ब्लैकहोल के भार का होता है उसकी सामग्री निगलने की दर से संबंध
ब्लैकहोल (Black Hole) के बारे में कहा जाता है कि यह ब्रह्माण्ड के सबसे रहस्यमयी पिंडों में से हैं
ब्लैकहोल (Black Hole) के बारे में कहा जाता है कि यह ब्रह्माण्ड के सबसे रहस्यमयी पिंडों में से हैं. इनके बारे में सीधे तौर पर कोई जानकारी नहीं मिलती क्योंकि यह अपने अत्याधिक मजबूत गुरुत्वाकर्षण शक्ति से आसपास के प्रकाश तक अपने अंदर खींच लेते हैं. वैज्ञानिकों ने लंबे समय तक इन ब्लैकहोल के आसपास की घटनाओं से इनकी विशेषताओं का पता लगा है. हाल ही में हुए एक अध्ययन में उन्होंने पाया है कि ब्लैक होल के पदार्थ निगलने (Accretion) के तरीके से उसके आकार निर्धारित होता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि सुपरमासिव ब्लैकहोल (SMBH) के पास निगले जाते हुए पदार्थ की की जगमगाती चमक का उसके भार से बहुत गहरा संबंध है.
सुपरमासिव ब्लैकहोल (SMBH) हमारे सूर्य से करोड़ों अरबों गुना भारी होते हैं और आमतौर पर ये गैलेक्सी (Galaxies) के केंद्र में स्थित होते हैं. जब ये सुसुप्त होते हैं, यानी आसपास के तारों के पदार्थ और गैस को नहीं निगल रहे होते हैं तो उनके आसपास से बुहत कम प्रकाश उत्सर्जित होता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि शुरुआती ब्रह्माण्ड (Universe) में जब इस तरह के ब्लैकहोल तेजी से विकसित हो रहे थे. तब वे बहुत सक्रियता से तेज गति के साथ सामग्री निगल लेते थे और साथ ही बहुत ही प्रचंड मात्रा में विकिरण उत्सर्जन करते थे जिससे कई बार उस रोशनी में पूरी गैलेक्सी तक छिप जाया करती थी.
साइंस जर्नल में प्रकाशित यूनिवर्सिटी ऑप इलिनोइस अर्बाना के शोध में प्रोफेसर यू शेन के कैम्पैन यूनिवर्सिटी के खगोलविज्ञान के छात्र कोलिन बुर्के ने अपने अध्ययन में पाया कि सामग्री निकलने वाले सक्रिय सुपरमासिव ब्लैक होल (SMBH) के भार और उससे निकलने वाले जगमगाते चमकीले प्रकाश की टाइमलाइन की विशेषता का गहरा संबंध है. ऐसे ब्लैकहोल (Black Hole) की एक्रीशन डिस्क (Accretion Disk) से निकलने वाला प्रकाश हमेशा एक सा उत्सर्जित नहीं होता है. अभी तक बहुत सी प्रक्रियाएं समझी नहीं जा सकी थीं जिनके कारण ब्लैकहोल एक विशेष तरह की जगमगाहट दिखाते हैं जिनकी समायावधि घंटों से लेकर दशकों तक होती है. इस बुर्के का कहना है कि इस विषय पर कई अध्ययन हुए हैं लेकिन इनके नतीजे अस्पष्ट और कई बार विवादित भी रहे हैं.
शोधकर्ताओं की टीम ने ऐसे आंकड़ों के समूह का अध्ययन किया जो एक सक्रिय तौर पर सामग्री निकलने वाला सुपरमासिव ब्लैकहोल (SMBH) था. इसके जरिए उन्होंने जगमगाहट के स्वरूपों (Flickering Pattern) में विविधता का अध्ययन किया. उन्होंने एक टाइमस्केल विशेषता पाई जिसके अनुसार इन स्वरूपों में बदलाव होते थे जिनका ब्लैकहोल (Black Hole) के भार से सीधा संबंध था. उन्होंने अपने नतीजों की तुलना सामग्री निगलते हुए सफेद बौने तारों के से की और टाइमस्केल-भार के संबंधों की सही पाया.
शोधकर्ताओं का कहना है प्रकाश की जगमगाहट या टिमटिमाहट (Flickering) ब्लैकहोल (Black Hole) के सामग्री निकलने की प्रक्रिया (Accretion) में होने वाले अनियमित उतार चढ़ाव की वजह से होती है. खगोलविद इस टिमटिमाहट के स्वरूप को नाप भी सकते हैं. इसे वे विविधताकी शक्ति को टाइमस्केल के लिहाज से दर्शाकर नाप सकते हैं. यह विविधता स्वरूल कम टाइमस्केल से लंबे टाइमस्केल में बदल सकता है और अधिक विशालकाय ब्लैकहोल में यह लंबा समय लेता है.
शेन का कहना है कि ये नतीजे सुझाते है कि निगलने की प्रक्रिया (Accretion) के दौरान होने वाली टिमटिमाहट या जगमगाहट (Flickering) सार्वभौमिक है, चाहे वह किसी गैलेक्सी के केंद्र का सुपरमासिव ब्लैकहोल (SMBH) हो या फिर बहुत ही हलका सफेद बौना तारा. इस अध्ययन के सहलेखक और फ्लैटीरॉन इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता यान फेय जियांग का कहना है कि जगमग प्रकाश और निगलने वाले पिंड के बीच का संबंध निश्चित तौर पर एक्रीशन या संचयन प्रक्रिया को बेहतर समझने में मददगार होगा.
खगोलभौतिकीय ब्लैकहोल (Black Hole) बहुत विविध प्रकार के आकार और भार में मिलते हैं. हमारे सूर्य से कुछ ही टन ज्यादा भार वाले तारकीय भार वाले ब्लैक होल और सुपरमासिव ब्लैकहोल के के बीच इंटरमिडिएट मास ब्लैक होल (IMBH) होते हैं जिनके भार सूर्य से सौ से लेकर एक लाख गुना तक ज्यादा होते हैं. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ब्लैक की डिस्क (Accretion Disk) की टिमटिमाहट से उनके भार की जानकारी मिलती है, तो वे भविष्य में IMBH खोजे जाने की उम्मीद कर रहे हैं.