैं, जब तक उन्हें दूसरा जन्म नहीं मिल जाता. इसलिए इनके लिए तोहफे छोड़े जाते थे.
नेक्रोपोलिस में मिले 400 मकबरों में से 24 में दीवारों पर पेंटिंग्स मौजूद हैं. कुछ की हालत बेहद खराब है. उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है. क्योंकि रोमन साम्राज्य के खत्म होने के बाद कुछ गुंबदों को भेड़ों और मवेशियों के आरामगाह के लिए उपयोग किया जाता था. जानवरों के रहने की वजह से कई पेंटिंग्स खराब हो गई. हालांकि बिरोल की टीम कुछ को संरक्षित करने में कामयाब रही है.