वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई ये खास डिवाइस लगाएगी छिपे हुए विस्फोटकों का पता

डिवाइस लगाएगी छिपे हुए विस्फोटकों का पता

Update: 2021-09-28 17:41 GMT

भारतीय वैज्ञानिकों ने कमाल की डिवाइस बनाई है। इस डिवाइस की मदद से छिपे हुए विस्फोटकों का पता झट से लग जाएगा। विस्फोटकों को नष्ट किए बिना उनका पता लगाना सुरक्षा के लिए आवश्यक है और ऐसे मामलों में आपराधिक जांच, बारूदी सुरंग वाले क्षेत्र में ही उपचार (माइनफील्ड रिमेडिएशन), सैन्य अनुप्रयोगों, गोला-बारूद उपचार स्थल, सुरक्षा अनुप्रयोगों और रासायनिक सेंसर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारतीय वैज्ञानिकों ने पहली बार उच्च-ऊर्जा विस्फोटकों में प्रयुक्त नाइट्रो-एरोमैटिक रसायनों का तेजी से पता लगाने के लिए थर्मली स्टेबल और कम लागत लागत वाला इलेक्ट्रॉनिक पॉलीमर-आधारित सेंसर विकसित किया है। पॉलीमर गैस सेंसर से युक्त इस प्रकार निर्मित एक इलेक्ट्रॉनिक सेंसिंग उपकरण (डिवाइस) विस्फोटक का तुरंत पता लगा सकती है।


पहले की तकनीक से अलग

विस्फोटक पॉली-नाइट्रोएरोमैटिक यौगिकों का विश्लेषण आमतौर पर परिष्कृत उपकरणों में प्रयुक्त तकनीकों द्वारा किया जा सकता है। अपराध विज्ञान प्रयोगशालाओं या कब्जे से मुक्त कराए गए सैन्य स्थलों में त्वरित निर्णय लेने अथवा उग्रवादियों के पास मौजूद विस्फोटकों का पता लगाने के लिए अक्सर सरल, कम लागत वाली तकनीक की आवश्यकता होती है। साथ ही यह भी ध्यान रखना पड़ता है कि जिनकी प्रकृति गैर – विनाशकारी हो। नाइट्रोएरोमैटिक रसायनों (एनएसी) की गैर-विनाशकारी पहचान करना एक कठिन कार्य है। जबकि पहले के अध्ययन ज्यादातर फोटो-ल्यूमिनसेंट गुणधर्म पर आधारित होते हैं। गुणों के आधार पर पता लगाने से विस्फोटकों को तलाश निकालने में सक्षम सरल कहीं भी ले जाए जा सकने योग्य ऐसा उपकरण बनाने में सहायता मिलती है। इसमें एक एलईडी की मदद से परिणाम देखे जा सकते हैं।

ऐसे किया निर्माण

इस तरह की कमियों को दूर करने के लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्त संस्थान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन संस्थान (इंस्टीटयूट ऑफ़ एडवांस्ड, स्टडी इन साइंस एंड टेक्नॉलोजी), गुवाहाटी के डॉ नीलोत्पल सेन सरमा के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम ने परत दर परत विकसित की है (एलबीएल) पॉलीमर डिटेक्टर विकसित किया है जिसमें दो कार्बनिक पॉलिमर होते हैं – पहला, पॉली-2-विनाइल पाइरीडीन जिसमें एक्रिलोनिट्राइल (पी2वीपी –सीओ- एएन) होता है और दूसरा, हेक्सेन (पीसीएचएमएएसएच) के साथ कोलेस्ट्रॉल मेथाक्राइलेट का को-पॉलीसल्फोन होता है जो कुछ सेकंड के भीतर एनएसी वाष्प की बहुत कम सांद्रता की उपस्थिति में किसी एसी सर्किट में प्रतिरोध आने से पर भारी परिवर्तन से गुजरता है। इस टीम ने इलेक्ट्रोनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआईटीवाई) , भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित इस नई प्रौद्योगिकी के लिए एक पेटेंट के लिए भी आवेदन किया है।
डॉ नीलोत्पल सेन सरमा ने कहा, "पॉलीमर गैस सेंसर से युक्त इस प्रकार निर्मित एक इलेक्ट्रॉनिक सेंसिंग उपकरण (डिवाइस) विस्फोटक का तुरंत पता लगा सकती है।"इस सेंसर उपकरण (डिवाइस) में तीन परतें शामिल हैं - 1- हेक्सेन (पीसीएचएमएएसएच) के साथ कोलेस्ट्रॉल मेथाक्राइलेट का को-पॉलीसल्फोन , और पी2वीपी –सीओ- एएन युक्त स्टेनलेस स्टील की दो जालियों वाली बाहरी परतों के बीच में पीसीएचएमएएसएच को रखकर करके एक्रिलोनिट्राइल के साथ पॉली-2-विनाइल पाइरीडीन का कोपॉलीमर।
ये है खासियत

-इस उपकरण (डिवाइस) को कमरे के सामान्य तापमान पर संचालित किया जा सकता है।

- इसमें कम प्रतिक्रिया समय होता है और अन्य रसायनों से नगण्य हस्तक्षेप होता है।

-इसका निर्माण बहुत ही सरल है।

- नमी से नगण्य रूप से प्रभावित होता है ।

- इसमें उपयोग किए जाने वाले कोलेस्ट्रॉल-आधारित पॉलिमर प्रकृति में स्वतः ही विनष्ट हो जाते हैं ।

फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन। (फोटो- एएनआइ)
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