थायरॉइड के कारण आंखों में हो सकती हैं ऐसी दिक्कतें, जाने इससे बचाव
शरीर के सबसे नाजुक अंगों में से एक हैं-आंखें। ये न हों तो दुनिया के सारे रंगों से इंसान महरूम रह जाए।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शरीर के सबसे नाजुक अंगों में से एक हैं-आंखें। ये न हों तो दुनिया के सारे रंगों से इंसान महरूम रह जाए। लेकिन ज्यादातर लोग प्रकृति द्वारा दी गई इस सौगात को लेकर परवाह नहीं करते। लोगों को लगता है, आंखें ही तो हैं इन्हें अतिरिक्त देखभाल की क्या जरूरत भला? इसलिए लोग ज्यादा से ज्यादा चश्मे का नम्बर बदलने या बहुत दिक्कत होने पर ही डॉक्टर के पास जाते हैं। गौर करने वाली बात यह भी है कि आंखों में होने वाली कई समस्याएं हमारे शरीर में हो रही हार्मोनल उथल-पुथल का भी परिणाम होती है। जैसे कि डायबटीज या थायरॉइड की वजह से आंखों को नुकसान पहुंचना।
थायरॉइड की वजह से अक्सर ड्राइ आइज की समस्या सामने आती है, जिसके बारे में आमतौर पर लोगों को मालूम नहीं होता। वे इस समस्या को सामान्य समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, ऐसे में आसानी से नियंत्रित हो सकने वाली यह समस्या आंखों के गंभीर नुकसान का कारण बन जाती है।
थायरॉइड और आंखों की समस्या
थायरॉइड का घटना या बढ़ना एक आम समस्या है। थायरॉइड का स्तर बढ़ने या घटने दोनों ही स्थितियों में आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। थाइरॉइड डिसऑर्डर से जुड़ी है ग्रेव्स डिसीज जिसमें थाइरॉइड ग्रन्थि बहुत ज्यादा हार्मोन बनाने लगती है, यानी हायपरथाइरॉइडिज्म की स्थिति। वहीं हायपोथायरॉइडिज्म यानी कम थायरॉइड बनने की स्थिति में सामने आ सकती है हाशिमोटो थाइरॉइडाइटिस की कंडीशन। इन दोनों ही डिसऑर्डर्स की स्थिति इम्युनिटी डिसऑर्डर या इम्युनिटी के गड़बड़ाने के कारण सामने आती है। इस स्थिति में आपका रोग प्रतिरोधक तंत्र संक्रमण से लड़ने की बजाय गलती से थाइरॉइड ग्लैंड पर हमला कर देता है। इसकी वजह से ड्राइ आइज़ की तकलीफ सामने आ सकती है। ग्रेव डिसीज के मरीजों में ये ज्यादा देखने को मिलती है। हाशिमोटो डिसीज में इसके मरीज कम ही मिलते हैं।
आंखों में सूखापन की समस्या
इस तकलीफ की वजह से आंखों की नमी तो सूखती ही है साथ ही आंखों में पूरे समय किरकिरापन, चुभन, आंखों का लाल होना, खुजली, जलन और दर्द आदि का अनुभव भी होने लगता है। अगर आप आंखों को मसलते हैं, बार- बार खुजली करते हैं तो आंखों के आस-पास की त्वचा और अंदरूनी हिस्सों पर और बुरा असर पड़ सकता है। कई बार गंभीर घाव आदि भी बन जाते हैं।
थायरॉइड में असन्तुलन की वजह से होने वाली तकलीफ का प्रतिशत कुछ सालों में भारत में तेजी से बढ़ा है। यह समस्या आमतौर पर अनुवांशिक यानी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचने वाली होती है। इसलिए अगर किसी को ड्राइ आइज की तकलीफ होती है तो डॉक्टर्स उससे फैमिली हिस्ट्री के बारे में भी पूछते हैं कि कहीं उनके परिवार में किसी को ग्रेव्स या हाशिमोटो डिसीज या थायरॉइड के असंतुलन जैसी दिक्कत तो नहीं है?
असल में आंखों को अपना काम सही तरीके से करने के लिए मॉइश्चर की जरूरत होती है। जिन लोगों में थाइरॉइड का असन्तुलन होता है उनमें ये मॉइश्चर कम होता जाता है। कई बार थायरॉइड के कारण आंखों के इर्द-गिर्द मौजूद मांसपेशियों को भी नुकसान हो सकता है। जिन लोगों में थाइरॉइड का बैलेंस नहीं होता उनमें सामान्य तरीके से आंसू बनने में भी दिक्कत आने लगती है, जो आंखों में सूखेपन का कारण बन सकती है।
कैसे करें इस तरह की समस्याओं से बचाव
थायरॉइड के कारण आंखों में होने वाली समस्या से बचे रहने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
खास बात यह कि यहां थाइरॉइड के बैलेंस के साथ ही आपको ड्राइ आइज के लिए भी इलाज करना होता है, इसलिए धैर्य के साथ इलाज को पूरा करें। थाइरॉइड पर नियंत्रण में थोड़ा वक्त लगता है और इलाज के साथ ही आपको डाइट और फिजिकल एक्टिविटीज पर भी ध्यान देना होता है।
आईड्रॉप्स आंखों की लाली, जलन और खुजली में कमी ला सकती हैं लेकिन कई बार इनके इस्तेमाल से ड्रायनेस और बढ़ जाती है। इसलिए डॉक्टर से पूछकर ही किसी आईड्रॉप को प्रयोग में लाएं।
अपनी जीवनशैली में परिवर्तन लाएं। सिगरेट से दूरी बनाएं और एयरकंडीशनर तथा हीटर जैसी डिवाइसेस के एकदम पास न बैठे। रात को सोते समय आई मास्क का उपयोग कर सकते हैं।
20-20-20 की तकनीक का उपयोग करें। यानी स्क्रीन पर काम करते समय हर 20 मिनट बाद 20 फ़ीट दूर किसी चीज को 20 सेकेंड तक देखें। आंखों को बीच बीच में झपकाने वाली एक्सरसाइज करें।
अपने डॉक्टर से एक्स्ट्रा सप्लीमेंट्स के लिए पूछें। खासकर विटामिन्स और सेलेनियम युक्त सप्लीमेंट्स का सेवन इस स्थिति में फायदेमंद हो सकता है। आप सामान्य भोजन में भी पोषण बढ़ाने वाली चीजों को शामिल कर सकते हैं। सेलेनियम एक प्रकार का मिनरल यानी खनिज है। जो मांसाहारी भोजन में अधिक मात्रा में मिलता है। इसमें मछली, चिकन, अंडे आदि शामिल हैं। शाकाहारी भोजन में यह पालक, ब्राउन राइस, पनीर, सनफ्लावर सीड्स और बीन्स आदि में पाया जाता है।