अफगानिस्तान में छिपा है 1 ट्रिलियन डॉलर का खजाना, हर देश को लालच, जानें ऐसा क्या है?
नई दिल्ली: अफगानिस्तान में सिर्फ कत्ले-आम और तालिबान ही नहीं है. दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल ये मुल्क अकूत खजाने का मालिक है. अफगानिस्तान के खान एवं पेट्रोलियम मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार उनके देश में 1 ट्रिलियन डॉलर यानी 75.55 लाख करोड़ रुपये के प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं. 3.8 करोड़ की आबादी वाले इस देश में 2.22 लाख करोड़ किलोग्राम लौह अयस्क, 1.30 लाख किलोग्राम मार्बल और 1.40 लाख किलोग्राम दुर्लभ धातु मौजूद हैं.
अफगानिस्तान में खनिजों और धातुओं के स्रोत का अध्ययन करने वाले जियोलॉजिस्ट स्कॉट मॉन्टगोमेरी ने बताया कि इस देश में अगर 7 से 10 साल तक बड़े पैमाने पर खनिज खनन का काम हो तो यह देश की आर्थिक स्थिति को सुधार सकता है. लेकिन यहां पर सुरक्षा की कमी, कमजोर कानून और भ्रष्टाचार की वजह से इस देश का विकास और खनन क्षेत्र के फैलाव की संभावना कम है.
साल 1960 और 70 के बीच सोवियत संघ और पूर्वी यूरोपियन देशों ने मिलकर इस देश के भूगर्भीय स्रोतों का सर्वे किया था. लेकिन दशकों से चल रहे युद्ध, गृहयुद्ध और आतंकवाद की वजह से 'अफगानिस्तान का खजाना' जमीन के अंदर ही दफन है. साल 2010 में यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) और अफगानिस्तान जियोलॉजिकल सर्वे (AGS) ने मिलकर 34 राज्यों में 24 स्थानों का पता किया था, जहां पर प्राकृतिक संसाधनों का अकूत भंडार है. तब पता चला था कि यहां पर 75.55 लाख करोड़ रुपये की प्राकृतिक संपदा भरी पड़ी है.
इस स्टडी में पता चला था कि यहां पर 15.39 करोड़ किलोग्राम लेड-जिंक, 10 करोड़ किलोग्राम सेलेसटाइट और 2698 किलोग्राम सोना है. अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा लौह अयस्क है. 2.22 लाख करोड़ किलोग्राम लौह अयस्क से 2 लाख एफिल टावर का निर्माण किया जा सकता है. साल 1889 में पेरिस में बने 1063 फीट ऊंचे एफिल टावर के निर्माण में 73 लाख किलोग्राम लोहा लगा था.
इसके अलावा अफगानिस्तान के बडकशान और कंधार प्रांत में एल्यूमिनियम का भंडार है. यहां पर 18,300 करोड़ किलोग्राम एल्यूमिनियम मौजूद है. यह दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाला मेटल है. यह इतना है कि इससे 50 हजार करोड़ मैकबुक कंप्यूटर केस बनाए जा सकते हैं.
अफगानिस्तान में 2698 किलोग्राम सोना का भंडार है. ये बडकशान से ताखर और गजनी से जाबुल तक फैला हुआ है. यहां इतना सोना है कि इससे कम से कम 8 ग्राम के 3 लाख सोने के सिक्के बनाए जा सकते हैं. अफगानिस्तान में 12,400 करोड़ किलोग्राम तांबा (Copper) है. ये इतना ज्यादा है कि इतने से आप धरती से चांद तक की दूरी में 14 बार तांबे का तार बांध सकते हैं.
अफगानिस्तान दुनिया का आठवां सबसे ज्यादा पहाड़ों वाला देश है. यहां पर हिंदूकुश हिमालय की रेंज है. जिसकी वजह से देश के कई हिस्से ऐसे हैं, जहां पर जाना मुश्किल है. लेकिन यहां पर मार्बल (Marble), लाइमस्टोन (Limestone) और सैंडस्टोन (Sandstone) की मात्रा बहुत ज्यादा है. अफगानिस्तान में 1.30 लाख करोड़ किलोग्राम मार्बल है. यह इतना है कि इससे 555 फीट ऊंचा और 55 फीट चौड़ा 13 हजार वॉशिंगटन मॉन्यूमेंट बनाया जा सकता है.
लाइमस्टोन और सैंडस्टोन की मात्रा भी बहुत ज्यादा है. लाइमस्टोन का उपयोग सीमेंट बनाने के लिए किया जाता है. इसके अलावा टूथपेस्ट और पेंट बनाने के लिए भी इनका उपयोग होता है. बडकशान, हेरात और बाघलान प्रांतों में 50 हजार करोड़ किलोग्राम लाइमस्टोन मौजूद है. यह इतना है कि इससे गीजा जैसे 92 पिरामिड बनाए जा सकते हैं. 65 हजार करोड़ सैंडस्टोन है, जिससे 450 कोलोसी ऑफ मेमनोस स्मारक बनाए जा सकते हैं.
इसके अलावा अफगानिस्तान में इंडस्ट्रियल मिनरल का खजाना है. यहां पर 1.40 लाख करोड़ किलोग्राम रेयर अर्थ मेटल यानी दुर्लभ खनिज एवं धातु हैं. जिनमें लैपिस लाजुली (Lapis Lazuli), पन्ना (Emerald) और माणिक (Rubies) शामिल हैं. सबसे ज्यादा मात्रा में 15,200 करोड़ किलोग्राम बैराइट है, तेल और गैस इंडस्ट्री में ड्रिलिंग के काम आती है.
अफगानिस्तान से 90 फीसदी उत्पाद तीन ही देशों में सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट होते हैं. 45 फीसदी संयुक्त अरब अमीरात, 24 फीसदी पाकिस्तान और 22 फीसदी भारत में. लेकिन 15 अगस्त 2021 से तालिबान के कब्जा करने के बाद से अफगानिस्तान से एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट का बिजनेस बंद है. 2 सितंबर 2021 को तालिबान ने चीन के आर्थिक मदद से खनिज उद्योग को बढ़ाने का फैसला किया है. यह पूरी स्टडी अल जजीरा में प्रकाशित हुई थी.